मक्के वज़न जो क़ेड़ो ज़रूर लिरिक्स Makke Vajan Jo Kedo Jarur Lyrics

मक्के वज़न जो क़ेड़ो ज़रूर लिरिक्स Makke Vajan Jo Kedo Jarur Lyrics

 
मक्के वज़न जो क़ेड़ो ज़रूर लिरिक्स Makke Vajan Jo Kedo Jarur Lyrics

गंगा नाहे गुनाह ना लहन,
गंगा नाहे गुनाह ना लहन,
तोड़े मक्के न थियन, मधायु माफ़,
गंगा नाहे गुनाह ना लहन.
 तोड़े मक्के न थियन, मधायु माफ़
डिढो सब बिसार, अण डिढो याद कर
डिढो सब बिसार, अण डिढो याद कर
मन खे इए मार, जी कुंभर मारे मिट्टी खे
कलब अंदर में काबो दिठो,
मक्के वज़ण जो क़ेड़ो ज़रूर,
कलब अंदर में काबो दिठो,
मक्के वज़न जो क़ेड़ो ज़रूर,

मन मारे मस्जिद कयो,
मन मारे मस्जिद क़यो,
सिजदो दिहण जो क़ेड़ो ज़रूर,
कलब अंदर में काबो दिठो,
मक्के वज़ण जो क़ेड़ो ज़रूर,

रग रग महिजी तोखे पुकारे,
रग रग महिजी तोखे पुकारे,
कलमों पड़न जो क़ेड़ो ज़रूर,
कलब अंदर में काबो दिठो,
मक्के वज़न जो क़ेड़ो ज़रूर,

सचल बेचारो कूरभ में कठड़ो,
सचल बेचारो कूरभ में कठड़ो,
काती कुअन जो क़ेड़ो ज़रूर,
मक्के वज़न जो क़ेड़ो ज़रूर,
कलब अंदर में काबो दिठो,


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Sachal Sarmast Kalam I Sakur Khan I Rajasthan Kabir Yatra 2018

Abdul Wahab, fondly known by his disciples as Sachal Sarmast, (intoxicated man of god and truth) was born in 1739 in a village called Daraza in Khairpur. He advocated the message of divine love through his poetry, which embodied the principles of mysticism and according to him was 'divine inspiration. He wrote his poetry in seven languages, including Sindhi, Seraiki, and Persian, and earned titles from his devotees like Haft-i-Zuban Shair (the poet of seven languages) and Sartaj-us-Shuara. There are nine compilations of his Persian poetry and his Sindhi and Seraiki work are the most celebrated.

Vocal : Sakur Khan & Indra Khan
Khartal : Abdul & Lateeb Khan 

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1 टिप्पणी

  1. Iska matlab kya hai ?