माँ सिंह पे सवार है हाथों में तलवार है भजन

माँ सिंह पे सवार है हाथों में तलवार है भजन

h(मुखड़ा)
माँ सिंह पे सवार है,
हाथों में तलवार है,
है रूप विकराला,
है भृकुटि विशाला,
कर में तेरे भाल है,
तू दुष्टों की काल है।।

(अंतरा 1)
चंडी जगदंबे भवानी,
काली महाकाली माँ,
दुष्टों को मारने वाली,
है शक्तिशाली माँ,
नैना तेरे विशाल माँ,
मुकुट स्वर्ण भाल माँ,
है रूप विकराला,
है भृकुटि विशाला,
कर में तेरे भाल है,
तू दुष्टों की काल है।।

(अंतरा 2)
चण्ड मुण्ड मारने वाली,
महिषासुर घातनी,
गल मुण्डों की माला,
खड़ग की धारणी,
है शुम्भ विदारे माँ,
निशुम्भ संहारे माँ,
है रूप विकराला,
है भृकुटि विशाला,
कर में तेरे भाल है,
तू दुष्टों की काल है।।

(अंतरा 3)
क्रोध महाकाली माँ का,
थम नहीं पाया था,
शिव जी मार्ग में लेटे,
शांत कराया था,
देवों ने की प्रार्थना,
माँ क्रोध को थामना,
है रूप विकराला,
है भृकुटि विशाला,
कर में तेरे भाल है,
तू दुष्टों की काल है।।

(पुनरावृत्ति)
माँ सिंह पे सवार है,
हाथों में तलवार है,
है रूप विकराला,
है भृकुटि विशाला,
कर में तेरे भाल है,
तू दुष्टों की काल है।।
 


नवरात्रि स्पेशल :माँ सिंह पे सँवार है हाथो में तलवार है :शेरावाली महामाई का बहुत प्यारा भजन
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