सबै रसाइण मैं किया मीनिंग कबीर के दोहे

सबै रसाइण मैं किया मीनिंग Sabe Rasain Main Kiya Hindi Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit.

सबै रसाइण मैं किया, हरि सा और न कोइ।
तिल इक घट मैं संचरे, तौ सब तन कंचन होइ॥

Sabe Rasaain Main Kiya, Hari Sa Aur Na Koi,
Til Ik Ghat Me Sanchare, To Sab Tan Kanchan Hoi.

कबीर दोहा/साखी हिंदी शब्दार्थ Kabir Doha/Sakhi Hindi Word Meaning

सबै- सभी, सम्पूर्ण, समस्त।
रसाइण-रसायन, रसास्वादन।
मैं किया- मैंने कर लिए हैं, आजमा कर देख लिया है।
हरि सा-हरी के समान, हरी साद्रस्य.
और न कोइ-अन्य कोई दूसरा नहीं है, अन्य कोई।
घट मैं -हृदय में, चित्त में।
संचरे-संचित होता है, बसता है।
तौ -तब.
तिल-बहुत ही छोटी मात्रा. (तिल -एक खाद्यान्न)
सब तन-सभी तन.
कंचन होइ- सोना/स्वर्ण हो जाती है।

कबीर साहेब की वाणी है की उन्होंने सभी रसायन, युक्ति करके देख ली है। साधक ने समस्त युक्ति, रसास्वाद करके देख लिया है लेकिन हरी रस/प्रभु प्रेम रस के समान कोई अन्य रस नहीं है. जो कायाकल्प हेतु हरी रस, भक्ति रस की महत्ता है वह अन्य किसी सांसारिक संसाधनों की नहीं है. हरी रस की एक छोटी सी मात्र, तिल भर, लेश मात्र भी हृदय में संचरित हो जाए तो जीवन/काया स्वर्णिम हो उठती है, यह हरी रस की उपयोगिता है।
स्वर्णिम होने से भाव है की जीवात्मा पापमुक्त हो जाती है। राम रसायन से हृदय सांसारिक विषय वासनाओं से मुक्त हो जाता है. राम रसायन को प्राप्त करने के बाद अन्य कोई चाहना भी शेष नहीं रहती है. जीवात्मा को किसी सांसारिक क्रियाओं से कोई लेना देना शेष नहीं रहता है. वह पूर्ण रूप से उच्च स्तर के रसपान में व्यस्त हो जाता है. इस साखी में हरी रस के गुणों के बारे में बोध होता है।
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