माया महा ठगनी हम जानी लिरिक्स Maya Maha Thagini Hum Jani Lyrics
रेकता— माया के गुलाम गीदड़ क्या जाने तू बंदगी वहाँ से आया नाम भजन को और यहाँ लगाता फंदगी केसर जेसी क्यारी बोई और बीज लगाता गंदगी न साधु का न संत का तो नहालक तेरी जिंदगी ।।
सखी — माया माया सब कहे, माया चिन्हे नहीं कोय ।
जो मन से ना उतरे, माया कहावे सोय।।
भजन—
महा ठगणी हम जानी रे,
माया महा ठगणी हम जानी ।
तिरगुण फांस लिये कर डोले
बोले मधुरी बाणी ।।
1.केशव के कमला हुई बैठी,
शिव के भवन भवानी ।
पंडा के मूरत हुई बैठी,
तीरथ हूँ में पाणी ।।
2.योगी के योगिन हुई बैठी,
राजा के घर रानी ।
कहू के हीरा हुई बैठी,
काहू के कौड़ी काणी ।।
3.भक्तों के भक्तिन हुई बैठी,
ब्रह्मा के ब्राह्मणी।
कहै कबीर सुणो भाई साधो,
ये सब अकथ कहानी।।
माया महा ठगनी हम जानी,
निर्गुण फांस लिए कर डोले बोले मधुरे बानी,
महा ठगनी हम जानी,
माया महा ठगनी हम जानी,
केशव के कमला होय बैठी शिव के भवन भवानी,
पंडा के मूरत वे बैठीं तीरथ में हूँ में पानी, पानी,
महा ठगनी हम जानी,
माया महा ठगनी हम जानी,
योगी के योगन होय बैठी राजा के घर रानी,
काहूँ के हीरा होय बैठी काहूँ के कौड़ी कानी, कानी,
महा ठगनी हम जानी,
माया महा ठगनी हम जानी,
भगतां की भगतिन होय बैठी बृह्मा के बृह्माणी,
कहे कबीर सुनो भई साधो यह सब अकथ कहानी,
महा ठगनी हम जानी,
माया महा ठगनी हम जानी,
सखी — माया माया सब कहे, माया चिन्हे नहीं कोय ।
जो मन से ना उतरे, माया कहावे सोय।।
भजन—
महा ठगणी हम जानी रे,
माया महा ठगणी हम जानी ।
तिरगुण फांस लिये कर डोले
बोले मधुरी बाणी ।।
1.केशव के कमला हुई बैठी,
शिव के भवन भवानी ।
पंडा के मूरत हुई बैठी,
तीरथ हूँ में पाणी ।।
2.योगी के योगिन हुई बैठी,
राजा के घर रानी ।
कहू के हीरा हुई बैठी,
काहू के कौड़ी काणी ।।
3.भक्तों के भक्तिन हुई बैठी,
ब्रह्मा के ब्राह्मणी।
कहै कबीर सुणो भाई साधो,
ये सब अकथ कहानी।।
माया महा ठगनी हम जानी,
निर्गुण फांस लिए कर डोले बोले मधुरे बानी,
महा ठगनी हम जानी,
माया महा ठगनी हम जानी,
केशव के कमला होय बैठी शिव के भवन भवानी,
पंडा के मूरत वे बैठीं तीरथ में हूँ में पानी, पानी,
महा ठगनी हम जानी,
माया महा ठगनी हम जानी,
योगी के योगन होय बैठी राजा के घर रानी,
काहूँ के हीरा होय बैठी काहूँ के कौड़ी कानी, कानी,
महा ठगनी हम जानी,
माया महा ठगनी हम जानी,
भगतां की भगतिन होय बैठी बृह्मा के बृह्माणी,
कहे कबीर सुनो भई साधो यह सब अकथ कहानी,
महा ठगनी हम जानी,
माया महा ठगनी हम जानी,
माया महाठगिनी है, यह सदा जगत में रहती है, कभी मरती नहीं है विभिन्न रूपों में अपने जाल फाँस से जीव को अपने जाल में फंसा कर उसके मूल उद्देश्य से उसको विस्मृत कर देती है। साहेब ने अनेकों स्थान पर माया को समझ कर उससे दूर रहने के विषय में ज्ञान दिया है।
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माया महा ठगणी हम जाणी || Maya Maha Thagani Hum Jaani || Kabir Bhanaj || By Prahlad Singh Tipanya
Bhajan by : Sant Kabir
Singer and Tambur : Padmashri Prahlad Singh Tipanya
Audio and Video editing :- Mayank Tipaniya
Bhajan by : Sant Kabir
Singer and Tambur : Padmashri Prahlad Singh Tipanya
Audio and Video editing :- Mayank Tipaniya
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