काया माया पावणी,
और कियाँ घर होय,
राखोड़ी रहवे नहीं,
उठ चले पट खोल,
भाग बिना मिलता नहीं,
भली वस्तु का भोग,
दाख फले बैसाख में ,
हुवे काग गले रो रोग।
काया ने सिंगार कोयलिया,
पर मंडली मत ज्याजे रै,
पर मंडली रा नहीं भरोसा,
अध बिच में रुळ ज्याज्यो रै,
पर मंडली मत ज्याजे रै,
पर मंडली रा नहीं भरोसा।
खार समुन्द्र रो खारो पाणी,
वो पानी मत ल्या जे रै,
थोड़ा नीर घणो कर मानो,
नीर गंगाजल ल्याईज्यो रै,
काया ने सिंगार कोयलिया,
पर मंडली मत ज्याजे रै,
पर मंडली रा नहीं भरोसा,
अध बिच में रुळ ज्याज्यो रै,
पर मंडली रा नही भरोसा,
अध बिच में रूल जावो रे।
पर मंडली रा नही भरोसा,
अध बिच में रूल जावो रे।।
काया ने सिंगार कोयलिया।।
गहरों फूल रोहिड़ा रो कहिजे,
वो फूलडा मत ल्याईज्यो रै,
वो तो फूल घणा कर मानों,
फूल हज़ारी गुल ल्या जे रै,
काया ने सिंगार कोयलिया,
पर मंडली मत ज्याजे रै,
पर मंडली रा नहीं भरोसा,
अध बिच में रुळ ज्याज्यो रै,
उजड़ वन में ऊबो रै खेजड़ो,
उन छाया में मत ज्या ज्ये रै,
अगम पछम रो बाजे बायरियो,
काटो में रुळ जावो रै,
काया ने सिंगार कोयलियाँ,
पर मंडली मत ज्याजे रै,
पर मंडली रा नहीं भरोसा,
अध बिच में रुळ ज्याज्यो रै,
काया ने सिंगार कोयलिया।।
बाई रे मीरा ने गिरधर मिलियाँ,
उण मंडली भलो ज्याई ज्यो रै,
उण मंडलीरा साँचा भरोसा,
डुबतड़ा तिर ज्याईज्यो रै,
काया ने सिंगार कोयलिया,
पर मंडली मत ज्याजे रै,
पर मंडली रा नहीं भरोसा,
अध बिच में रुळ ज्याज्यो रै,
काया ने सिंगार कोयलिया,
पर मंडली मत ज्याजे रै,
पर मंडली रा नहीं भरोसा,
अध बिच में रुळ ज्याज्यो रै,
पर मंडली मत ज्याजे रै,
पर मंडली रा नहीं भरोसा।
राखोड़ी रहवे नहीं,
उठ चले पट खोल,
भाग बिना मिलता नहीं,
भली वस्तु का भोग,
दाख फले बैसाख में ,
हुवे काग गले रो रोग।
काया ने सिंगार कोयलिया,
पर मंडली मत ज्याजे रै,
पर मंडली रा नहीं भरोसा,
अध बिच में रुळ ज्याज्यो रै,
पर मंडली मत ज्याजे रै,
पर मंडली रा नहीं भरोसा।
खार समुन्द्र रो खारो पाणी,
वो पानी मत ल्या जे रै,
थोड़ा नीर घणो कर मानो,
नीर गंगाजल ल्याईज्यो रै,
काया ने सिंगार कोयलिया,
पर मंडली मत ज्याजे रै,
पर मंडली रा नहीं भरोसा,
अध बिच में रुळ ज्याज्यो रै,
पर मंडली रा नही भरोसा,
अध बिच में रूल जावो रे।
पर मंडली रा नही भरोसा,
अध बिच में रूल जावो रे।।
काया ने सिंगार कोयलिया।।
गहरों फूल रोहिड़ा रो कहिजे,
वो फूलडा मत ल्याईज्यो रै,
वो तो फूल घणा कर मानों,
फूल हज़ारी गुल ल्या जे रै,
काया ने सिंगार कोयलिया,
पर मंडली मत ज्याजे रै,
पर मंडली रा नहीं भरोसा,
अध बिच में रुळ ज्याज्यो रै,
उजड़ वन में ऊबो रै खेजड़ो,
उन छाया में मत ज्या ज्ये रै,
अगम पछम रो बाजे बायरियो,
काटो में रुळ जावो रै,
काया ने सिंगार कोयलियाँ,
पर मंडली मत ज्याजे रै,
पर मंडली रा नहीं भरोसा,
अध बिच में रुळ ज्याज्यो रै,
काया ने सिंगार कोयलिया।।
बाई रे मीरा ने गिरधर मिलियाँ,
उण मंडली भलो ज्याई ज्यो रै,
उण मंडलीरा साँचा भरोसा,
डुबतड़ा तिर ज्याईज्यो रै,
काया ने सिंगार कोयलिया,
पर मंडली मत ज्याजे रै,
पर मंडली रा नहीं भरोसा,
अध बिच में रुळ ज्याज्यो रै,
काया ने सिंगार कोयलिया,
पर मंडली मत ज्याजे रै,
पर मंडली रा नहीं भरोसा,
अध बिच में रुळ ज्याज्यो रै,
पर मंडली मत ज्याजे रै,
पर मंडली रा नहीं भरोसा।
काया ने सिंगार कोयलिया राजस्थानी भजन
काया माया पावणी, और कियाँ घर होय : यह काया और माया (धन दौलत) एक तरह से मेहमान है, पांवणी -मेहमान, इसे किस भाँती इसके मूल घर (हरी चरण) में स्थापित किया जा सकता है।
राखोड़ी रहवे नहीं, उठ चले पट खोल : यह रखने के प्रयासों से रह नहीं सकती है, स्वतः ही खड़ी होकर दरवाजे को खोलकर चली जाती है। प्राण वायु एक रोज इस तन रूपी खोली को छोड़कर चली जाती है।
भाग बिना मिलता नहीं, भली वस्तु का भोग : भाग्य के अभाव में कोई वस्तु का जोग संजोग होने के उपरान्त भी उसे नहीं पाया जा सकता है।
दाख फले बैसाख में , हुवे काग गले रो रोग : दाख (द्राक्षा-अंगूर) बैसाख के महीने में फल देते हैं लेकिन कौवे को उसी वक़्त गले का रोग हो जाता है और वह उसे खाने में असमर्थ हो जाता है।
काया ने सिंगार कोयलिया, पर मंडली मत ज्याजे रै : आत्मा से संवाद है की इस काया को चमकाने से, सजाने संवारने से कोई फायदा नहीं है। तुम ग़ैर के समूहों में मत जाओ। भक्ति ही तुम्हारी सच्ची मंडली है। मोह माया में तुम्हारा विनाश ही होने वाला है। कुसंगति ही पर मंडली है। काया का श्रृंगार करने से कुछ भी लाभ नहीं होने वाला है।
पर मंडली रा नहीं भरोसा, अध बिच में रुळ ज्याज्यो रै : पर मंडली, गैर लोगों का साथ कोई भरोसेमंद नहीं है। आधे राह के बीच ही तुम खो जाओगे, मंजिल को प्राप्त नहीं हो सकोगे।
राखोड़ी रहवे नहीं, उठ चले पट खोल : यह रखने के प्रयासों से रह नहीं सकती है, स्वतः ही खड़ी होकर दरवाजे को खोलकर चली जाती है। प्राण वायु एक रोज इस तन रूपी खोली को छोड़कर चली जाती है।
भाग बिना मिलता नहीं, भली वस्तु का भोग : भाग्य के अभाव में कोई वस्तु का जोग संजोग होने के उपरान्त भी उसे नहीं पाया जा सकता है।
दाख फले बैसाख में , हुवे काग गले रो रोग : दाख (द्राक्षा-अंगूर) बैसाख के महीने में फल देते हैं लेकिन कौवे को उसी वक़्त गले का रोग हो जाता है और वह उसे खाने में असमर्थ हो जाता है।
काया ने सिंगार कोयलिया, पर मंडली मत ज्याजे रै : आत्मा से संवाद है की इस काया को चमकाने से, सजाने संवारने से कोई फायदा नहीं है। तुम ग़ैर के समूहों में मत जाओ। भक्ति ही तुम्हारी सच्ची मंडली है। मोह माया में तुम्हारा विनाश ही होने वाला है। कुसंगति ही पर मंडली है। काया का श्रृंगार करने से कुछ भी लाभ नहीं होने वाला है।
पर मंडली रा नहीं भरोसा, अध बिच में रुळ ज्याज्यो रै : पर मंडली, गैर लोगों का साथ कोई भरोसेमंद नहीं है। आधे राह के बीच ही तुम खो जाओगे, मंजिल को प्राप्त नहीं हो सकोगे।
खार समुन्द्र रो खारो पाणी, वो पानी मत ल्या जे रै : इस संसार में गुणकारी वस्तुओं का अभाव है और व्यर्थ की वस्तु ज्यादा हैं, समुद्र का पानी बहुतयात है लेकिन खारा है। उसे घर मत लाना क्योंकि वह कोई कार्य का नहीं है।
थोड़ा नीर घणो कर मानो, नीर गंगाजल ल्याईज्यो रै : गंगाजल थोड़ा ही सही उसे बहुत मानो, और उसे ही तुम लेकर आओ। भाव है की अच्छी गुणवान वस्तु को ग्रहण करो।
गहरों फूल रोहिड़ा रो कहिजे, वो फूलडा मत ल्याईज्यो रै : रोहिड़ा एक वृक्ष होता है जो राजस्थान का राज्य पुष्प भी है। यह पुष्प देखने में बहुत सुन्दर लगता है लेकिन इसका स्थान हरी चरणों में नहीं होता है।
वो तो फूल घणा कर मानों, फूल हज़ारी गुल ल्या जे रै : हजारे का फूल यदि मिले तो उसे बहुत समझो और उसे ही ग्रहण करो।
उजड़ वन में ऊबो रै खेजड़ो, उन छाया में मत ज्या ज्ये रै : राजस्थान का राज्य वृक्ष खेजड़ी होता है जो यदि उजाड़ (वीरान) में खड़ा हो तो उसकी छाया में मत जाओ।
अगम पछम रो बाजे बायरियो, काटो में रुळ जावो रै : आगे और पीछे से जो आंधियां चलेंगी उनमे तुम कांटो में खोकर रह जाओगे।
बाई रे मीरा ने गिरधर मिलियाँ, उण मंडली भलो ज्याई ज्यो रै : मीरा बाई ने साधू संतों की मंडली का चयन किया तुम भी ऐसी ही संगती में जाओ।
उण मंडलीरा साँचा भरोसा, डुबतड़ा तिर ज्याईज्यो रै : यदि तुम ऐसी मंडली की संगती करते हो तो समझो की डूबे हुए भी यहाँ पर आकर भवसागर से पार हो जाते हैं।
थोड़ा नीर घणो कर मानो, नीर गंगाजल ल्याईज्यो रै : गंगाजल थोड़ा ही सही उसे बहुत मानो, और उसे ही तुम लेकर आओ। भाव है की अच्छी गुणवान वस्तु को ग्रहण करो।
गहरों फूल रोहिड़ा रो कहिजे, वो फूलडा मत ल्याईज्यो रै : रोहिड़ा एक वृक्ष होता है जो राजस्थान का राज्य पुष्प भी है। यह पुष्प देखने में बहुत सुन्दर लगता है लेकिन इसका स्थान हरी चरणों में नहीं होता है।
वो तो फूल घणा कर मानों, फूल हज़ारी गुल ल्या जे रै : हजारे का फूल यदि मिले तो उसे बहुत समझो और उसे ही ग्रहण करो।
उजड़ वन में ऊबो रै खेजड़ो, उन छाया में मत ज्या ज्ये रै : राजस्थान का राज्य वृक्ष खेजड़ी होता है जो यदि उजाड़ (वीरान) में खड़ा हो तो उसकी छाया में मत जाओ।
अगम पछम रो बाजे बायरियो, काटो में रुळ जावो रै : आगे और पीछे से जो आंधियां चलेंगी उनमे तुम कांटो में खोकर रह जाओगे।
बाई रे मीरा ने गिरधर मिलियाँ, उण मंडली भलो ज्याई ज्यो रै : मीरा बाई ने साधू संतों की मंडली का चयन किया तुम भी ऐसी ही संगती में जाओ।
उण मंडलीरा साँचा भरोसा, डुबतड़ा तिर ज्याईज्यो रै : यदि तुम ऐसी मंडली की संगती करते हो तो समझो की डूबे हुए भी यहाँ पर आकर भवसागर से पार हो जाते हैं।
Anil Nagori काया ने सिणगार कोयलिया परमंडली मत जाई जो ऐ अनिल नागौरी
Aur Kiyaan Ghar Hoy,
Raakhodi Rahave Nahin,
Uth Chale Pat Khol,
Bhaag Bina Milata Nahin,
Bhali Vastu Ka Bhog,
Daakh Phale Baisaakh Mein ,
Huve Kaag Gale Ro Rog.
Kaaya Ne Singaar Koyaliya,
Par Mandali Mat Jyaaje Rai,
Par Mandali Ra Nahin Bharosa,
Adh Bich Mein Rul Jyaajyo Rai,
Par Mandali Mat Jyaaje Rai,
Par Mandali Ra Nahin Bharosa.
Khaar Samundr Ro Khaaro Paani,
Vo Paani Mat Lya Je Rai,
Thoda Nir Ghano Kar Maano,
Nir Gangaajal Lyaijyo Rai,
Kaaya Ne Singaar Koyaliya,
Par Mandali Mat Jyaaje Rai,
Par Mandali Ra Nahin Bharosa,
Adh Bich Mein Rul Jyaajyo Rai,
Par Mandali Ra Nahi Bharosa,
Adh Bich Mein Rul Jaavo Re.
Par Mandali Ra Nahi Bharosa,
Adh Bich Mein Rul Jaavo Re..
Kaaya Ne Singaar Koyaliya..
Gaharon Phul Rohida Ro Kahije,
Vo Phulada Mat Lyaijyo Rai,
Vo To Phul Ghana Kar Maanon,
Phul Hazaari Gul Lya Je Rai,
Kaaya Ne Singaar Koyaliya,
Par Mandali Mat Jyaaje Rai,
Par Mandali Ra Nahin Bharosa,
Adh Bich Mein Rul Jyaajyo Rai,
Ujad Van Mein ubo Rai Khejado,
Un Chhaaya Mein Mat Jya Jye Rai,
Agam Pachham Ro Baaje Baayariyo,
Kaato Mein Rul Jaavo Rai,
Kaaya Ne Singaar Koyaliyaan,
Par Mandali Mat Jyaaje Rai,
Par Mandali Ra Nahin Bharosa,
Adh Bich Mein Rul Jyaajyo Rai,
Kaaya Ne Singaar Koyaliya..
Bai Re Mira Ne Giradhar Miliyaan,
Un Mandali Bhalo Jyai Jyo Rai,
Un Mandalira Saancha Bharosa,
Dubatada Tir Jyaijyo Rai,
Kaaya Ne Singaar Koyaliya,
Par Mandali Mat Jyaaje Rai,
Par Mandali Ra Nahin Bharosa,
Adh Bich Mein Rul Jyaajyo Rai,
Kaaya Ne Singaar Koyaliya,
Par Mandali Mat Jyaaje Rai,
Par Mandali Ra Nahin Bharosa,
Adh Bich Mein Rul Jyaajyo Rai,
Par Mandali Mat Jyaaje Rai,
Par Mandali Ra Nahin Bharosa.
Author - Saroj Jangir
इस ब्लॉग पर आप पायेंगे मधुर और सुन्दर भजनों का संग्रह । इस ब्लॉग का उद्देश्य आपको सुन्दर भजनों के बोल उपलब्ध करवाना है। आप इस ब्लॉग पर अपने पसंद के गायक और भजन केटेगरी के भजन खोज सकते हैं....अधिक पढ़ें। |