तारा विना श्याम मने एकलडु लागे गरबा लिरिक्स Tara Vina Shyam Mane Ekladu Laage Lyrics

"तारा विना श्याम" एक गुजराती गरबा गीत है जिसे पंकज भट्ट ने लिखा और संगीतबद्ध किया है। यह गुजरात में सबसे लोकप्रिय गरबा गीतों में से एक है और गरबा प्रदर्शनों के लिए एक लोकप्रिय विकल्प है। इस गीत में, एक भक्त कृष्ण को अपने प्रियतम के रूप में स्वीकार करता है और उनके बिना अपने जीवन की कल्पना नहीं कर सकता। वह कहती है कि कृष्ण के बिना, वह अकेली और उदास महसूस करती है। वह कृष्ण से जल्दी आने और उसके जीवन में खुशी लाने की प्रार्थना करती है। (Tara Vina Shyam Meaning)

तारा विना श्याम मने एकलडु लागे गरबा लिरिक्स Tara Vina Shyam Mane Ekladu Laage Lyrics

तारा विना श्याम मने एकलडु लागे गरबा लिरिक्स Tara Vina Shyam Mane Ekladu Laage Lyrics

Tara Vina Shyam Mane – Navratri Garba
 
तारा विना श्याम मने एकलडु लागे
रास रमवा ने वहलो आवजे
रास रमवा को जल्दी आव रे
तारा विना श्याम एकलडु लागे.

शरद पूनाम नी रातडी.. ओहो
चांदनी खिली छे भली भांत नी.
तू न आवे तो श्याम रास जामे न श्याम
रास रमवा ने वहलो आव आव आव श्याम
रास रमवा ने वहलो आवजे

गरबे घूमती गोपियो.. ओहो
सूनी छे गोकुल नी शेरीयो.
सूनी सूनी शेरियो मां गोकुल नी गलियों मां
रास रमवा ने वहलो आव आव आव श्याम
रास रमवा ने वहलो आवजे
अंग अंग रंग से अनंग नो.. ओहो
रंग केम जाए तारा संग नो,
पायल झंकार सुनी रोदिया नो नाद सुनी
रास रमवा ने वहलो आव आव आव श्याम
रास रमवा ने वहलो आवजे
तारा विना श्याम मने एकलडु लागे,
रास रमवा ने वेळो आवजे।
तारा विना श्याम एकलडु लागे।।

शरद पूनम नी रातडी ,
चांदनी खिली छे भली भांतनी।
तू न आवे तो श्याम,
रास जामे न श्याम।
रास रमवा ने वेलो आव श्याम,
रास रमवा ने वेळो आवजे,
तारा विना ….

गरबे घूमती गोपियो ओहो,
सूनी छे गोकुल नी शेरीयो।
सूनी सूनी शेरियो मा,
गोकुल नी गलियों मा।
रास रमवा ने वेळो आव श्याम,
रास रमवा ने वेळो आवजे।
तारा विना ….

अंग अंग रंग छे उमंग नो ओहो,
रंग केम जाए तारा संग नो।
पायल झंकार सुणी,
रोदिया नो नाद सुणी।
रास रमवा ने वेळो आव श्याम,
रास रमवा ने वेळो आवजे।
तारा विना ….

तारा विना श्याम मने एकलडु लागे,
रास रमवा ने वेळो आवजे।
तारा विना श्याम एकलडु लागे।।
तारा विना श्याम मने एकलडु लागे,
रास रमवा ने वहलो आवजे,
तारा विना श्याम एकलडु लागे।

शरद पूनम नी रातडी ओहो,
चांदनी खिली छे भली भांत नी,
तू न आवे तो श्याम,
रास जामे न श्याम,
रास रमवा ने वहलो आव श्याम,
रास रमवा ने वहलो आवजे,
तारा विना श्याम एकलडु लागे।

गरबे घूमती गोपियो ओहो,
सूनी छे गोकुल नी शेरीयो,
सूनी सूनी शेरियो मा,
गोकुल नी गलियों मा,
रास रमवा ने वहलो आव श्याम,
रास रमवा ने वहलो आवजे,
तारा विना श्याम एकलडु लागे।

अंग अंग रंग छे उमंग नो ओहो,
रंग केम जाए तारा संग नो,
पायल झंकार सुणी,
रोदिया नो नाद सुणी,
रास रमवा ने वहलो आव श्याम,
रास रमवा ने वहलो आवजे,
तारा विना श्याम एकलडु लागे।
तारा विना श्याम मने एकलडु लागे,
रास रमवा ने वहलो आवजे,
तारा विना श्याम एकलडु लागे।

तारा विना श्याम मने एकलडु लागे
रास रमवा ने वहलो आवजे
रास रमवा को जल्दी आव रे
तारा विना श्याम एकलडु लागे



Tara Vina Shyam Mane (Praful Dave)

एक गोपी कृष्ण के बिना अपने अकेलेपन पर विलाप कर रही है। वह कहती है कि बिना उसकी उपस्थिति के वह खाली और खोई हुई महसूस करती है। वह उससे विनती करती है कि वह आए और उसके साथ और अन्य गोपियों के साथ रास गरबा खेले। दूसरे श्लोक में, गोपी शरद पूर्णिमा की सुंदर रात का वर्णन करती है। वह कहती है कि चाँद चमक रहा है और हवा फूलों की खुशबू से भरी हुई है। हालाँकि, वह कहती है कि यह सब सुंदरता कृष्ण के बिना अर्थहीन है।

શ્યામ….. શ્યામ…. શ્યામ…. શ્યામ…
તારા વિના શ્યામ મને એકલડું લાગે,
રાસ રમવાને વહેલો આવજે (2)
તારા વિના શ્યામ મને એકલડું લાગે,
રાસ રમવાને વહેલો આવજે (2)
તારા વિના શ્યામ…. (2)
શરદપૂનમની રાતડી,
ચાંદની ખીલી છે ભલીભાતની (2)
તું ન આવે તો શ્યામ,
રાસ જામે ન શ્યામ,
રાસ રમવાને વહેલો આવ… આવ… આવ… શ્યામ
તારા વિના શ્યામ…. (2)
તારા વિના શ્યામ મને એકલડું લાગે,
રાસ રમવાને વહેલો આવજે (2)
ગરબે ધુમતી ગોપીઓ,
સુની છે ગોકુળની શેરીઓ (2)
સુની સુની શેરીઓમાં,
ગોકુળની ગલીઓમાં,
રાસ રમવાને વહેલો આવ… આવ… આવ… શ્યામ.
તારા વિના શ્યામ…. (2)
તારા વિના શ્યામ મને એકલડું લાગે,
રાસ રમવાને વહેલો આવજે (2)
અંગ અંગ રંગ છે અનંગનો,
રંગ કેમ જાય તારા સંગનો (2)
તું ન આવે તો શ્યામ,
રાસ જામે ન શ્યામ,
રાસ રમવાને વહેલો આવ… આવ… આવ… શ્યામ.
તારા વિના શ્યામ…. (2)
તારા વિના શ્યામ મને એકલડું લાગે,
રાસ રમવાને વહેલો આવજે (2)
શ્યામ….. શ્યામ…. શ્યામ…. શ્યામ…

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