जब लगि भगति सकांमता मीनिंग Jab Lagi Bhagati Sakamta Meaning
जब लगि भगति सकांमता, तब लग निर्फल सेव।
कहै कबीर वै क्यूं मिलैं, निहकामी निज देव॥
Jab Lagi Bhagati Sakaanmta, Tab Lag Nirfal Sev,
Kahe Kabir Ve Kyu Mile, Nihkaami Nij Dev.
जब लगि : जब तक।
सकांमता : कामनायुक्त, कामना की इच्छा रखे हुए।
तब लग : तब तक।
निर्फल : व्यर्थ, निष्फल।
सेव : सेवा।
वै क्यूं मिलैं : वह क्यों मिलेगा।
निहकामी : निष्कामी।
निज देव : ईश्वर।
यदि तुम्हारी भक्ति सकाम है, स्वार्थ जनित है तो कैसे इश्वर की प्राप्ति संभव हो पाती है. इश्वर कामना रहित है, यदि सकाम उसे प्राप्त करने की कोई इच्छा करता है तो यह संभव नहीं है. कामना रहित होकर यदि इश्वर का सुमिरण किया जाए तभी उसकी प्राप्ति संभव हो पाती है. जब तक कामना है, कुछ पाने का सांसारिक स्वार्थ है, वह माया से ही सलग्न रहता है. माया से ऊपर उठ कर ही जीवात्मा परमात्मा के
समीप जा सकती है.
स्वारथ का सब कोई सगा,
सारा ही जग जान |
बिन स्वारथ आदर करे,
सो नर चतुर सुजान ||
संसारी से प्रीतड़ी,
सरै न एको काम |
दुविधा में दोनों गये,
माया मिली न राम ||
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
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