सब राजन के राजा तुम हो भजन लिरिक्स Sab Rajan Ke Raja Tum Ho Lyrics

सब राजन के राजा तुम हो भजन लिरिक्स Sab Rajan Ke Raja Tum Ho Lyrics, Shabad Keertan by Joginder Singh Riar

सब राजन के राजा,
तुम हो सब राजन के राजा,
आपे आप ग़रीब नवाज़ा,
सब राजन के राजा,
तुम हो सब राजन के राजा।

महाकाल रखवार हमारो,
महालोह मैं किंकर थारो,
अपना जान करो रखवार,
बहि गहे की लाज विचार,
सब राजन के राजा,
तुम हो सब राजन के राजा।

 ਅਪੁਨਾ ਜਾਨਿ ਮੁਝੈ ਪ੍ਰਤਿਪਰੀਐ ॥
अपुना जानि मुझै प्रतिपरीऐ ॥
ਚੁਨਿ ਚੁਨਿ ਸਤ੍ਰ ਹਮਾਰੇ ਮਰੀਐ ॥
चुनि चुनि सत्र हमारे मरीऐ ॥
ਦੇਗ ਤੇਗ ਜਗ ਮੈ ਦੋਊ ਚਲੈ ॥
देग तेग जग मै दोऊ चलै ॥
ਰਾਖੁ ਆਪਿ, ਮੁਹਿ ਅਉਰ ਨ ਦਲੈ ॥
राखु आपि, मुहि अउर न दलै ॥
सब राजन के राजा,
तुम हो सब राजन के राजा।

 ਤੁਮ ਮਮ ਕਰਹੁ ਸਦਾ ਪ੍ਰਤਿਪਾਰਾ,
तुम मम करहु सदा प्रतिपारा,
ਤੁਮ ਸਾਹਿਬ, ਮੈ ਦਾਸ ਤਿਹਾਰਾ,
तुम साहिब, मै दास तिहारा,
ਜਾਨਿ ਆਪਨਾ ਮੁਝੈ ਨਿਵਾਜ,
जानि आपना मुझै निवाज,
ਆਪਿ ਕਰੋ ਹਮਰੇ ਸਭ ਕਾਜ,
आपि करो हमरे सभ काज,
सब राजन के राजा,
तुम हो सब राजन के राजा।

 ਤੁਮ ਹੋ, ਸਭ ਰਾਜਨ ਕੇ ਰਾਜਾ,
तुम हो, सभ राजन के राजा,
ਆਪੇ ਆਪੁ ਗਰੀਬ ਨਿਵਾਜਾ,
आपे आपु गरीब निवाजा,
ਦਾਸ ਜਾਨ ਕਰਿ, ਕ੍ਰਿਪਾ ਕਰਹੁ ਮੁਹਿ,
दास जान करि, क्रिपा करहु मोहिं,
ਹਾਰਿ ਪਰਾ, ਮੈ ਆਨਿ ਦਵਾਰਿ ਤੁਹਿ,
हारि परा, मै आनि द्वार तुहि,

 ਅਪੁਨਾ ਜਾਨਿ, ਕਰੋ ਪ੍ਰਤਿਪਾਰਾ,
अपुना जानि, करो प्रतिपारा,
ਤੁਮ ਸਾਹਿਬੁ, ਮੈ ਕਿੰਕਰ ਥਾਰਾ,
तुम साहिबु, मै किंकर थारा,
ਦਾਸ ਜਾਨਿ ਕੈ, ਹਾਥਿ ਉਬਾਰੋ,
दास जानि कै, हाथि उबारो,
ਹਮਰੇ ਸਭ ਬੈਰੀਅਨ, ਸੰਘਾਰੋ,
हमरे सभ बैरीअन, संघारो,

Tum Ho Sabh Rajan Ke Raja - Bhai Joginder Singh Riar - Amritt Saagar - Shabad Kirtan Gurbani

Sab Raajan Ke Raaja,
Tum Ho Sab Raajan Ke Raaja,
Aape Aap Garib Navaaza,
Sab Raajan Ke Raaja,
Tum Ho Sab Raajan Ke Raaja.

Mahaakaal Rakhavaar Hamaaro,
Mahaaloh Main Kinkar Thaaro,
Apana Jaan Karo Rakhavaar,
Bahi Gahe Ki Laaj Vichaar,
Sab Raajan Ke Raaja,
Tum Ho Sab Raajan Ke Raaja.

Apuna Jaani Mujhai Pratipariai .
Chuni Chuni Satr Hamaare Mariai .
Deg Teg Jag Mai Duo Chalai .
Raakhu Aapi, Muhi Aur Na Dalai .
Sab Raajan Ke Raaja,
Tum Ho Sab Raajan Ke Raaja.

Tum Mam Karahu Sada Pratipaara,
Tum Saahib, Mai Daas Tihaara,
Jaani Aapana Mujhai Nivaaj,
Aapi Karo Hamare Sabh Kaaj,
Sab Raajan Ke Raaja,
Tum Ho Sab Raajan Ke Raaja.
 सवैया ॥
जब आई है कातिक की रुति सीतल; कान्ह तबै अति ही रसीआ,
संगि गोपिन खेल बिचार करिओ; जु हुतो भगवान महा जसीआ,
अपवित्रन लोगन के जिह के; पगि लागत पाप सभै नसीआ,
तिह को सुनि त्रीयन के संगि खेल; निवारहु काम इहै बसीआ,

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