प्राणी लोक मुझे भी ले चल भोले जोगिया लिरिक्स Prani Lok Mujhe Bhi Le Chal Bhole Jogiya Lyrics
प्राणी लोक मुझे भी ले चल, भोले जोगिया,
प्राणी लोक मुझे भी ले चल, भोले जोगिया,
होके नंदी पे सावार जाऊँ कैलाश पार,
धरती घूमन दे , घूमन दे,
पापियोँ के पाप से है भरा सारा संसार,
पापियों के पाप से है भरा सारा संसार,
कहीं फैला भ्रष्टाचार कहीं होवे अनाचार,
छुपा स्वार्थ मन मैं, जन जन में,
प्राणी लोक मुझे भी ले चल, भोले जोगिया,
डमरुँ धर मोहे यूँ ना उलझाओ, बातों के इस जाल में,
भोली गौरा फँस जाएगी तू, माया नगरी की चाल में,
तूने बनाई कैसी धरती, तूनें बनाई कैसी धरती,
जा ना सकूँ किसी हाल से,
जब कोई मन से पुकारे तुझे गौरा,
जब कोई मन से पुकारे तुझे गौरा,
कोई कहे कुछ अगर, तब जाना ना ठहर,
जाऊँ बन ठन के, बन ठन के,
प्राणी लोक मुझे भी ले चल, भोले जोगिया,
सुन गौरा धरती पे है छाया, ये कलयुग घनघोर हो,
नाथ चले जब संग में भी तो, रात भी लगे मुझे भोर हो,
सोच ले फिर से बात ये अपनी, सोच ले फिर से बात ये अपनी,
फिर न होना तंग हो,
औघड़ दानी तुझ संग बिताया अपना जीवन,
नहीं डर कोई भय न कोई शंशय
अब है मन मे मैं, मेरे मन मे
पापियोँ के पाप से है भरा सारा संसार,
पापियों के पाप से है भरा सारा संसार,
कहीं फैला भ्रष्टाचार कहीं होवे अनाचार,
छुपा स्वार्थ मन मैं, जन जन में,
प्राणी लोक मुझे भी ले चल, भोले जोगिया,
प्राणी लोक मुझे भी ले चल, भोले जोगिया,
होके नंदी पे सावार जाऊँ कैलाश पार,
धरती घूमन दे , घूमन दे,
पापियोँ के पाप से है भरा सारा संसार,
पापियों के पाप से है भरा सारा संसार,
कहीं फैला भ्रष्टाचार कहीं होवे अनाचार,
छुपा स्वार्थ मन मैं, जन जन में,
प्राणी लोक मुझे भी ले चल, भोले जोगिया,
डमरुँ धर मोहे यूँ ना उलझाओ, बातों के इस जाल में,
भोली गौरा फँस जाएगी तू, माया नगरी की चाल में,
तूने बनाई कैसी धरती, तूनें बनाई कैसी धरती,
जा ना सकूँ किसी हाल से,
जब कोई मन से पुकारे तुझे गौरा,
जब कोई मन से पुकारे तुझे गौरा,
कोई कहे कुछ अगर, तब जाना ना ठहर,
जाऊँ बन ठन के, बन ठन के,
प्राणी लोक मुझे भी ले चल, भोले जोगिया,
सुन गौरा धरती पे है छाया, ये कलयुग घनघोर हो,
नाथ चले जब संग में भी तो, रात भी लगे मुझे भोर हो,
सोच ले फिर से बात ये अपनी, सोच ले फिर से बात ये अपनी,
फिर न होना तंग हो,
औघड़ दानी तुझ संग बिताया अपना जीवन,
नहीं डर कोई भय न कोई शंशय
अब है मन मे मैं, मेरे मन मे
पापियोँ के पाप से है भरा सारा संसार,
पापियों के पाप से है भरा सारा संसार,
कहीं फैला भ्रष्टाचार कहीं होवे अनाचार,
छुपा स्वार्थ मन मैं, जन जन में,
प्राणी लोक मुझे भी ले चल, भोले जोगिया,
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