कभी फ़ुर्सत हो धनवानों से,
तो श्याम मेरे घर आ जाना,
इस निर्धन की कुटिया में,
एक शाम ओ श्याम बिता जाना,
कभी फ़ुरसत हो धनवानों से,
तो श्याम मेरे घर आ जाना।
मैं निर्धन हूँ मेरे पास प्रभु,
चूरमा मेवा ना मिठाई है,
सोने के सिंघासन है तेरे,
मेरे घर धरती की चटाई है,
यहीं बैठके लख दातार मुझे,
तुम अपनी कथा सुना जाना,
कभी फ़ुर्सत हो धनवानों से,
तो श्याम मेरे घर आ जाना।
मुझको भी सुदामा के जैसा,
तुम मित्र समझकर श्याम मेरे,
मेरी आँख से बहते अश्कों को,
तुम इत्र समझकर श्याम मेरे,
मेरी कुटिया में आकर मुझसे,
तुम अपने चरण धुलवा जाना,
कभी फ़ुरसत हो धनवानों से,
तो श्याम मेरे घर आ जाना।
बड़ी तेज दुःखों की आंधी है,
मन घबराए ओ सांवरिया,
संदीप की आस के दिप कहीं,
बुझ ना जाएं ओ साँवरिया,
हारे के सहारे हो तुम तो,
मुझ को भी धीर बंधा जाना,
कभी फ़ुरसत हो धनवानों से,
तो श्याम मेरे घर आ जाना।
कभी फ़ुर्सत हो धनवानों से,
तो श्याम मेरे घर आ जाना,
इस निर्धन की कुटिया में,
एक शाम ओ श्याम बिता जाना,
कभी फ़ुरसत हो धनवानों से,
तो श्याम मेरे घर आ जाना।
इस निर्धन की कुटिया में,
एक शाम ओ श्याम बिता जाना,
कभी फ़ुरसत हो धनवानों से,
तो श्याम मेरे घर आ जाना।
मैं निर्धन हूँ मेरे पास प्रभु,
चूरमा मेवा ना मिठाई है,
सोने के सिंघासन है तेरे,
मेरे घर धरती की चटाई है,
यहीं बैठके लख दातार मुझे,
तुम अपनी कथा सुना जाना,
कभी फ़ुर्सत हो धनवानों से,
तो श्याम मेरे घर आ जाना।
मुझको भी सुदामा के जैसा,
तुम मित्र समझकर श्याम मेरे,
मेरी आँख से बहते अश्कों को,
तुम इत्र समझकर श्याम मेरे,
मेरी कुटिया में आकर मुझसे,
तुम अपने चरण धुलवा जाना,
कभी फ़ुरसत हो धनवानों से,
तो श्याम मेरे घर आ जाना।
बड़ी तेज दुःखों की आंधी है,
मन घबराए ओ सांवरिया,
संदीप की आस के दिप कहीं,
बुझ ना जाएं ओ साँवरिया,
हारे के सहारे हो तुम तो,
मुझ को भी धीर बंधा जाना,
कभी फ़ुरसत हो धनवानों से,
तो श्याम मेरे घर आ जाना।
कभी फ़ुर्सत हो धनवानों से,
तो श्याम मेरे घर आ जाना,
इस निर्धन की कुटिया में,
एक शाम ओ श्याम बिता जाना,
कभी फ़ुरसत हो धनवानों से,
तो श्याम मेरे घर आ जाना।
कभी फुर्सत हो। Kabhi Fursat Ho | Best Khatu Shyam Bhajan | Sandeep Bansal
To Shyaam Mere Ghar Aa Jaana,
Is Nirdhan Ki Kutiya Mein,
Ek Shaam O Shyaam Bita Jaana,
Kabhi Furasat Ho Dhanavaanon Se,
To Shyaam Mere Ghar Aa Jaana.
Main Nirdhan Hun Mere Paas Prabhu,
Churama Meva Na Mithai Hai,
Sone Ke Singhaasan Hai Tere,
Mere Ghar Dharati Ki Chatai Hai,
Yahin Baithake Lakh Daataar Mujhe,
Tum Apani Katha Suna Jaana,
Kabhi Fursat Ho Dhanavaanon Se,
To Shyaam Mere Ghar Aa Jaana.
Mujhako Bhi Sudaama Ke Jaisa,
Tum Mitr Samajhakar Shyaam Mere,
Meri Aankh Se Bahate Ashkon Ko,
Tum Itr Samajhakar Shyaam Mere,
Meri Kutiya Mein Aakar Mujhase,
Tum Apane Charan Dhulava Jaana,
Kabhi Furasat Ho Dhanavaanon Se,
To Shyaam Mere Ghar Aa Jaana.
Badi Tej Duhkhon Ki Aandhi Hai,
Man Ghabarae O Saanvariya,
Sandip Ki Aas Ke Dip Kahin,
Bujh Na Jaen O Saanvariya,
Haare Ke Sahaare Ho Tum To,
Mujh Ko Bhi Dhir Bandha Jaana,
Kabhi Furasat Ho Dhanavaanon Se,
To Shyaam Mere Ghar Aa Jaana.
Kabhi Fursat Ho Dhanavaanon Se,
To Shyaam Mere Ghar Aa Jaana,
Is Nirdhan Ki Kutiya Mein,
Ek Shaam O Shyaam Bita Jaana,
Kabhi Furasat Ho Dhanavaanon Se,
To Shyaam Mere Ghar Aa Jaana.
Author - Saroj Jangir
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