बिन पानी के नाव खे रही है माँ नसीब

बिन पानी के नाव खे रही है माँ नसीब

(मुखड़ा)
बिन पानी के नाव खे रही है,
माँ नसीब से ज्यादा दे रही है।।

(अंतरा)
भूखे उठते हैं, भूखे तो सोते नहीं,
दुःख आता है हम पे तो रोते नहीं,
दिन-रात खबर ले रही है,
माँ नसीब से ज्यादा दे रही है।।

उसके लाखों दीवाने बड़े से बड़े,
उसके चरणों में कंकर के जैसे पड़े,
फिर भी आवाज़ मेरी सुन रही है,
माँ नसीब से ज्यादा दे रही है।।

मेरा छोटा सा घर, महलों की रानी माँ,
मेरी औकात क्या, महारानी है माँ,
साथ 'बनवारी' माँ रह रही है,
माँ नसीब से ज्यादा दे रही है।।

ज्यादा कहता मगर कह नहीं पा रहा,
आँसू बहता मगर बह नहीं पा रहा,
दिल से आवाज़ ये आ रही है,
माँ नसीब से ज्यादा दे रही है।।

(अंतिम पुनरावृत्ति)
बिन पानी के नाव खे रही है,
माँ नसीब से ज्यादा दे रही है।।
 


शीश अपने आप झुक जाएगा इस भजन को सुनकर | Rani Sati Dadi Bhajan | Dadi Ji Ke Bhajan | Madhuri Madhukar
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