ज्वाला माँ तेरा द्वारा लागे है हमको प्यारा भजन
ज्वाला माँ तेरा द्वारा लागे है हमको प्यारा भजन
(मुखड़ा)
ज्वाला माँ, तेरा द्वारा,
लागे है हमको प्यारा,
पानी में जलती ज्वाला,
इसका है भेद निराला।
अकबर ने शीश झुकाया,
सोने का छत्र चढ़ाया,
चरणों में गिरकर तेरे,
बोले जयकारा।
ज्वाला माँ, तेरा द्वारा,
लागे है हमको प्यारा।।
(अंतरा 1)
तेरे मंदिर जो भी आए,
तुमको शीश झुकाए,
मैया से माँगे मुरादें,
अपनी खाली झोली लेकर,
द्वार तुम्हारे आकर,
तेरे चरणों में शीश नवाए।
सबकी झोली भरे,
आस पूरी करे,
जीवन में भक्तों के तू,
करती उजाला।
ज्वाला माँ, तेरा द्वारा,
लागे है हमको प्यारा।।
(अंतरा 2)
अकबर के दरबार में ध्यानु,
तेरा ध्यान लगाए,
मैया, तुमने लाज बचाई।
घोड़े का सर कटा, परंतु
उसको आँच ना आई,
तेरी जय हो, ज्वाला माई।
तेरे चरण पड़े,
जयकार करे,
तेरी महिमा जो जानी,
अकबर घबराया।
ज्वाला माँ, तेरा द्वारा,
लागे है हमको प्यारा।।
(अंतरा 3)
ज्वाला माँ की महिमा, जो भी
सच्चे मन से गाए,
उसका बेड़ा पार लगाए।
ज्वाला माँ, अपने भक्तों को,
अपने पास बुलाके,
सबको दुःख-संकट से उबारे।
जो भी दर्शन करे,
माँ की इस ज्योत के,
उसके जीवन में, मैया,
उजियारा लाए।
ज्वाला माँ, तेरा द्वारा,
लागे है हमको प्यारा।।
(अंतिम पुनरावृत्ति)
ज्वाला माँ, तेरा द्वारा,
लागे है हमको प्यारा,
पानी में जलती ज्वाला,
इसका है भेद निराला।
अकबर ने शीश झुकाया,
सोने का छत्र चढ़ाया,
चरणों में गिरकर तेरे,
बोले जयकारा।
ज्वाला माँ, तेरा द्वारा,
लागे है हमको प्यारा।।
ज्वाला माँ, तेरा द्वारा,
लागे है हमको प्यारा,
पानी में जलती ज्वाला,
इसका है भेद निराला।
अकबर ने शीश झुकाया,
सोने का छत्र चढ़ाया,
चरणों में गिरकर तेरे,
बोले जयकारा।
ज्वाला माँ, तेरा द्वारा,
लागे है हमको प्यारा।।
(अंतरा 1)
तेरे मंदिर जो भी आए,
तुमको शीश झुकाए,
मैया से माँगे मुरादें,
अपनी खाली झोली लेकर,
द्वार तुम्हारे आकर,
तेरे चरणों में शीश नवाए।
सबकी झोली भरे,
आस पूरी करे,
जीवन में भक्तों के तू,
करती उजाला।
ज्वाला माँ, तेरा द्वारा,
लागे है हमको प्यारा।।
(अंतरा 2)
अकबर के दरबार में ध्यानु,
तेरा ध्यान लगाए,
मैया, तुमने लाज बचाई।
घोड़े का सर कटा, परंतु
उसको आँच ना आई,
तेरी जय हो, ज्वाला माई।
तेरे चरण पड़े,
जयकार करे,
तेरी महिमा जो जानी,
अकबर घबराया।
ज्वाला माँ, तेरा द्वारा,
लागे है हमको प्यारा।।
(अंतरा 3)
ज्वाला माँ की महिमा, जो भी
सच्चे मन से गाए,
उसका बेड़ा पार लगाए।
ज्वाला माँ, अपने भक्तों को,
अपने पास बुलाके,
सबको दुःख-संकट से उबारे।
जो भी दर्शन करे,
माँ की इस ज्योत के,
उसके जीवन में, मैया,
उजियारा लाए।
ज्वाला माँ, तेरा द्वारा,
लागे है हमको प्यारा।।
(अंतिम पुनरावृत्ति)
ज्वाला माँ, तेरा द्वारा,
लागे है हमको प्यारा,
पानी में जलती ज्वाला,
इसका है भेद निराला।
अकबर ने शीश झुकाया,
सोने का छत्र चढ़ाया,
चरणों में गिरकर तेरे,
बोले जयकारा।
ज्वाला माँ, तेरा द्वारा,
लागे है हमको प्यारा।।
ज्वाला मां का बहुत ही सुंदर भजन ज्वाला मां तेरा द्वारा लगता है हमको प्यारा#मां #नवरात्रि #भजन