पर घर प्रीत मत कीजै लिरिक्स प्रकाश माली Par Ghar Preet Mat Kije Lyrics Prakash Mali Chetawani Bhajan
छैल चतुर रंग रसियां रै भँवरा,
पर घर प्रीत मत कीजै,
पराई नार आ नैण कटारी,
रुप देख मत रीझै,
रै भाई म्हाराँ पर घर प्रीत मत कीजे,
घर के मंदरियाँ में निपट (घोर ) अंधेरों,
पर घर दीवळा मत जोईजै,
घर को गुड़ काळो ही खाय लीजै,
पर चोरी की खाण्ड मत खाजै,
पर घर प्रीत मत कीजै,
रै भाई म्हाराँ पर घर प्रीत मत कीजे,
छैल चतुर रंग रसियां रै भँवरा,
पर घर प्रीत मत कीजै,
पराई नार आ नैण कटारी,
रुप देख मत रीझै,
रै भाई म्हाराँ पर घर प्रीत मत कीजे,
पराया खेत में बीज मत बाईजे (उगाना)
बीज अकारथ जावै,
कुळ में दाग जगत बदनामी,
बुरा करम मत कीजै,
पर घर प्रीत मत कीजै,
रै भाई म्हाराँ पर घर प्रीत मत कीजे,
छैल चतुर रंग रसियां रै भँवरा,
पर घर प्रीत मत कीजै,
पराई नार आ नैण कटारी,
रुप देख मत रीझै,
रै भाई म्हाराँ पर घर प्रीत मत कीजे,
भाइला री नार जामण जाई लागै,
बेहनड़ के बतळाजै,
कहत कबीर सुणो रे भाई साधु,
बैकुंठा पद पाजै,
रै भाई म्हाराँ पर घर प्रीत मत कीजे,
छैल चतुर रंग रसियां रै भँवरा,
पर घर प्रीत मत कीजै,
पराई नार आ नैण कटारी,
रुप देख मत रीझै,
रै भाई म्हाराँ पर घर प्रीत मत कीजे,
छैल चतुर रंग रसिया रे भंवरा,
पर घर प्रीत मत ही कीजै,
पर घर प्रीत मत कीजै,
पराई नारी रा रुप कटारी,
रूप देख मत रीझै,
रै भाई म्हाराँ पर घर प्रीत मत कीजे,
छैल चतुर रंग रसियां रै भँवरा,
पर घर प्रीत मत कीजै,
पराई नार आ नैण कटारी,
रुप देख मत रीझै,
रै भाई म्हाराँ पर घर प्रीत मत कीजे,
पर घर प्रीत मत कीजै,
पराई नार आ नैण कटारी,
रुप देख मत रीझै,
रै भाई म्हाराँ पर घर प्रीत मत कीजे,
घर के मंदरियाँ में निपट (घोर ) अंधेरों,
पर घर दीवळा मत जोईजै,
घर को गुड़ काळो ही खाय लीजै,
पर चोरी की खाण्ड मत खाजै,
पर घर प्रीत मत कीजै,
रै भाई म्हाराँ पर घर प्रीत मत कीजे,
छैल चतुर रंग रसियां रै भँवरा,
पर घर प्रीत मत कीजै,
पराई नार आ नैण कटारी,
रुप देख मत रीझै,
रै भाई म्हाराँ पर घर प्रीत मत कीजे,
पराया खेत में बीज मत बाईजे (उगाना)
बीज अकारथ जावै,
कुळ में दाग जगत बदनामी,
बुरा करम मत कीजै,
पर घर प्रीत मत कीजै,
रै भाई म्हाराँ पर घर प्रीत मत कीजे,
छैल चतुर रंग रसियां रै भँवरा,
पर घर प्रीत मत कीजै,
पराई नार आ नैण कटारी,
रुप देख मत रीझै,
रै भाई म्हाराँ पर घर प्रीत मत कीजे,
भाइला री नार जामण जाई लागै,
बेहनड़ के बतळाजै,
कहत कबीर सुणो रे भाई साधु,
बैकुंठा पद पाजै,
रै भाई म्हाराँ पर घर प्रीत मत कीजे,
छैल चतुर रंग रसियां रै भँवरा,
पर घर प्रीत मत कीजै,
पराई नार आ नैण कटारी,
रुप देख मत रीझै,
रै भाई म्हाराँ पर घर प्रीत मत कीजे,
छैल चतुर रंग रसिया रे भंवरा,
पर घर प्रीत मत ही कीजै,
पर घर प्रीत मत कीजै,
पराई नारी रा रुप कटारी,
रूप देख मत रीझै,
रै भाई म्हाराँ पर घर प्रीत मत कीजे,
छैल चतुर रंग रसियां रै भँवरा,
पर घर प्रीत मत कीजै,
पराई नार आ नैण कटारी,
रुप देख मत रीझै,
रै भाई म्हाराँ पर घर प्रीत मत कीजे,
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