अहो पति सो उपाइ कछु कीजै भजन
अहो पति सो उपाइ कछु कीजै,
जिहिं उपाइ अपनो यह बालक, राखि कंस सो लीजै,
मनसा, वाचा, कहत कर्मना, नृप कबहूं न पतीजै,
बुधि, बल, छल, कल, कैसे हुं करिये, काढि अनत ही दीजै,
नाहिं न इतनो भाग जो यह रस, नित लोचन पुट पीजै,
सूरदास ऎसे सुत को जस, श्रवननी सुनि सुनि जीजै,
हे स्वामी, वासुदेव जी कुछ ऐसा उपाय कीजिये कि जिससे हमारे शिशु की कंस से
रक्षा हो सके .कंस मानने वाला नहीं है। अत: जैसे भी हो बच्चे को ही कही
अन्यत्र पहुंचा दीजिये, कृपा कीजिये। इसके रुप को देख कर खुश होना हमारे
भाग्य मे नही है, तो इसकी कीर्ती सुन सुनकर ही हम जीते रहेंगे.
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Avdhoota - Aho Pati So Upai Ka Chhu Kije · Pt. Kumar Gandharva, Vasundhara Das
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