दुःख की बदली जब जब मुझ पे छा भजन

दुःख की बदली जब जब मुझ पे छा गई माता भजन

(मुखड़ा)
दुःख की बदली,
जब-जब मुझ पे छा गई,
सिंह सवारी करके,
मैया आ गई,
वो आ गई, वो आ गई,
वो आ गई मेरी माँ,
दुःख की बदली,
जब-जब मुझ पे छा गई,
सिंह सवारी करके,
मैया आ गई।।

(अंतरा)
जब-जब संकट आया है,
माँ को सामने पाया है,
दुनिया ने रिश्ते तोड़े,
इसने साथ निभाया है,
रोते हुए को हँसा गई,
अपने गले लगा गई,
वो आ गई, वो आ गई,
वो आ गई मेरी माँ,
दुःख की बदली,
जब-जब मुझ पे छा गई,
सिंह सवारी करके,
मैया आ गई।।

स्वार्थ के संसार में,
तू ही एक सहारा है,
तेरे बिना इस जग में माँ,
कोई नहीं हमारा है,
हारे हुए को जीता गई,
भक्त का मान बढ़ा गई,
वो आ गई, वो आ गई,
वो आ गई मेरी माँ,
दुःख की बदली,
जब-जब मुझ पे छा गई,
सिंह सवारी करके,
मैया आ गई।।

ये सच्ची दातार है,
इसकी दया अपार है,
इसकी रहमत से चलता,
मेरा घर-संसार है,
'रजनी' की बिगड़ी बना गई,
हर घड़ी लाज बचा गई,
वो आ गई, वो आ गई,
वो आ गई मेरी माँ,
दुःख की बदली,
जब-जब मुझ पे छा गई,
सिंह सवारी करके,
मैया आ गई।।

(अंतिम पुनरावृत्ति)
दुःख की बदली,
जब-जब मुझ पे छा गई,
सिंह सवारी करके,
मैया आ गई,
वो आ गई, वो आ गई,
वो आ गई मेरी माँ,
दुःख की बदली,
जब-जब मुझ पे छा गई,
सिंह सवारी करके,
मैया आ गई।।
 


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