कैसे मैं जाऊं सासरिये लिरिक्स मीनिंग Prahlaad Singh Tipaniya
प्रहलाद सिंह जी के स्वर में यह मीरा भजन है जिसमे बाई मीरा अपने गुरु के आगमन पर अपने हृदय के उदगार प्रकट करती है। इस भजन का हिंदी अर्थ निचे दिया गया है।
पिया चाहे प्रेम रस, और राखा चाहे मान,
दो खड़ग एक म्यान, में देखा सुना ना कान,
दो खड़ग एक म्यान, में देखा सुना ना कान,
(पीया चाहै प्रेम रस, राखा चाहै मान।
दोय खड्ग एक म्यान में, देखा सुना ना कान।)
पिया पिया रस जानिए, ने उतरे नहीं ख़ुमार,
नाम अमल माता रहे, और पिए अमी रस सार।
म्हारां सतगुरु आया मिजवान,
कैसे मैं जाऊं सासरिया,
सासरिया री मैं तो सासरियाँ,
म्हारा सतगुरु (पुरा गुरु) आया मिजवान,
कैसे मैं जाऊं सासरिया।
घणा दिना को म्हारो बुलावो,
सतगुरु आया आज,
छोड़ियां म्हाने माल खजीना,
छोड़ियो राणा को दरबार,
कैसे में जाऊं सासरिया,
म्हारा सतगुरु,
आया मिजवान,
कैसे मैं जाऊं सासरिया
सतगुरु से म्हारी प्रीत लगी है,
सतगुरु चतुर सुजान
छोड़ देंगे महल माळिया,
छोड्या राणा जी को हाथ
कैसे में जाऊँ सासरियाँ,
म्हारा सतगुरु आया मिजवान,
कैसे मैं जाऊं सासरिया।
नाँव पड़ी मझधार में रै,
इत उत झोला खाए,
सतगुरु जी ने टल्ला मारिया,
हो गई भव से पार,
कैसे में जाऊँ सासरियाँ,
म्हारा सतगुरु आया मिजवान,
कैसे मैं जाऊं सासरिया।
बाई मीरा की विनती,
सुण लो सिरजनहार
गुरु मिल्या म्हारे रविदास जी,
कुल का तारण हार,
कैसे में जाऊँ सासरियाँ,
म्हारा सतगुरु आया मिजवान,
दोय खड्ग एक म्यान में, देखा सुना ना कान।)
पिया पिया रस जानिए, ने उतरे नहीं ख़ुमार,
नाम अमल माता रहे, और पिए अमी रस सार।
म्हारां सतगुरु आया मिजवान,
कैसे मैं जाऊं सासरिया,
सासरिया री मैं तो सासरियाँ,
म्हारा सतगुरु (पुरा गुरु) आया मिजवान,
कैसे मैं जाऊं सासरिया।
घणा दिना को म्हारो बुलावो,
सतगुरु आया आज,
छोड़ियां म्हाने माल खजीना,
छोड़ियो राणा को दरबार,
कैसे में जाऊं सासरिया,
म्हारा सतगुरु,
आया मिजवान,
कैसे मैं जाऊं सासरिया
सतगुरु से म्हारी प्रीत लगी है,
सतगुरु चतुर सुजान
छोड़ देंगे महल माळिया,
छोड्या राणा जी को हाथ
कैसे में जाऊँ सासरियाँ,
म्हारा सतगुरु आया मिजवान,
कैसे मैं जाऊं सासरिया।
नाँव पड़ी मझधार में रै,
इत उत झोला खाए,
सतगुरु जी ने टल्ला मारिया,
हो गई भव से पार,
कैसे में जाऊँ सासरियाँ,
म्हारा सतगुरु आया मिजवान,
कैसे मैं जाऊं सासरिया।
बाई मीरा की विनती,
सुण लो सिरजनहार
गुरु मिल्या म्हारे रविदास जी,
कुल का तारण हार,
कैसे में जाऊँ सासरियाँ,
म्हारा सतगुरु आया मिजवान,
कैसे मैं जाऊं सासरिये लिरिक्स मीनिंग
प्रहलाद सिंह जी के स्वर में यह मीरा भजन है जिसमे बाई मीरा अपने गुरु के आगमन पर अपने हृदय के उदगार प्रकट करती है। इस भजन का हिंदी अर्थ निचे दिया गया है।
पिया चाहे प्रेम रस, और राखा चाहे मान : भक्ति रस, राम रसायन को यदि प्राप्त करना चाहते हो तो अहम् और स्वंय का मान सम्मान छोड़ना पड़ेगा। यदि तुम प्रेम रस पीना चाहते हो और अहम् (मान) भी रखते हो तो यह सम्भव नहीं है।
दो खड़ग एक म्यान, में देखा सुना ना कान : एक म्यान में दो तलवारे भला कैसे समा सकती हैं। मेरे कानों ने ऐसा देखा और सुना नहीं है। भाव है की भक्ति के रस के रसास्वादन के लिए अहम् को त्यागना पड़ेगा, प्रेम की गली संकड़ी है।
म्हारां सतगुरु आया मिजवान : मेरे सतगुरु मेहमान आए हैं। मिजवान -मेहमान।
कैसे मैं जाऊं सासरिया : मैं ससुराल भला कैसे जा सकती हूँ। बाई मीरा कहती है की उसके गुरु देव पधारे हैं तो वह उनको छोड़ कर कैसे जा सकती है।
घणा दिना को म्हारो बुलावों : मैंने गुरुदेव को बहुत दिनों से बुला रखा है। घणा -बहुत।
सतगुरु आया आज : आज मेरे सतगुरु आये हैं।
छोड़ियां म्हाने माल खजीना, छोड़ियो राणा को दरबार : गुरु से ज्ञान की प्राप्ति के लिए मैंने माल खजाना, धन दौलत और राणा (पति) का दरबार छोड़ दिया है। छोड़ियां -छोड़ दिया है। म्हाने-मैंने माल खजीना-माल खजाना।
सतगुरु से म्हारी प्रीत लगी है, सतगुरु चतुर सुजान : सतगुरु देव जी से मेरी प्रीत लगी है। मेरे सतगुरु चतुर/विवेकशील हैं और वे ही सुजान हैं।
छोड़ देंगे महल माळिया, छोड्या राणा जी को हाथ : गुरु की प्राप्ति के लिए महल मालिया (ऊँचे मकान) सब छोड़ दिया है और राणा (पति) जी का हाथ भी छोड़ दिया है। बाई मीरा राणा जी के विषय में अन्य स्थान पर कहती है "मीरा हरी की लाड़ली, राणों वन को ठूंठ, समझाया समझयो नहीं, ले जाती बैकुंठ"
नाँव पड़ी मझधार में रै, इत उत झोला खाए : मेरी नाँव मझदार में पड़ी है और यहाँ वहां (इत उत) डगमगा रही है। झोला-डगमग होना।
सतगुरु जी ने टल्ला मारिया : सतगुरु देव जी ने अपने हाथ से जोर का धक्का (टल्ला ) मारा जिससे।
हो गई भव से पार : मेरी नांव भाव से पार हो गई है। साधक को भक्ति मार्ग पर बढ़ने के लिए गुरु की आवश्यकता होती है।
बाई मीरा की विनती, सुण लो सिरजनहार : मीरा बाई विनती करती है की मेरी बात सुनों सृजनहार, श्रष्टि के रचियता।
गुरु मिल्या म्हारे रविदास जी, कुल का तारण हार : मुझे गुरु रविदास जी मिले हैं जो मुझे इस भव सागर से पार लगाएंगे। -सत श्री साहेब।
पिया चाहे प्रेम रस, और राखा चाहे मान : भक्ति रस, राम रसायन को यदि प्राप्त करना चाहते हो तो अहम् और स्वंय का मान सम्मान छोड़ना पड़ेगा। यदि तुम प्रेम रस पीना चाहते हो और अहम् (मान) भी रखते हो तो यह सम्भव नहीं है।
दो खड़ग एक म्यान, में देखा सुना ना कान : एक म्यान में दो तलवारे भला कैसे समा सकती हैं। मेरे कानों ने ऐसा देखा और सुना नहीं है। भाव है की भक्ति के रस के रसास्वादन के लिए अहम् को त्यागना पड़ेगा, प्रेम की गली संकड़ी है।
म्हारां सतगुरु आया मिजवान : मेरे सतगुरु मेहमान आए हैं। मिजवान -मेहमान।
कैसे मैं जाऊं सासरिया : मैं ससुराल भला कैसे जा सकती हूँ। बाई मीरा कहती है की उसके गुरु देव पधारे हैं तो वह उनको छोड़ कर कैसे जा सकती है।
घणा दिना को म्हारो बुलावों : मैंने गुरुदेव को बहुत दिनों से बुला रखा है। घणा -बहुत।
सतगुरु आया आज : आज मेरे सतगुरु आये हैं।
छोड़ियां म्हाने माल खजीना, छोड़ियो राणा को दरबार : गुरु से ज्ञान की प्राप्ति के लिए मैंने माल खजाना, धन दौलत और राणा (पति) का दरबार छोड़ दिया है। छोड़ियां -छोड़ दिया है। म्हाने-मैंने माल खजीना-माल खजाना।
सतगुरु से म्हारी प्रीत लगी है, सतगुरु चतुर सुजान : सतगुरु देव जी से मेरी प्रीत लगी है। मेरे सतगुरु चतुर/विवेकशील हैं और वे ही सुजान हैं।
छोड़ देंगे महल माळिया, छोड्या राणा जी को हाथ : गुरु की प्राप्ति के लिए महल मालिया (ऊँचे मकान) सब छोड़ दिया है और राणा (पति) जी का हाथ भी छोड़ दिया है। बाई मीरा राणा जी के विषय में अन्य स्थान पर कहती है "मीरा हरी की लाड़ली, राणों वन को ठूंठ, समझाया समझयो नहीं, ले जाती बैकुंठ"
नाँव पड़ी मझधार में रै, इत उत झोला खाए : मेरी नाँव मझदार में पड़ी है और यहाँ वहां (इत उत) डगमगा रही है। झोला-डगमग होना।
सतगुरु जी ने टल्ला मारिया : सतगुरु देव जी ने अपने हाथ से जोर का धक्का (टल्ला ) मारा जिससे।
हो गई भव से पार : मेरी नांव भाव से पार हो गई है। साधक को भक्ति मार्ग पर बढ़ने के लिए गुरु की आवश्यकता होती है।
बाई मीरा की विनती, सुण लो सिरजनहार : मीरा बाई विनती करती है की मेरी बात सुनों सृजनहार, श्रष्टि के रचियता।
गुरु मिल्या म्हारे रविदास जी, कुल का तारण हार : मुझे गुरु रविदास जी मिले हैं जो मुझे इस भव सागर से पार लगाएंगे। -सत श्री साहेब।
कैसे मैं जाऊं सासरिये || Kese Mein Jaon Saasariya || Meera bhajan || By Prahlad singh Tipanya
Do Khadag Ek Myaan, Mein Dekha Suna Na Kaan,
Piya Piya Ras Jaanie, Ne Utare Nahin Khumaar,
Naam Amal Maata Rahe, Aur Pie Ami Ras Saar.
Mhaaraan Sataguru Aaya Mijavaan,
Kaise Main Jaun Saasariya,
Saasariya Ri Main To Saasariyaan,
Mhaara Sataguru (Pura Guru) Aaya Mijavaan,
Kaise Main Jaun Saasariya.
Ghana Dina Ko Mhaaro Gulaabon,
Sataguru Aaya Aaj,
Chhodiyaan Mhaane Maal Khajina,
Chhodiyo Raana Ko Darabaar,
Kaise Mein Jaun Saasariya,
Mhaara Sataguru,
Aaya Mijavaan,
Kaise Main Jaun Saasariya
Sataguru Se Mhaari Prit Lagi Hai,
Sataguru Chatur Sujaan
Chhod Denge Mahal Maaliya,
Chhodya Raana Ji Ko Haath
Kaise Mein Jaun Saasariyaan,
Mhaara Sataguru Aaya Mijavaan,
Kaise Main Jaun Saasariya.
Naanv Padi Majhadhaar Mein Rai,
It Ut Jhola Khae,
Sataguru Ji Ne Talla Maariya,
Ho Gai Bhav Se Paar,
Kaise Mein Jaun Saasariyaan,
Mhaara Sataguru Aaya Mijavaan,
Kaise Main Jaun Saasariya.
Bai Mira Ki Vinati,
Sun Lo Sirajanahaar
Guru Milya Mhaare Ravidaas Ji,
Kul Ka Taaran Haar,
Kaise Mein Jaun Saasariyaan,
Mhaara Sataguru Aaya Mijavaan,
Kaise Main Jaun Saasariya.
Author - Saroj Jangir
इस ब्लॉग पर आप पायेंगे मधुर और सुन्दर भजनों का संग्रह । इस ब्लॉग का उद्देश्य आपको सुन्दर भजनों के बोल उपलब्ध करवाना है। आप इस ब्लॉग पर अपने पसंद के गायक और भजन केटेगरी के भजन खोज सकते हैं....अधिक पढ़ें। |