आसा एक जू राम की मीनिंग कबीर के दोहे

आसा एक जू राम की मीनिंग Kabir Ke Dohe Hindi Bhavarth

आसा एक जू राम की, दूजी आस निरास।
पाँणी माँहै घर करैं, ते भी मरै पियास॥
Aasa Ek Ju Raam Ki, Duji Aas Niras,
Paani Mahe Ghar Kare, Te Bhi Mare Piyaas.

कबीर दोहा हिंदी शब्दार्थ

आसा एक जू राम की : आसा तो केवल एक राम से है।
दूजी आस निरास : अन्य समस्त आशाएं व्यर्थ हैं।
पाँणी माँहै घर करैं : पानी में घर होने पर भी।
ते भी मरै पियास : तो भी प्यास से मरना।
ते भी: तो भी .
आशा तो एक राम की ही है, अन्य सभी आशाएं व्यर्थ हैं. अन्य से आशा करना ऐसे ही जैसे पानी में रहकर भी कोई प्यासा रह जाए. अन्य देवता, अन्य कोई भी मार्ग का अनुसरण करना हैसे ही है जैसे पानी में रहकर भी प्यासा रह जाना. जो भी जीवात्मा को कुछ प्राप्त होना है, भले ही वह सांसारिक हो या भौतिक वह एक पूर्ण परमात्मा ही दे सकता है. इसलिए उस पूर्ण परमात्मा का ही ध्यान करना चाहिए और उसका सुमिरण लाभकारी है. भटकाव से कुछ प्राप्त नहीं होने वाला. भक्ति भी ऐसी होनी चाहिए जो निष्काम हो. बगैर किसी स्वार्थ के की गई भक्ति ही लाभकारी होती है. अद्वैत ही सम्पूर्ण है।
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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