कृष्ण के नाम व हिंदी मीनिंग
कृष्ण के नाम व हिंदी मीनिंग
जय श्री कृष्णा, भगवान श्री कृष्ण समस्त जीवों के हृदय में निवास करते हैं और सभी के प्रति करुणा रखने वाले कृष्ण जी के नाम भी अनेकों हैं। श्री कृष्ण जी को कई नामों से जाना जाता है जो अधिकतर उनकी लीलाओं के प्रतीक के रूप में हैं। यहाँ भगवान श्री कृष्ण जी के नाम और उनके अर्थ दिए जा रहे हैं.
- कृष्ण : रंग में कुछ गहरे, श्री कृष्ण। श्री कृष्ण जी का रंग "श्याम" माना जाता है।
- मुरलीधर : बांसुरी को धारण करने वाले/श्री कृष्ण सदा बांसुरी/मुरली को अपने साथ रखते थे।
- गिरिधर: पर्वत को अपनी अँगुलियों पर उठाने वाले, श्री कृष्ण जी ने गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर उठाया था।
- कमलनाथ : भगवान विष्णु, कमला (लक्ष्मी) के स्वामी।
- राधा रमण : राधा जी से रमण करने वाले।
- पीतांबर धारी : पीले वस्त्रों को धारण करने वाले, श्री कृष्ण अपने तन पर पीले रंग के वस्त्र धारण करते थे।
- मधुसूदन : मधु नामक असुर का वध करने वाले, श्री कृष्ण। भगवान विष्णु जी ने मधु नाम के दैत्य का अंत किया था। विष्णु जी के आठवें अवतार होने के कारण श्री कृष्ण को "मधुसूदन" के नाम से जाना जाता है।
- देवकी नंदन : माता देवकी के पुत्र। श्री कृष्ण की माता का नाम देवकी था और उनका पालन पोषण माता यशोदा ने किया था। श्री कृष्ण जी के पिता का नाम वासुदेव जी था। श्री कृष्ण का जन्म मथुरा के कारागृह में हुआ था और वे माता देवकी और वासुदेव की ८वीं संतान थे।
- गोपाल या गोपाला : गाय के पालक।
- श्याम: सांवले/गहरे रंग वाला।
- रणछोर: युद्ध भूमि स भागने वाले
- मोहन: सम्मोहित करने वाले।
- द्वारकाधीश :द्वारका नगरी के स्वामी/मालिक।
- बनवारी: वनो में विहार करने वाले।
- मुकुंद: निधियों के स्वामी/मालिक।
- माधव: माया के पति।
- गोविन्द : गायों का रखवाला। गोविन्द और गोविंदा, दोनों शब्दों के एक ही अर्थ हैं।
- गोपाल : गायों का पालक, गायों के संरक्षक, श्री कृष्ण।
- कुञ्ज बिहारी : कुञ्ज का मतलब होता है विभिन हरे भरे फूलों का उद्यान और बिहारी से आशय विहार पर जाने वाले। श्री कृष्ण जी श्री राधा जी के साथ रमणीय उद्यानों में जाते थे, तभी से श्री कृष्ण जी को कुञ्ज बिहारी कहा जाता है।
- बांके बिहारी : श्री कृष्ण को बांके बिहारी भी कहा जाता है। बांके से आशय है जो सज धज कर रहता हो और बिहारी से आशय है विहार करने वाला। श्री हरिदास जी के समक्ष सर्प्रथम श्री कृष्णा जी सज धज कर उपस्थिति हुए थे तभी से श्री कृष्ण जी को बांके बिहारी के नाम से भी जाना जाता है। दूसरी मान्यता के मुताबिक़ श्री कृष्ण जी की मूरत कुछ झुकी हुई है इसलिए श्री कृष्ण जी को बांके बिहारी कहा जाता है।
- पीतांबर : पीले रंग के वस्त्र धारण करने वाले।
- अच्युत : अच्युत शब्द का उपयोग भी श्री कृष्ण जी के लिए किया जाता है। अच्युत से आशय है कभी समाप्त / पतन नहीं होने वाला, शाश्वत।
- नंदलाला : भगवान् श्री कृष्ण नन्द जी के पुत्र के रूप में।
- नन्द किशोर : नन्द जी के पुत्र/शिशु।
- दामोदर : जिसके पेट पर रस्सी बाँध दी गई हो, माता यशोदा ने श्री कृष्ण की शरारतों के कारण उनको बाँध दिया था।
- रास रचैया : भगवान श्री कृष्ण राधा जी और गोपियों के साथ रास रचाते थे इसलिए श्री कृष्ण जी को रास रचैया कहा जाता है।
- मुरारी : मुरा नाम के दैत्य को समाप्त करने वाले/मुरा के शत्रु।
- पांडुरंग : पाण्डु - पीला, रंग -वर्ण। पांडुरंगा/ पांडुरंग श्री कृष्ण जी का नाम है, क्योंकि वे पीले रंग के वस्त्र धारण करते थे। इसके अतिरिक्त श्री कृष्ण जी गायों को चराकर जब शाम को गोधूलि के वक़्त वापस लौटते थे तो गायों के खुरों से धुल उड़ती थी और इसी उड़ती धूल से श्री कृष्ण जी का श्यामल रंग "पाण्डु"हो जाता था जिसके कारण श्री कृष्ण जी को पांडुरंग कहा जाता है।
- विष्टरश्रवा : विष्टरश्रवा ब्रह्मवैवर्तपुराण में प्राप्त उल्लेख के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का ही एक प्रसिद्ध नाम है। जिसका अर्थ है तीनों लोकों के समस्त प्रदार्थों को जानने वाला।
- श्रीश : भगवान विष्णु के सहस्रनामों में से एक नाम है। "रीदः श्रीश: श्रीनिवास: श्रीनिधि: श्रीविभावनः।,श्रीधरः श्रीकरः
- श्रेयः श्रीमाँल्लोकत्रयाश्रयः ॥ "श्रीश" से आशय है ‘श्रीः+ईश’। "श्री" अर्थात लक्ष्मी और "ईश" अर्थात "स्वामी या पति" अर्थात लक्ष्मी माता के स्वामी भगवान विष्णु।भगवान विष्णु जी के अवतार के रूप में श्री कृष्ण जी को इसी नाम से जाना जाता है।
- हरि : भगवान श्री विष्णु। "हरि हरति पापानि"
- आनंद कंद: आनंद की राशि प्रदान करने वाले।
- गोपेश : गोपियों के स्वामी/मालिक।
- कंसारी: कंस के शत्रु, भगवान् श्री कृष्ण कंस के शत्रु थे।
- यदुपति: यादवों के मालिक।
- वसुदेवात्मज :वासुदेव के पुत्र श्रीहरिः।। ।। श्री निम्बार्काय नमः।। यदुकुल शिरोमणि परममंगलमय अखिलेश्वर अनन्त कोटि ब्रह्माण्ड नायक अकारण करुणावरुणालय अखिलभुवनाधिपति ,यदुकुलकमलदिवाकर, लोकेश्वर, योगेश्वरेश्वर , परमैश्वर्यसम्पन्न, विप्रधेनुसुरसंतसंरक्षक,नन्दनन्दन यशोदानंदन वसुदेवात्मज देवकीसुत भगवान् श्रीकृष्ण की जय।
- पुण्य : अति पावन/शुद्ध।
- लीलामानुष विग्रह : मानव जाती को भूतकाल के दर्शन के लिए राजी करने वाला।
- श्रीवत्स कौस्तुभधराय : श्री वत्स और कौस्तुभ रत्न धारण किए हुए।
- यशोदावत्सल : माता यशोदा के शिशु (कृष्ण)
- चतुर्भुजात्त चक्रासिगदा : चारों भुजाओं में शास्त्र धारण किए हुए।
- सङ्खाम्बुजा युदायुजाय : सुदर्शन-चक्र, तलवार, गदा, शंख कमल, कमल का फूल को धारण करने वाले।
- श्रीशाय : माता लक्ष्मी का निवास (विष्णु)
- नन्दगोप प्रियात्मज : नन्दगोप (नन्द जी ) का प्रिय शिशु।
- यमुनावेगा संहार : यमुना जी के वेग का संहार करने वाले, वेग को कम करने वाले।
- बलभद्र प्रियनुज : बलराम के छोटे भाई।
- पूतना जीवितहर : पूतना नामक राक्षिसी का वध करने वाल।
- शकटासुर भञ्जन : दैत्य दानव शकटासुर का वध करने वाले/संहार करने वाले।
- नन्दव्रज जनानन्दिन : नन्द जी और बृज के निवासियों को प्रसन्न करने वाले।
- सच्चिदानन्दविग्रह : अस्तित्व, जागरूकता और आनंद के अवतार।
- नवनीत विलिप्ताङ्ग : शरीर पर माखन लगा हो।
- नवनीतनटन : माखन के लिए नाचने वाले।
- मुचुकुन्द प्रसादक : मुचुकुन्द को धारण करने वाले।
- षोडशस्त्री सहस्रेश : सोलह हज़ार स्त्रियों के स्वामी।
- त्रिभङ्गी : तीन बल के साथ खड़े होने वाले।
- मधुराकृत : बहुत ही आकर्षक रूप वाले।
- शुकवागमृताब्दीन्दवे : सुकदेव के मतानुसार अमृत का सागर।
- योगीपति : योगियों के स्वामी/योगियों के प्रभु।
- वत्सवाटि चराय : गाय के बछड़ों की देखभाल करने वाला/चराने वाला।
- अनन्त : जो कभी अंत/समाप्त नहीं हो, शास्वत।
- धेनुकासुरभञ्जनाय : आस दानव धेनुकासुर को पराजित करने वाले।
- तृणी-कृत-तृणावर्ताय : भयंकर दानव त्रिनवार्ता को पराजित करने वाले।
- तमाल श्यामल कृता : तमाल वृक्ष के पत्तों की भाँती काले पत्तों वाले।
- गोप गोपीश्वर : गोप और गोपियों के स्वामी।
- रूक्मिणी देव : रुक्मिणी जी के स्वामी।
- राधाप्राण आधार : राधा जी को प्राणों से प्रिय।
Krishna 108 Namavali - Ravindra Sathe
श्री कृष्णा जी के सभी नाम और अर्थ
- कृष्ण : जो सभी को आकर्षित करता है
- गोविंद : गाएँ चराने वाला
- वासुदेव : वासुदेव के पुत्र
- जनार्दन : संसार के रक्षक
- मुरारी : मुर नामक असुर का संहारक
- केशव : लंबे बालों वाला
- माधव : लक्ष्मीपति
- गोपाल : गाएँ पालने वाला
- द्वारकेश : द्वारका के स्वामी
- यशोदानंदन : यशोदा के पुत्र
- नंदनंदन : नंद बाबा के पुत्र
- श्यामसुंदर : काले रंग के सुंदर
- राधानाथ : राधा के स्वामी
- परंज्योति : दिव्य प्रकाश
- अच्युत : जो कभी नष्ट नहीं होता
- मुरलीधर : बांसुरी धारण करने वाला
- वृन्दावनसंचारी : वृन्दावन में विचरण करने वाला
- बलरामप्रिय : बलराम के प्रिय
- जगन्नाथ : संसार के स्वामी
- चक्रधर : सुदर्शन चक्र धारण करने वाला
- हृषिकेश : इंद्रियों के स्वामी
- व्रजराज : व्रजभूमि के राजा
- परब्रह्म : परम ईश्वर
- अनन्त : जो अनंत है
- नारायण : संसार का पालनकर्ता
- त्रिविक्रम : तीन लोकों में विजय पाने वाला
- पतितपावन : पापियों का उद्धारक
- परमात्मा : सर्वश्रेष्ठ आत्मा
- साक्षी : साक्षी रूप में उपस्थित
- योगेश्वर : योग का स्वामी
- विश्वरूप : समस्त संसार का रूप
- सर्वेश्वर : सभी के स्वामी
- जगद्गुरु : संसार के गुरु
- आनंदमय : आनंद से भरा हुआ
- कृपालु : दयालु
- दामोदर : कमर में रस्सी बांधने वाला
- भक्तवत्सल : भक्तों का प्रिय
- परमेश्वर : सर्वशक्तिमान
- चन्द्रभानु : चन्द्र के समान तेजस्वी
- वेदांत : वेदों का अंत
- देवकीनंदन : देवकी के पुत्र
- अर्णव : ज्ञान का सागर
- अद्वितीय : जिसका कोई दूसरा नहीं
- यज्ञेश्वर : यज्ञ के स्वामी
- सुदर्शन : सुंदर दिखने वाला
- पुरुषोत्तम : उत्तम पुरुष
- अजेय : जिसे कोई हरा नहीं सकता
- यज्ञपतिः : यज्ञों के स्वामी
- परमपुरुष : सर्वोच्च पुरुष
- गोवर्धनधर : गोवर्धन पर्वत उठाने वाले
- दीनबंधु : दीनों के साथी
- योगमाया : योग की माया धारण करने वाले
- मुरारिप्रिया : मुरारी के प्रिय
- नीलकंठ : विषपान करने वाले
- देवाधिदेव : देवताओं के स्वामी
- त्रिलोकनाथ : तीनों लोकों के स्वामी
- शरणागतवत्सल : शरण में आने वालों के प्रिय
- भूधर : पृथ्वी को धारण करने वाले
- दयानिधि : दया के सागर
- भवबन्धव : संसार बंधन से मुक्त करने वाले
- धर्मराज : धर्म के पालक
- कालेश्वर : समय के स्वामी
- नित्य : सदा रहने वाले
- ब्रह्मण्यदेव : ब्राह्मणों के रक्षक
- अमृत : अमर
- कौलिन : श्रेष्ठ कुल में जन्म लेने वाले
- सर्वज्ञ : सब कुछ जानने वाले
- प्रीतिकर : प्रिय करने वाले
- आनन्दकंद : आनंद के मूल
- आत्मरूप : आत्मा का रूप
- ज्ञानमूर्ति : ज्ञान की मूर्ति
- शक्ति : शक्ति से युक्त
- सच्चिदानंद : सत्य, चित और आनंद का स्वरूप
- गदाधर : गदा धारण करने वाले
- शरण्य : शरणागतों का रक्षक
- वीर्यवान : वीरता से परिपूर्ण
- करुणाकर : दया करने वाले
- धर्मपाल : धर्म का पालन करने वाले
- ज्ञानवान : ज्ञान से संपन्न
- अभय : निर्भय
- काल : समय का रक्षक
- श्रीधर : लक्ष्मीपति
- महासेन : महान योद्धा
- शान्तिप्रिय : शांति को प्रिय
- पापहर : पापों का नाश करने वाले
- पुण्यात्मा : पुण्य से परिपूर्ण
- सत्य : सत्य का पालन करने वाले
- अभिगम्य : सहज प्राप्त होने वाले
- महाप्रभु : महान स्वामी
- अर्चित : पूजित
- भव : सृष्टि के उत्पत्ति करने वाले
- श्रीवल्लभ : लक्ष्मी के प्रिय
- योगिध्येय : योगियों द्वारा ध्यान किए जाने वाले
- मुक्तिदाता : मोक्ष प्रदान करने वाले
- सुशील : सुशोभित और विनम्र
- धर्मरक्षक : धर्म की रक्षा करने वाले
- शौर्यवान : शौर्य से युक्त
- अनिरुद्ध : जिन्हें कोई नहीं रोक सकता
- सर्वगत : जो सर्वत्र व्याप्त हैं
- जयंत : सदैव विजयी
- ओंकारेश : ओंकार रूप
- कृष्ण : सभी को आकर्षित करने वाले
- वासुदेव : वासुदेव के पुत्र
- संकर्षण : बलराम के भाई
- प्रद्युम्न : कमल के समान तेजस्वी
- अनिरुद्ध : जिन्हें कोई नहीं रोक सकता
- पुरुषोत्तम : सबसे श्रेष्ठ पुरुष
- श्रीधर : लक्ष्मीपति
- नारायण : समस्त सृष्टि के पालनकर्ता
- हृषिकेश : इंद्रियों के स्वामी
- पद्मनाभ : नाभि में कमल धारण करने वाले
- माधव : लक्ष्मी के पति
- गोविंद : गाएँ चराने वाले
- द्वारकेश : द्वारका के राजा
- वेणुधारी : बांसुरी धारण करने वाले
- श्यामसुंदर : सुंदर काले रंग के
- परशुराम : परशु धारण करने वाले
- श्रीनिवास : लक्ष्मी का निवास
- जनार्दन : संसार का पालन करने वाले
- गोपाल : गाएँ पालने वाले
- यशोदानंदन : यशोदा के पुत्र
- मुकुंद : मोक्ष प्रदान करने वाले
- गदाधर : गदा धारण करने वाले
- जगन्नाथ : संसार के स्वामी
- अच्युत : जिन्हें नष्ट नहीं किया जा सकता
- केसव : केशवधारी
- नंदनंदन : नंद बाबा के पुत्र
- देवकीनंदन : देवकी के पुत्र
- बलभद्र : बलराम के भाई
- त्रिविक्रम : तीनों लोकों में विजय पाने वाले
- वामन : बौने ब्राह्मण रूप में विष्णु
- योगेश्वर : योग के स्वामी
- विश्वरूप : संपूर्ण ब्रह्मांड का रूप
- कंसविध्वंस : कंस का संहारक
- पाण्डवानुज : पांडवों के छोटे भाई
- नारसिंह : आधे मानव-आधे सिंह रूप
- हिरण्यकशिपुध्वंस : हिरण्यकशिपु का विनाश करने वाले
- वराह : वराह रूप में प्रकट हुए
- नारायण : विष्णु के रूप
- प्रलंबासुरविध्वंस : प्रलंबासुर का नाश करने वाले
- केशीहंता : केशी असुर का नाश करने वाले
- कंसहंता : कंस को मारने वाले
- कामधन : इच्छाओं की पूर्ति करने वाले
- परमात्मा : सर्वोच्च आत्मा
- मुरलीधर : बांसुरी धारण करने वाले
- मुरारिप्रिया : मुर नामक असुर का नाश करने वाले
- पापविनाशक : पापों को हरने वाले
- धर्मरक्षक : धर्म की रक्षा करने वाले
- शरणागतवत्सल : शरण में आने वालों को प्रिय
- पराक्रम : अपार शक्ति वाले
- विश्वेश्वर : ब्रह्मांड के स्वामी
- विश्वपालक : विश्व का पालन करने वाले
- सुदर्शन : सुंदर दिखने वाले
- चक्रधर : सुदर्शन चक्र धारण करने वाले
- विष्णु : त्रिलोकी के पालक
- अचिन्त्य : अचिंत्य शक्तियों वाले
- देवाधिदेव : देवताओं के स्वामी
- भुवनपाला : पृथ्वी के रक्षक
- ब्रह्मचारी : ब्रह्मचारी रूप में रहने वाले
- यज्ञेश्वर : यज्ञों के स्वामी
- शांत : शांत स्वभाव के
- अमृत : अमर
- दिव्यकांत : दिव्य तेजस्वी
- ब्रह्मचारी : ब्रह्मचर्य पालन करने वाले
- सर्वज्ञ : सर्वज्ञानी
- सर्वेश्वर : सभी के स्वामी
- भक्तवत्सल : भक्तों का प्रिय
- पापनाशक : पापों का नाश करने वाले
- सत्यमूर्ति : सत्य के अवतार
- ध्यानयोगेश्वर : ध्यान के स्वामी
- सर्वज्ञानी : सब कुछ जानने वाले
- त्रिलोकेश : तीनों लोकों के स्वामी
- नारदप्रिय : नारद मुनि को प्रिय
- परब्रह्म : परम तत्व
- तपस्वी : तपस्वी रूप में रहने वाले
- विश्वात्मा : संपूर्ण सृष्टि की आत्मा
- ज्ञानवान : ज्ञान से युक्त
- आनंदकंद : आनंद का मूल
- विष्णुरूप : विष्णु के रूप
- योगनिष्ठ : योग में स्थिर
- महायोगी : महान योगी
- कृष्णायन : श्री कृष्ण का आश्रय
- जगद्गुरु : संसार के गुरु
- धर्मपाला : धर्म के पालक
- पुण्यात्मा : पुण्य के सागर
- भुवनेश्वर : संसार के स्वामी
- चतुर : चतुर बुद्धिमान
- कारुण्य : दयालु
- त्रिवेणी : तीन शक्तियों से युक्त
- जनप्रिय : जनों के प्रिय
- निर्गुण : गुणों से रहित
- ध्यानयोगी : ध्यान में स्थित
- नीलकंठ : विषपान करने वाले
- पार्थसारथी : अर्जुन के सारथी
- योगमाया : योग की माया धारण करने वाले
- कात्यायनप्रिय : कात्यायनी देवी को प्रिय
- शरणागत : शरणागतों को आश्रय देने वाले
- कलाधर : कलाओं में श्रेष्ठ
- वीर्यवान : वीरता से युक्त
- अद्वितीय : जिसके समान कोई नहीं
