द्वारका में रखा सुदामा ने पहला कदम
द्वारका में रखा सुदामा ने पहला कदम,
उसी पल हो गई आँखें कान्हा की नम,
द्वारका में रखा सुदामा ने पहला कदम।
कैसे दौड़े कन्हैया कुछ कहा नहीं जाए,
बिना मिले मेरे श्याम से अब रहा नहीं जाए,
कान्हा को देख सुदामा भी भूल गए ग़म,
उसी पल हो गई आँखें कान्हा की नम,
द्वारका में रखा सुदामा ने पहला कदम।
अपने हाथों से कान्हा छप्पन भोग खिलाये,
सब रानिया सेवा में मिलके चंवर डुलाये,
सेवा मैं जितनी करूँ आज उतनी है कम,
उसी पल हो गई आँखें कान्हा की नम,
द्वारका में रखा सुदामा ने पहला कदम।
भोला भाला सुदामा अपनी पोटली छुपाये,
अन्तर्यामी मेरे श्याम से वो छुप नहीं पाए,
मेरे रहते प्यारे सही तुमने कितने सितम,
उसी पल हो गई आँखें कान्हा की नम,
द्वारका में रखा सुदामा ने पहला कदम।
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