कान्हां मोही ऐसो बनइयो मोर भजन
कान्हां मोही ऐसो बनइयो मोर भजन
कान्हां मोही ऐसो बनइयो मोर
नाचूँ ता-ता थईं-थईं
कान्हा मोही ऐसो बनइयो मोर
नाचूँ ता-ता थईं-थईं
नाचू थई थई मैं,
नाचूँ ता-ता थईं-थईं
कान्हां मोही ऐसो बनइयो मोर
नाचूँ ता-ता थईं-थईं
मोर जो बनावें तो ऐसो बनइयों,
अपनी ही रास लीला में नचाइयों,
सब देखें मेरी ऒर,
नाचूँ ता-ता थईं-थईं
कान्हां मोही ऐसो बनइयो मोर
नाचूँ ता-ता थईं-थईं
दही तू बनइयो चाहे दूध बनइयो
दान घाटी पे तू, मोहे चढ़ाइयो
चित चोर नाचूँ ता ता थई थई
नाचूँ ता-ता थईं-थईं
कान्हां मोही ऐसो बनइयो मोर
नाचूँ ता-ता थईं-थईं
चरखी बनाइयों चाहे पतंग बनइयो
वृन्दावन चाहे गोकुल में उड़ाइयो
रख अपने हाथ डोर नाचू ता ता थई थई
कान्हा मोही ऐसो बनइयो मोर
नाचूँ ता-ता थईं-थईं
कान्हां मोही ऐसो बनइयो मोर
नाचूँ ता-ता थईं-थईं
सहनाई बनाइयों चाहे मुरली बनइयों,
अपने ही अधरों पे मुझे सजायियो
जब हो मुरली का शोर नाचू ता ता थई थई
कान्हाँ मोही ऐसो बनइयो मोर
नाचूँ ता-ता थईं-थईं
कान्हा मोही ऐसो बनइयो मोर
नाचूँ ता-ता थईं-थईं
नाचू थई थई मैं,
नाचूँ ता-ता थईं-थईं
कान्हां मोही ऐसो बनइयो मोर
नाचूँ ता-ता थईं-थईं
नाचूँ ता-ता थईं-थईं
कान्हा मोही ऐसो बनइयो मोर
नाचूँ ता-ता थईं-थईं
नाचू थई थई मैं,
नाचूँ ता-ता थईं-थईं
कान्हां मोही ऐसो बनइयो मोर
नाचूँ ता-ता थईं-थईं
मोर जो बनावें तो ऐसो बनइयों,
अपनी ही रास लीला में नचाइयों,
सब देखें मेरी ऒर,
नाचूँ ता-ता थईं-थईं
कान्हां मोही ऐसो बनइयो मोर
नाचूँ ता-ता थईं-थईं
दही तू बनइयो चाहे दूध बनइयो
दान घाटी पे तू, मोहे चढ़ाइयो
चित चोर नाचूँ ता ता थई थई
नाचूँ ता-ता थईं-थईं
कान्हां मोही ऐसो बनइयो मोर
नाचूँ ता-ता थईं-थईं
चरखी बनाइयों चाहे पतंग बनइयो
वृन्दावन चाहे गोकुल में उड़ाइयो
रख अपने हाथ डोर नाचू ता ता थई थई
कान्हा मोही ऐसो बनइयो मोर
नाचूँ ता-ता थईं-थईं
कान्हां मोही ऐसो बनइयो मोर
नाचूँ ता-ता थईं-थईं
सहनाई बनाइयों चाहे मुरली बनइयों,
अपने ही अधरों पे मुझे सजायियो
जब हो मुरली का शोर नाचू ता ता थई थई
कान्हाँ मोही ऐसो बनइयो मोर
नाचूँ ता-ता थईं-थईं
कान्हा मोही ऐसो बनइयो मोर
नाचूँ ता-ता थईं-थईं
नाचू थई थई मैं,
नाचूँ ता-ता थईं-थईं
कान्हां मोही ऐसो बनइयो मोर
नाचूँ ता-ता थईं-थईं
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मन को मोहित कर देने वाला भजन। कान्हा मोहे ऐसो बनाइये मोर | Kanha Mohe Eso Banaiyo Mor | Shyam Singer - Ramkumar Lakkha
Label - Shyam Bhajan
यह भाव ईश्वर से अपने अस्तित्व को पूरी तरह उनके हाथों में सौंप देने की मिठास से भरा है। जब कोई कहता है कि “मुझे ऐसा बनाओ कि मैं तेरी ही रास में नाच सकूं,” तब वह आत्मा के उस क्षण को जीता है जहाँ व्यक्ति और परमात्मा का भेद मिट जाता है। कान्हा की रास कोई साधारण नृत्य नहीं—वह सृष्टि का उत्सव है, जिसमें हर कण नाचता है, हर श्वास झूमती है। अपने को मोर बनवाने की यह याचना दरअसल उस स्थिति की चाह है जहाँ मन हर दिशा में राधा की तरह कान्हा के चरणों पर झूम उठे। यह आंतरिक स्वतंत्रता का नृत्य है, जो ईश्वर की उपस्थिति में ही जन्म लेता है।
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