जगत में कोई ना परमानेंट मीनिंग

जगत में कोई ना परमानेंट मीनिंग

 
जगत में कोई ना परमानेंट मीनिंग Jagat Me Koi Na Paramanent Prakash Gandhi

जगत में कोई ना परमानेंट,
जगत में कोई ना परमानेंट,
तेल चमेली या फिर साबुन,
तेल चमेली चन्दन साबुन,
चाहे लगा लो सेंट,
जगत में कोई ना परमानेंट,
जगत में कोई ना परमानेंट।

आवागमन लगी दुनियाँ में,
जगत है रेस्टोरेंट,
अंत समय में उखड जाएंगे,
तेरे तम्बू टेंट,
जगत में कोई ना परमानेंट,
जगत में कोई ना परमानेंट।

हरिद्वार चाहे, काशी मथुरा,
घूमो दिल्ली केंट,
रे प्यारे घूमो दिल्ली केंट,
मन में नाम गुरु का राखो,
धोती पहरो या पेंट,
जगत में कोई ना परमानेंट,
जगत में कोई ना परमानेंट।

राष्ट्रपति हो कर्नल जनरल,
या हो लेफ्टिडेंट,
काल सभी को खा जाएगा,
काल सभी को खा जाएगा,
लेडीज हो या जेंट्स,
जगत में कोई ना परमानेंट,
जगत में कोई ना परमानेंट।

साधू संत की संगत कर लो ,
ये है सच्ची गोरमेंट,
लाल सिंह कहे इस दफ्तर से,
लाल सिंह कहे इस दफ्तर से’,
मत होना एबसेंट,
जगत में कोई ना परमानेंट,
जगत में कोई ना परमानेंट।

कोई ना परमानेंट जगत में,
कोय ना परमानेंट,
जगत में कोई ना परमानेंट,
जगत में कोई ना परमानेंट। 

जगत में कोई ना परमानेंट

जगत में कोई ना परमानेंट : इस जगत में कोई भी स्थाई रूप से नहीं है। एक रोज सभी को इस जगत को छोड़ कर खाली हाथ चले जाना है।
तेल चमेली चन्दन साबुन, चाहे लगा लो सेंट : तुम अपनी काया का कितना भी ध्यान रख लो, तुम्हे इसे छोड़ना ही होगा यही जगत की रीत है। भले ही चमेली का तेल, खुशबूदार तेल लगा लो या फिर इत्र लगा लो काया का बल्ब तो फ्यूज हो ही जाना है।
आवागमन लगी दुनियाँ में, जगत है रेस्टोरेंट : इस जगत में एक आता है और एक जाता है, इस प्रकार से आवागमन लगी हुई है।
अंत समय में उखड जाएंगे, तेरे तम्बू टेंट : अंत समय में तेरे तम्बू और टेंट वक़्त की आंधी में उखड ही जाएंगे, कोई स्थाई नहीं है इस जीवन में।
हरिद्वार चाहे, काशी मथुरा, घूमो दिल्ली केंट : तुम कहीं पर भी घूम लो, हरिद्वार, काशी और दिल्ली।
मन में नाम गुरु का राखो, धोती पहरो या पेंट : बाहरी आवरण से कुछ प्राप्त नहीं होता है, भले ही तुम धोती पहनों या फिर पेंट, इससे कोई फरक नहीं पड़ता है। बस अपने हृदय में हरी के नाम का आधार रखो।
राष्ट्रपति हो कर्नल जनरल, या हो लेफ्टिडेंट : कोई भले ही राष्ट्रपति हो या कर्नल हो या जर्नल सभी को जाना है।
काल सभी को खा जाएगा, लेडीज हो या जेंट्स : यह काल सभी को एक रोज अपना शिकार बना लेगा भले ही वो लेडीज हो या जेंट्स। वहां कोई रियायत नहीं है, सभी की एक ही दाम से टिकट कटती है जनाब।
साधू संत की संगत कर लो , ये है सच्ची गोरमेंट : साधू की संगत ही सच्ची सरकार है। यह आप पर है की आप किसे साधू/संत मानते हैं। यदि आपने चूक की तो आप भी एक भीड़ का ही हिस्सा होकर रह जाएंगे और अंत में स्वयं को ठगा सा महसूस करेंगे।
लाल सिंह कहे इस दफ्तर से’, मत होना एबसेंट : लाल सिंह जो इस भजन के लेखक हैं कहते हैं की कभी भी ईश्वर के नाम सुमिरण रूपी दफ्तर से एब्सेंट मत होना, गैर हाजिर नहीं होना बाकी ये संसारी तो यूँ ही नट की तरह से नाचते आए हैं और नाचेंगे। जय श्री नाथ जी महाराज, बाबो भली करे सा। 


जगत में कोई ना परमानेन्ट | Prakash Gandhi | Jagat Mein Koi Na Permanent | Chetavani Bhajan

Jagat Mein Koee Na Paramaanent,
Jagat Mein Koee Na Paramaanent,
Tel Chamelee Ya Phir Saabun,
Tel Chamelee Chandan Saabun,
Chaahe Laga Lo Sent,
Jagat Mein Koee Na Paramaanent,
Jagat Mein Koee Na Paramaanent.
 
यह भजन संसार की नश्वरता का वर्णन करता है। भजनकार कहता है कि संसार में कुछ भी स्थायी नहीं है। धन, संपत्ति, सुख, ऐश्वर्य, सब कुछ नष्ट हो जाएगा। यहां तक ​​कि जीवन भी एक क्षण भर का है।
 
⇨Song : Jagat Mein Koi Na Permanent
⇨Album : Sant Sandesh
⇨Singer : Prakash Gandhi
⇨Music : PMC Studio
⇨Lyrics : Lal Singh Ji
 
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