परचासु पीर पधारया ओ रामा भजन
परचासु पीर पधारया ओ रामा भजन
परचासु पीर पधारया ओ रामा,
परशाद पीर पधारया ओ,
रमता रामदेव रणुजे भले आया,
रे राम मारा पीर जी,
द्वारकासु आया ओ राम।
पालने आवे नी मारा,
प्रेम गुरु पोढ़िया रे,
हालरिये हुलराया ओ रामा,
रमता रामदेव रणुजे भले आया,
रे राम मारा पीर जी,
द्वारकासु आया ओ राम।
पीर जी पधारिया नी,
आलम जानिया रे,
मेतल रे वर पाया ओ रामा,
रमता रामदेव रणुजे भले आया,
रे राम मारा पीर जी,
द्वारकासु आया ओ राम।
बिज ने भाद्रवा रो,
जमलो जगायो रे,
रूपारे वायकों आया ओ रामा,
रमता रामदेव रणुजे भले आया,
रे राम मारा पीर जी,
द्वारकासु आया ओ राम।
ले रे खड़ग रावलमल,
दे जी कापियां ओ,
थाली में बाग लगायो रे रामा,
रमता रामदेव रणुजे भले आया,
रे राम मारा पीर जी,
द्वारकासु आया ओ राम।
हरी रे शरणा में भाटी,
हरजी यूं बोलिया रे,
जुगड़ा में ज्योत सवाई ओ रामा,
रमता रामदेव रणुजे भले आया,
रे राम मारा पीर जी,
द्वारकासु आया ओ राम।
परशाद पीर पधारया ओ,
रमता रामदेव रणुजे भले आया,
रे राम मारा पीर जी,
द्वारकासु आया ओ राम।
पालने आवे नी मारा,
प्रेम गुरु पोढ़िया रे,
हालरिये हुलराया ओ रामा,
रमता रामदेव रणुजे भले आया,
रे राम मारा पीर जी,
द्वारकासु आया ओ राम।
पीर जी पधारिया नी,
आलम जानिया रे,
मेतल रे वर पाया ओ रामा,
रमता रामदेव रणुजे भले आया,
रे राम मारा पीर जी,
द्वारकासु आया ओ राम।
बिज ने भाद्रवा रो,
जमलो जगायो रे,
रूपारे वायकों आया ओ रामा,
रमता रामदेव रणुजे भले आया,
रे राम मारा पीर जी,
द्वारकासु आया ओ राम।
ले रे खड़ग रावलमल,
दे जी कापियां ओ,
थाली में बाग लगायो रे रामा,
रमता रामदेव रणुजे भले आया,
रे राम मारा पीर जी,
द्वारकासु आया ओ राम।
हरी रे शरणा में भाटी,
हरजी यूं बोलिया रे,
जुगड़ा में ज्योत सवाई ओ रामा,
रमता रामदेव रणुजे भले आया,
रे राम मारा पीर जी,
द्वारकासु आया ओ राम।
ओ थारा परचा रो नहीं पार || Prakash mali || Rajasthani Baba ram dev ji Bhajan || मारा रामा राज कुंवर
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बाबा रामदेव जी 'रामसा पीर' या 'रूणीचा रा धणी' है जो सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक भी है, जिनकी पूजा हिंदू और मुस्लिम दोनों ही धर्मों के लोग करते हैं। इन्हें भगवान कृष्ण का अवतार माना जाता है, जिनका जन्म चौदहवीं शताब्दी में बाड़मेर के उडूकासमेर गाँव में हुआ था और जिन्होंने अपने जीवनकाल में समाज सुधारक के रूप में मूर्ति पूजा और जाति व्यवस्था का घोर विरोध किया। बाबा रामदेव जी ने कामड़िया पंथ की स्थापना की, जिसके अनुयायी उनके मेले में 'तेरहताली नृत्य' प्रस्तुत करते हैं, और इनका मुख्य मंदिर राजस्थान के जैसलमेर जिले के रामदेवरा (रूणीचा) में स्थित है, जहाँ प्रतिवर्ष भाद्रपद माह में एक विशाल मेला भरता है।
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बाबा रामदेव जी 'रामसा पीर' या 'रूणीचा रा धणी' है जो सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक भी है, जिनकी पूजा हिंदू और मुस्लिम दोनों ही धर्मों के लोग करते हैं। इन्हें भगवान कृष्ण का अवतार माना जाता है, जिनका जन्म चौदहवीं शताब्दी में बाड़मेर के उडूकासमेर गाँव में हुआ था और जिन्होंने अपने जीवनकाल में समाज सुधारक के रूप में मूर्ति पूजा और जाति व्यवस्था का घोर विरोध किया। बाबा रामदेव जी ने कामड़िया पंथ की स्थापना की, जिसके अनुयायी उनके मेले में 'तेरहताली नृत्य' प्रस्तुत करते हैं, और इनका मुख्य मंदिर राजस्थान के जैसलमेर जिले के रामदेवरा (रूणीचा) में स्थित है, जहाँ प्रतिवर्ष भाद्रपद माह में एक विशाल मेला भरता है।
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Author - Saroj Jangir
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