भोळे की बारात हिमाचल के बाग़ में भजन
यह भजन पंडित मांगे राम जी द्वारा रचित विख्यात रागिनी है, यहाँ कुछ शब्द का फेर है, यदि आप हरियाणवी भाषा से ताल्लुक रखते हैं तो कृपया इसमें सुधार करने के लिए ईमेल के माध्यम से बताएं, धन्यवाद।
ब्याहवण वाळी रात आगी, मोड्या की जमात आगी,
शिवजी की बरात आगी, रे हिमाचल के बाग़ में,
हिमाचल के बाग़ में,
देख के मुश्किल ते दिल डाट्या,
सारा शहर बथेरे ही नाट्या,
एक पाट्या सा लंगोटा ले रह्या,
एक कुण्डी एक सोटा ले रह्या,
एक धड़ी का सोटा ले रह्या,
हिमाचल के बाग़ में,
जण खेत में बड़े रह सपेले,
जे कर रहे स घने रे झमेले,
दो चेले वो गाल ले रह्या,
शीतल बड़ा झमेल ले रह्या,
एक बुढा सा बैल ले रह्या,
हिमाचल के बाग़ में,
इसने कौन बता दे साध रे,
यो स बदमाशा स म बाद,
नाद जनेऊ मृगछाला ले रह्या,
डमरू बाजन आळा ले रह्या,
रुण्ड मुंड की माला ले रह्या,
हिमाचल के बाग़ में,
कहे लखमी चंद करम की साख,
लाल बणा रहवे दोंयो रे आँख,
ताक में शिकारी सा बैठ्या,
घेरे कौल बेमारी बैठ्या,
मांगे राम मदारी बैठ्या,
हिमाचल के बाग़ में,
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Bhajan :- भोले की बारात
Singer :- Kaptan Sharma
Writer :- Pandit Mange Ram Ji
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