पंछीड़ा लाल आछी पढ़ियो रे उलटी पाटी

पंछीड़ा लाल आछी पढ़ियो रे उलटी पाटी भजन

 
Panchhida Lal Aachhi Padhiyo Re Ulati Pati Rajasthani Bhajan

पंछीड़ा लाल आछी,
पढ़ियो रे उलटी पाटी,
ईश्वर ने तू भूल गयो रै,
लख चौरासी काटी,
पंछीड़ा लाल आछी,
पढ़ियो रे उलटी पाटी।

गर्भवास में दुःख पायो थारे,
घणां दीना री घाटी,
बाहर आय राम ने भूल्यों,
उल्टी पढ़ ली पाटी,
पंछीड़ा लाल आछी,
पढ़ियो रे उलटी पाटी।

जीव जन्तु ने खाय खाय ने,
बदन बणायो बाटी,
अपने स्वारथ कारणे ने,
लाखा री गर्दन काटी,
पंछीड़ा लाल आछी,
पढ़ियो रे उलटी पाटी।

माखन बेच्यो दहिड़ो बेच्यो,
बेचीं छाछ री छांटी,
माया ने ले घर में बूरी,
ऊपर लगा दी टाटी,
पंछीड़ा लाल आछी,
पढ़ियो रे उलटी पाटी।

आया गया थारा मेहमाना ने,
घाले चूरमो बाटी,
भूखा प्यासा साधुड़ा ने,
घाले राबड़ी खाटी,
पंछीड़ा लाल आछी,
पढ़ियो रे उलटी पाटी,

कहत गुलाब सुणो रे भाई संतो,
लख चौरासी काटी,
आखिर थाने जाणों पड़सी,
जम रा ज्यारी घाटी,
पंछीड़ा लाल आछी,
पढ़ियो रे उलटी पाटी।
दमडो रा लोभी,
आछी पढ़ियो रे उलटी पाटी।
पंछीड़ा लाल आछी,
पढ़ियो रे उलटी पाटी,
ईश्वर ने तू भूल गयो रै,
लख चौरासी काटी,
पंछीड़ा लाल आछी,
पढ़ियो रे उलटी पाटी। 

Panchhida Lal Aachhi Padhiyo Re Ulati Pati Bhajan Meaning

पंछीड़ा लाल आछी, पढ़ियो रे उलटी पाटी : जीवात्मा को पंछी/पक्षी कहकर कहा गया है की उसने उलटी पाटी (उलटी शिक्षा) ग्रहण कर ली है। पाटी से आशय छोटे बच्चों के लिखने की तखती होती है जिस पर चॉक से लिखा जाता है।
ईश्वर ने तू भूल गयो रै, लख चौरासी काटी : ईश्वर को तुम भूल गए हो और इसी कारण से जनम मरण के फेर में पड़कर चौरासी का आवागमन काटा है।
गर्भवास में दुःख पायो थारे, घणां दीना री घाटी : गर्भवास को घाटी बताकर कहा गया है की गर्भकाल में तुमने बहुत दुःख पाया है।
बाहर आय राम ने भूल्यों, उल्टी पढ़ ली पाटी : बाहर आकर तुमने राम को भुला दिया और उलटी शिक्षाओं को ग्रहण कर लिया है।
जीव जन्तु ने खाय खाय ने, बदन बणायो बाटी : स्वंय की उदरपूर्ति के लिए तुमने निरीह जीव जंतुओं को मारकर खाया और अपने शरीर को मोटी बाटी (दाल बाटी) की भाँती बना लिया है।
अपने स्वारथ कारणे ने, लाखा री गर्दन काटी : तुमने अपने स्वार्थ के चलते लाखों की गर्दन काट दी है।
माखन बेच्यो दहिड़ो बेच्यो, बेचीं छाछ री छांटी : तुमने दूध दही और माखन बेचा और छाछ से भरा घड़ा भी बेच दिया।
माया ने ले घर में बूरी, ऊपर लगा दी टाटी : जो भी माया तुमने प्राप्त की उसको घर में लाकर जमीन में दबा दिया और ऊपर जूट की चादर (टाटी) लगा दी।
आया गया थारा मेहमाना ने, घाले चूरमो बाटी : तुमने मेहमानों की खूब आवभगत की उनको चूरमा और बाटी (मोटी रोटी) खिलाई।
भूखा प्यासा साधुड़ा ने, घाले राबड़ी खाटी : इसके विपरीत घर पर भिक्षा ग्रहण करने आए साधुओं को तुमने खट्टी राबड़ी ही खिलाई। 

पंछीड़ा लाल आछी पढ़ियो रे उलटी पाटी

Panchhida Laal Aachhi,
Padhiyo Re Ulati Paati,
ishvar Ne Tu Bhul Gayo Rai,
Lakh Chauraasi Kaati,
Panchhida Laal Aachhi,
Padhiyo Re Ulati Paati.
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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