कया कमंडल भरि लिया हिंदी मीनिंग कबीर के दोहे

कया कमंडल भरि लिया हिंदी मीनिंग Kaya Kamandal Bhari Liya Meaning Kabir Ke Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Meaning Sahit.

कया कमंडल भरि लिया, उज्जल निर्मल नीर।
तन मन जोबन भरि पिया, प्यास न मिटी सरीर॥

Kaya Kamandal Bhari Liya, Ujjal Nirmal Neer,
Tan Man Joban Bhari Piya, Pyaas Na Miti Sharir

कया : काया, शरीर.
भरि लिया : ग्रहण कर लिया, प्राप्त कर लिया.
उज्जल : प्रकाशित, उज्ज्वल.
निर्मल नीर : स्वच्छ पानी, भागवत प्रेम, हरी रस.
तन मन जोबन : यौवन, तन मन की पूर्ण शक्ति के साथ.
भरि पिया : भरकर पिया, ग्रहण किया.
प्यास न मिटी सरीर : शरीर (आत्मा) की प्यास नहीं बुझ पाई है.

यौवन से आशय है की शरीर की तेजतम अवस्था, जब शरीर में बल होता है। शरीर रूपी कमंडल में साधक ने भगतवत प्रेम का रस भर को भर लिया है। लेकिन हरि रस कुछ ऐसा होता है की साधक की प्यास नहीं बुझ पाती है, वह अधिक की चाह रखता है। अधिक रसास्वाद की उसकी इच्छा बढ़ती ही चली जाती है। हरी रस पीने की तृष्णा अधिक बलवती होती चली जाती है। यही भक्ति रस की इस साखी में व्यक्तिरेक और सांगरूपक अलंकार की व्यंजना हुई है।
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