सत री संगत गंगा गोमती भजन

सत री संगत गंगा गोमती लिरिक्स Sat Ri Sangat Ganga Gomati Rajasthani Bhajan by Shyam Paliwal Bhajan

इस भजन में सतसंगत के महत्त्व को दर्शाया गया है और वर्णन है की सत्संगत सरसवती, काशी और प्रयाग, और गंगा गोमती के समान है। जैसे यहाँ पर आकर स्नान करने से जीव पाप मुक्त हो जाता है वैसे ही सत्संगत  करने से ही कुबुद्धि दूर होती है और यम /मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। भक्ति ध्रुव और प्रह्लाद जी ने नारद से सत्संगत किया जिसके परिणाम स्वरुप बैकुंठ मैं  स्थान पाया। लाखों प्राणी सत की संगत करके भव सागर से पार हो गए हैं, आवागमन से मुक्त हो गए हैं।
सत्य की संगत ऐसी है जैसे अहिल्या ईश्वर के चरणों की रज मात्र से ही भव सागर पार हो गई है और जो रज अहिल्या की है उसे हाथी ढूंढ रहे हैं की वे भी उस रज के सम्पर्क में आने से आवागमन से मुक्त हो सकें। 

रे भाई सत री संगत गंगा गोमती,
सरस्वती कासी परीयागा,
लाखों पापीडा इण में उबरया,
डर जमड़ो रो भागा।
सत री संगत गंगा गोमती।


ऐ भाई, ध्रुव जी और प्रहलाद जी,
सतसंग नारद जी से किन्हीं,
विष्णुपुरी बैकुंठ में,
सुरपति आदर ज्याने दीन्हीं,
सत री संगत गंगा गोमती।

ऐ भाई, रतना करमा सबरी भीलणी,
सेना धन्ना और नापाँ,
सतसंग रे प्रताप सूं,
पाई उत्तम धामा,
सत री संगत गंगा गोमती।

ऐ भाई,  शेषखाना रो एक बादशाह,
नरपत कन्या चित्त लाही,
सतसंग रे प्रताप सूं,
भूपा भेंट चढ़ाई,
सत री संगत गंगा गोमती।

ऐ भाई,  तपोवर भूमि स्यूं रघुवर निसरया,
रज चरणा री लागी,
चरण पखारत अहिल्या उबरी ,
दिल री दुरमती भागी,
सत री संगत गंगा गोमती।

धूळ धरे गज सीस पे,
ईश्वर के मन भाई,
जिण रज स्यूं अहिल्या उबरी,
वो रज खोजै गजराई,
सत री संगत गंगा गोमती। 
रे भाई सत री संगत गंगा गोमती,
सरस्वती कासी परीयागा,
लाखों पापीडा इण में उबरया,
डर जमड़ो रो भागा।
सत री संगत गंगा गोमती। 

सतसंग महान क्यों जाने | सत री संगत गंगा गोमती | श्याम पालीवाल भजन | Shyam Paliwal Bhajan

Re Bhai Sat Ri Sangat Ganga Gomati,
Sarasvati Kaasi Pariyaaga,
Laakhon Paapida In Mein Ubaraya,
Dar Jamado Ro Bhaaga.
Sat Ri Sangat Ganga Gomati.

Ai Bhai, Dhruv Ji Aur Prahalaad Ji,
Satasang Naarad Ji Se Kinhin,
Vishnupuri Baikunth Mein,
Surapati Aadar Jyaane Dinhin,
Sat Ri Sangat Ganga Gomati.

Ai Bhai, Ratana Karama Sabari Bhilani,
Sena Dhanna Aur Naapaan,
Satasang Re Prataap Sun,
Pai Uttam Dhaama,
Sat Ri Sangat Ganga Gomati.

Ai Bhai,  Sheshakhaana Ro Ek Baadashaah,
Narapat Kanya Chitt Laahi,
Satasang Re Prataap Sun,
Bhupa Bhent Chadhai,
Sat Ri Sangat Ganga Gomati.

Ai Bhai,  Tapovar Bhumi Syun Raghuvar Nisaraya,
Raj Charana Ri Laagi,
Charan Pakhaarat Ahilya Ubari ,
Dil Ri Duramati Bhaagi,
Sat Ri Sangat Ganga Gomati.

Dhul Dhare Gaj Sis Pe,
ishvar Ke Man Bhai,
Jin Raj Syun Ahilya Ubari,
Vo Raj Khojai Gajarai,
Sat Ri Sangat Ganga Gomati.
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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