थारी मोह माया ने छोड राम जी ने भज Thari Moh Maaya Ne Chhod Raam Ji Ne Bhaj
थारी मोह माया ने,
छोड राम जी ने भज रे,
ओ हरि ने भज रे,
थारी उमर बीती जाय रे,
क्रोध ने तज रे।
थारा सिर में आया बाळ धौळा,
की लज रे,
धौळा की लज रे,
थारा माथा पे डौल रह्यो काळ,
भरम ने तज रे,
थारी उमर बीती जाय रे,
क्रोध ने तज रे।
थारा गोडा दिया जवाब,
कमर गई लुळ रे,
थारी आँख्या सूं दिखे नाहीं,
कान गया रुझ रे,
थारी उमर बीती जाय रे,
क्रोध ने तज रे।
थारी तिरिया बोले बोल,
क़दर नहीं करे रे,
थारी तिरिया छोड़ दियो हेत,
क़दर नहीं करे रे,
थारा बेटा बोल बोल,
मरो लो कद रे,
थारी उमर बीती जाय रे,
क्रोध ने तज रे।
कह गया दास कबीर,
गुदडो लद रे,
हरि ने भज ले,
थारो लेखो लेसी राम,
मरो लो जद रे,
थारी उमर बीती जाय रे,
क्रोध ने तज रे।
थारी मोह माया ने,
छोड़ राम जी ने भज रे,
थारी उमर बीती जाए रे,
क्रोध ने तज रे,
थारी उमर बीती जाय रे,
क्रोध ने तज रे।
छोड राम जी ने भज रे,
ओ हरि ने भज रे,
थारी उमर बीती जाय रे,
क्रोध ने तज रे।
थारा सिर में आया बाळ धौळा,
की लज रे,
धौळा की लज रे,
थारा माथा पे डौल रह्यो काळ,
भरम ने तज रे,
थारी उमर बीती जाय रे,
क्रोध ने तज रे।
थारा गोडा दिया जवाब,
कमर गई लुळ रे,
थारी आँख्या सूं दिखे नाहीं,
कान गया रुझ रे,
थारी उमर बीती जाय रे,
क्रोध ने तज रे।
थारी तिरिया बोले बोल,
क़दर नहीं करे रे,
थारी तिरिया छोड़ दियो हेत,
क़दर नहीं करे रे,
थारा बेटा बोल बोल,
मरो लो कद रे,
थारी उमर बीती जाय रे,
क्रोध ने तज रे।
कह गया दास कबीर,
गुदडो लद रे,
हरि ने भज ले,
थारो लेखो लेसी राम,
मरो लो जद रे,
थारी उमर बीती जाय रे,
क्रोध ने तज रे।
थारी मोह माया ने,
छोड़ राम जी ने भज रे,
थारी उमर बीती जाए रे,
क्रोध ने तज रे,
थारी उमर बीती जाय रे,
क्रोध ने तज रे।
थारी मोह माया ने छोड राम जी ने भज रे
थारी मोह माया ने, छोड राम जी ने भज रे : यह एक लोकप्रिय राजस्थानी चेतावनी भजन है जिसमे जीवात्मा को सन्देश है की एक रोज काल तुझे आकर पकड़ लेगा। यह जीवन सदा के लिए नहीं है। इसलिए मोह माया को छोड़कर राम के भजन में अपना ध्यान लगाओ। राम भजन ही मुक्ति पथ का आधार है।
थारी उमर बीती जाय रे, क्रोध ने तज रे : तेरी उम्र तो बातों ही बातों में बीत रही है, अब तो अभिमान और क्रोध को छोड़ दो। उल्लेखनीय है की हम सोचते हैं की हम सभी जिम्मेदारियों से निवृत होकर, मुक्त होकर एक रोज हरी के भजनों में लगेंगे। ऐसा दिवस कभी नहीं आता है क्योंकि हम मोह माया में फंसकर रहते हैं कभी मुक्त हो ही नहीं पाते हैं। इसलिए अभी से हरी सुमिरन को आरम्भ करना होगा।
थारा सिर में आया बाळ धौळा, की लज रे : तुम्हारी उम्र बीत गई है और तुम्हारे माथे/सर पर सफ़ेद/धौळा बाल आ गए हैं, भाव है की बुढ़ापा आ गया है।
धौळा की लज रे : इस बुढ़ापे की तुम थोड़ी बहुत तो लाज रखो, शर्म रखो और हरी भक्ति में अपने ध्यान को लगाओ।
थारा माथा पे डौल रह्यो काळ, भरम ने तज रे : तुम्हारे सर के ऊपर काल मंडरा रहा है। उचित अवसर आते ही वह तुम्हे अपना शिकार बना लेगा। मृत्यु एक रोज आनी है जो कटु सत्य है। इसलिए अपने समय को धंध फंड में बर्बाद मत करो और हरी के चरणों में अपना ध्यान लगाओ।
थारा गोडा दिया जवाब, कमर गई लुळ रे : जब बुढ़ापा आया है तो गोडे /घुटनों ने जवाब दे दिया है। जवाब देने से मतलब है की अब वह तुम्हारे मन का साथ नहीं दे रहे हैं। कमर भी आगे की और लुळ /झुक गई है।
थारी आँख्या सूं दिखे नाहीं, कान गया रुझ रे : कान रुझ/बंद हो गए हैं और आँखों से दिखना बंद हो गया है। यह बुढ़ापे की सच्चाई है की शारीरिक अंग एक एक करके जवाब देना शुरू कर देते हैं।
थारी उमर बीती जाय रे, क्रोध ने तज रे : इसलिए अभी से ईश्वर के नाम में अपना ध्यान लगाओ। सच्चा सुमिरण है, बाकी सब यहीं पर धरा रह जाना है।
थारी तिरिया बोले बोल, क़दर नहीं करे रे क़दर नहीं करे रे,: तुम्हारी स्त्री/त्रिया तुम्हारे सामने बोलने लग गई है। उसने तुमसे हेत/प्रेम को त्याग दिया है क्योंकि अब तुम किसी काम के नहीं रहे हो। बुढ़ापे में ना तो तुम कमा पाते हो और नाहीं तुम अन्य किसी कार्य के रह जाते हो, ये संसार ऐसा ही है।
थारा बेटा बोल बोल, मरो लो कद रे : तुम्हारे बेटे जो तुमको जान से प्रिय रहे हैं वे भी कहने लग जाते हैं की जाने तुम कब मरोगे ? वे तेरे मरने की बाट /इन्तजार में लगे रहते हैं।
कह गया दास कबीर, गुदडो लद रे : कबीर दास जी कहते हैं की भाई ! अपने बिस्तर/गूदड़ों को सम्भालो ये लदने वाले हैं। गुदड़ा लद जाना से आशय है "बिस्तर गोल होना" . एक रोज सभी के बिस्तर गोल होने हैं। यह संसार किसी का स्थाई वास नहीं है फिर भी हम एक दूसरे का गला काटने में व्यस्त रहते हैं !
थारो लेखो लेसी राम, मरो लो जद रे : जब तुम्हारी मृत्यु होगी तो तुम्हारे कार्यों का लेखा जोखा लिया जाएगा की तुमने मानव जीवन को पाकर क्या क्या किया। ध्यान रखें की समस्त जीवन में मानव का तन, मानव की देह को ही श्रेष्ठ माना गया है क्योंकि वह विचार कर सकता है ( श्री नाथ जी !आदेश आदेश )
थारी मोह माया ने छोड राम जी ने भज भजन राजस्थानी चेतावनी भजन
Thaari Moh Maaya Ne,
Chhod Raam Ji Ne Bhaj Re,
O Hari Ne Bhaj Re,
Thaari Umar Biti Jaay Re,
Krodh Ne Taj Re.
Thaara Sir Mein Aaya Baal Dhaula,
Ki Laj Re,
Dhaula Ki Laj Re,
Thaara Maatha Pe Daul Rahyo Kaal,
Bharam Ne Taj Re,
Thaari Umar Biti Jaay Re,
Krodh Ne Taj Re.
Thaara Goda Diya Javaab,
Kamar Gai Lul Re,
Thaari Aankhya Sun Dikhe Naahin,
Kaan Gaya Rujh Re,
Thaari Umar Biti Jaay Re,
Krodh Ne Taj Re.
Thaari Tiriya Bole Bol,
Qadar Nahin Kare Re,
Thaari Tiriya Chhod Diyo Het,
Qadar Nahin Kare Re,
Thaara Beta Bol Bol,
Maro Lo Kad Re,
Thaari Umar Biti Jaay Re,
Krodh Ne Taj Re.
Kah Gaya Daas Kabir,
Gudado Lad Re,
Hari Ne Bhaj Le,
Thaaro Lekho Lesi Raam,
Maro Lo Jad Re,
Thaari Umar Biti Jaay Re,
Krodh Ne Taj Re.
Thaari Moh Maaya Ne,
Chhod Raam Ji Ne Bhaj Re,
Thaari Umar Biti Jae Re,
Krodh Ne Taj Re,
Thaari Umar Biti Jaay Re,
Krodh Ne Taj Re.
Chhod Raam Ji Ne Bhaj Re,
O Hari Ne Bhaj Re,
Thaari Umar Biti Jaay Re,
Krodh Ne Taj Re.
Thaara Sir Mein Aaya Baal Dhaula,
Ki Laj Re,
Dhaula Ki Laj Re,
Thaara Maatha Pe Daul Rahyo Kaal,
Bharam Ne Taj Re,
Thaari Umar Biti Jaay Re,
Krodh Ne Taj Re.
Thaara Goda Diya Javaab,
Kamar Gai Lul Re,
Thaari Aankhya Sun Dikhe Naahin,
Kaan Gaya Rujh Re,
Thaari Umar Biti Jaay Re,
Krodh Ne Taj Re.
Thaari Tiriya Bole Bol,
Qadar Nahin Kare Re,
Thaari Tiriya Chhod Diyo Het,
Qadar Nahin Kare Re,
Thaara Beta Bol Bol,
Maro Lo Kad Re,
Thaari Umar Biti Jaay Re,
Krodh Ne Taj Re.
Kah Gaya Daas Kabir,
Gudado Lad Re,
Hari Ne Bhaj Le,
Thaaro Lekho Lesi Raam,
Maro Lo Jad Re,
Thaari Umar Biti Jaay Re,
Krodh Ne Taj Re.
Thaari Moh Maaya Ne,
Chhod Raam Ji Ne Bhaj Re,
Thaari Umar Biti Jae Re,
Krodh Ne Taj Re,
Thaari Umar Biti Jaay Re,
Krodh Ne Taj Re.
गायक रामेश्वर देवल
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