सतगुरु आवत देखियाँ,
और कांधे लाल बन्दूक,
गोली दागी हरी नाम की,
तो भाग गया जमदूत।
सतगुरु आया बिणजारा,
ऐसो डाव फेर नहीं आवे,
ऐसो डाव थारो पाछो कोणी,आवे,
मिले ना दूजी बारा, रै मन रे,
सतगुरु आया बिणजारा।
ज्ञान गुणा री बाळद लाया,
हीरा लाया अपारा,
मूंगी (महँगी) चीज अमोलक लाया,
ऐसा गुरु जी दातारा, मन रै,
सतगुरु आया बिणजारा,
ऐसो डाव फेर नहीं आवे,
ऐसो डाव थारो पाछो कोणी,आवे,
मिले ना दूजी बारा, रै मन रे,
सतगुरु आया बिणजारा।
प्रेम भक्ति की हाटां खोली,
लाला मोती जवारां,
गुरुमुखी वे सो सौदा कर ले,
भटकत फिर है गँवारा मन रै,
सतगुरु आया बिणजारा,
ऐसो डाव बंदा फेर नहीं आवे,
ऐसो डाव तेरो पाछो कोणी,आवे,
मिले ना दूजी बारा, रै मन रे,
सतगुरु आया बिणजारा।
जिण घर सत संगत नहीं होवे,
बठे घर जमड़ा करे है पुकारा,
आठों पहर बठे रहवे रै उदासी,
जावें नरक दवारा,
सतगुरु आया बिणजारा,
ऐसो डाव फेर नहीं आवे,
ऐसो डाव थारो पाछो कोणी,आवे,
मिले ना दूजी बारा, रै मन रे,
सतगुरु आया बिणजारा।
जिण घर सत संगत नित होवे,
बठे संत करे पुकारां,
आठों पोहर हरी रा गुण गावे,
वे जावे साहिब के द्वारा, रै मन रे,
सतगुरु आया बिणजारा,
ऐसो डाव फेर नहीं आवे,
ऐसो डाव थारो पाछो कोणी,आवे,
मिले ना दूजी बारा, रै मन रे,
सतगुरु आया बिणजारा।
साहेब कबीर मिल्या गुरु पूरा,
बिणज किया अति भारा,
धर्मीदास दासा के दासा,
ह्रदय सिरजण हारा,
सतगुरु आया बिणजारा,
ऐसो डाव फेर नहीं आवे,
ऐसो डाव थारो पाछो कोणी,आवे,
मिले ना दूजी बारा, रै मन रे,
सतगुरु आया बिणजारा।
और कांधे लाल बन्दूक,
गोली दागी हरी नाम की,
तो भाग गया जमदूत।
सतगुरु आया बिणजारा,
ऐसो डाव फेर नहीं आवे,
ऐसो डाव थारो पाछो कोणी,आवे,
मिले ना दूजी बारा, रै मन रे,
सतगुरु आया बिणजारा।
ज्ञान गुणा री बाळद लाया,
हीरा लाया अपारा,
मूंगी (महँगी) चीज अमोलक लाया,
ऐसा गुरु जी दातारा, मन रै,
सतगुरु आया बिणजारा,
ऐसो डाव फेर नहीं आवे,
ऐसो डाव थारो पाछो कोणी,आवे,
मिले ना दूजी बारा, रै मन रे,
सतगुरु आया बिणजारा।
प्रेम भक्ति की हाटां खोली,
लाला मोती जवारां,
गुरुमुखी वे सो सौदा कर ले,
भटकत फिर है गँवारा मन रै,
सतगुरु आया बिणजारा,
ऐसो डाव बंदा फेर नहीं आवे,
ऐसो डाव तेरो पाछो कोणी,आवे,
मिले ना दूजी बारा, रै मन रे,
सतगुरु आया बिणजारा।
जिण घर सत संगत नहीं होवे,
बठे घर जमड़ा करे है पुकारा,
आठों पहर बठे रहवे रै उदासी,
जावें नरक दवारा,
सतगुरु आया बिणजारा,
ऐसो डाव फेर नहीं आवे,
ऐसो डाव थारो पाछो कोणी,आवे,
मिले ना दूजी बारा, रै मन रे,
सतगुरु आया बिणजारा।
जिण घर सत संगत नित होवे,
बठे संत करे पुकारां,
आठों पोहर हरी रा गुण गावे,
वे जावे साहिब के द्वारा, रै मन रे,
सतगुरु आया बिणजारा,
ऐसो डाव फेर नहीं आवे,
ऐसो डाव थारो पाछो कोणी,आवे,
मिले ना दूजी बारा, रै मन रे,
सतगुरु आया बिणजारा।
साहेब कबीर मिल्या गुरु पूरा,
बिणज किया अति भारा,
धर्मीदास दासा के दासा,
ह्रदय सिरजण हारा,
सतगुरु आया बिणजारा,
ऐसो डाव फेर नहीं आवे,
ऐसो डाव थारो पाछो कोणी,आवे,
मिले ना दूजी बारा, रै मन रे,
सतगुरु आया बिणजारा।
सतगुरु आवत देखियाँ, और कांधे लाल बन्दूक : जीवात्मा देखती है की सतगुरु आ रहे हैं और उनके कंधे पर लाल बन्दूक है। लाल बन्दूक से आशय है शब्द रूपी बन्दूक जिसको चला कर गुरु शिष्य को ज्ञान प्रदान करते हैं।
गोली दागी हरी नाम की, तो भाग गया जमदूत : जब सतगुरु ने हरी के नाम की गोली चलाई तो यम के दूत दूर भाग गए।
सतगुरु आया बिणजारा, ऐसो डाव फेर नहीं आवे : सतगुरु घुमन्तु हैं और वे बनजारे की भाँती आए हैं। ऐसा मौका (डाव) पुनः नहीं मिलने वाला है। इसी मौके पर साधक को उनसे ज्ञान को ग्रहण कर लेने चाहिए।
ऐसो डाव थारो पाछो कोणी,आवे : पाछो से आशय पुनः से है। दुबारा ऐसा मौका/अवसर नहीं आने वाला है।
मिले ना दूजी बारा, रै मन रे : यह अवसर दुबारा नहीं मिलेगा।
ज्ञान गुणा री बाळद लाया, हीरा लाया अपारा : सतगुरु देव जी ज्ञान और गुण की बिक्री (बाळद - बिक्री का सौदा ) लाये हैं जो हीरे के समान अमूल्य है।
मूंगी चीज अमोलक लाया : रत्नों रूपी मूंगी-महँगी (उच्चारण में भिन्नता) अमूल्य वस्तुओं को गुरु साहेब लेकर आये हैं।
ऐसा गुरु जी दातारा, मन रै, सतगुरु आया बिणजारा : ऐसे दातार/प्रदान करने वाले गुरु साहिब हैं।
प्रेम भक्ति की हाटां खोली, लाला मोती जवारां : भक्ति रूपी/प्रेम की हाट/बाजार को गुरु साहेब ने सबके सामने खोल कर रख दिया है।
गुरुमुखी वे सो सौदा कर ले, भटकत फिर है गँवारा मन रै : जो गुरुमुखी है, गुरु की शिक्षाओं को ग्रहण करने के लिए उत्सुक है वह सौदा कर लेता है/ज्ञान को ग्रहण कर लेता है और जो गंवार होता है वह बाजार में यहाँ से वहां पर भटकता ही रहता है। गंवार से आशय है जिसे तत्व की पहचान ही नहीं है।
जिण घर सत संगत नहीं होवे, बठे घर जमड़ा करे है पुकारा : राम नाम का यश है की जिस घर में सत्य की संगती नहीं की जाती है, वहां (बठे) पर यम चिल्लाता रहता है। ऐसे लोगों के आवागमन का चक्र पूर्ण नहीं हो पाता है।
आठों पहर बठे रहवे रै उदासी, जावें नरक दवारा : ऐसे स्थान पर हरवक्त उदासी रहती है और वे नरक को ही प्राप्त होते हैं। नरक के द्वार पर जाते हैं।
जिण घर सत संगत नित होवे, बठे संत करे पुकारां : इसके विपरीत जिस घर हरी का यश गान होता है वहां पर सदा ही संत का वास होता है।
आठों पोहर हरी रा गुण गावे, वे जावे साहिब के द्वारा, रै मन रे : जो आठों पहर हरी के नाम का यश गाते हैं वे स्वर्गपुरी में साहिब/मालिक के द्वार पर जाते हैं।
साहेब कबीर मिल्या गुरु पूरा, बिणज किया अति भारा : कबीर साहेब को गुरु महाराज के आशीर्वाद स्वरुप पूर्ण ज्ञान प्राप्त हुआ। धर्मिदास जी ईश्वर के दासों के दास हैं और कहते हैं की सतगुरु आये और उनके कारण व्यापर/बिणज पूर्ण हुआ है। -सत श्री साहेब।
गोली दागी हरी नाम की, तो भाग गया जमदूत : जब सतगुरु ने हरी के नाम की गोली चलाई तो यम के दूत दूर भाग गए।
सतगुरु आया बिणजारा, ऐसो डाव फेर नहीं आवे : सतगुरु घुमन्तु हैं और वे बनजारे की भाँती आए हैं। ऐसा मौका (डाव) पुनः नहीं मिलने वाला है। इसी मौके पर साधक को उनसे ज्ञान को ग्रहण कर लेने चाहिए।
ऐसो डाव थारो पाछो कोणी,आवे : पाछो से आशय पुनः से है। दुबारा ऐसा मौका/अवसर नहीं आने वाला है।
मिले ना दूजी बारा, रै मन रे : यह अवसर दुबारा नहीं मिलेगा।
ज्ञान गुणा री बाळद लाया, हीरा लाया अपारा : सतगुरु देव जी ज्ञान और गुण की बिक्री (बाळद - बिक्री का सौदा ) लाये हैं जो हीरे के समान अमूल्य है।
मूंगी चीज अमोलक लाया : रत्नों रूपी मूंगी-महँगी (उच्चारण में भिन्नता) अमूल्य वस्तुओं को गुरु साहेब लेकर आये हैं।
ऐसा गुरु जी दातारा, मन रै, सतगुरु आया बिणजारा : ऐसे दातार/प्रदान करने वाले गुरु साहिब हैं।
प्रेम भक्ति की हाटां खोली, लाला मोती जवारां : भक्ति रूपी/प्रेम की हाट/बाजार को गुरु साहेब ने सबके सामने खोल कर रख दिया है।
गुरुमुखी वे सो सौदा कर ले, भटकत फिर है गँवारा मन रै : जो गुरुमुखी है, गुरु की शिक्षाओं को ग्रहण करने के लिए उत्सुक है वह सौदा कर लेता है/ज्ञान को ग्रहण कर लेता है और जो गंवार होता है वह बाजार में यहाँ से वहां पर भटकता ही रहता है। गंवार से आशय है जिसे तत्व की पहचान ही नहीं है।
जिण घर सत संगत नहीं होवे, बठे घर जमड़ा करे है पुकारा : राम नाम का यश है की जिस घर में सत्य की संगती नहीं की जाती है, वहां (बठे) पर यम चिल्लाता रहता है। ऐसे लोगों के आवागमन का चक्र पूर्ण नहीं हो पाता है।
आठों पहर बठे रहवे रै उदासी, जावें नरक दवारा : ऐसे स्थान पर हरवक्त उदासी रहती है और वे नरक को ही प्राप्त होते हैं। नरक के द्वार पर जाते हैं।
जिण घर सत संगत नित होवे, बठे संत करे पुकारां : इसके विपरीत जिस घर हरी का यश गान होता है वहां पर सदा ही संत का वास होता है।
आठों पोहर हरी रा गुण गावे, वे जावे साहिब के द्वारा, रै मन रे : जो आठों पहर हरी के नाम का यश गाते हैं वे स्वर्गपुरी में साहिब/मालिक के द्वार पर जाते हैं।
साहेब कबीर मिल्या गुरु पूरा, बिणज किया अति भारा : कबीर साहेब को गुरु महाराज के आशीर्वाद स्वरुप पूर्ण ज्ञान प्राप्त हुआ। धर्मिदास जी ईश्वर के दासों के दास हैं और कहते हैं की सतगुरु आये और उनके कारण व्यापर/बिणज पूर्ण हुआ है। -सत श्री साहेब।
Raju Swami || सतगुरु आया बिणजारा || chetavni bhajan || Satguru Aaya Banjara ||
Sataguru Aavat Dekhiyaan,Goli Daagi Hari Naam Ki,
To Bhaag Gaya Jamadut.
Sataguru Aaya Binajaara,
Aiso Daav Pher Nahin Aave,
Aiso Daav Thaaro Paachho Koni,aave,
Mile Na Duji Baara, Rai Man Re,
Sataguru Aaya Binajaara.
Gyaan Guna Ri Baalad Laaya,
Hira Laaya Apaara,
Mungi Chij Amolak Laaya,
Aisa Guru Ji Daataara, Man Rai,
Sataguru Aaya Binajaara,
Aiso Daav Pher Nahin Aave,
Aiso Daav Thaaro Paachho Koni,aave,
Mile Na Duji Baara, Rai Man Re,
Sataguru Aaya Binajaara.
Prem Bhakti Ki Haataan Kholi,
Laala Moti Javaaraan,
Gurumukhi Ve So Sauda Kar Le,
Bhatakat Phir Hai Ganvaara Man Rai,
Sataguru Aaya Binajaara,
Aiso Daav Banda Pher Nahin Aave,
Aiso Daav Tero Paachho Koni,aave,
Mile Na Duji Baara, Rai Man Re,
Sataguru Aaya Binajaara.
Jin Ghar Sat Sangat Nahin Hove,
Bathe Ghar Jamada Kare Hai Pukaara,
Aathon Pahar Bathe Rahave Rai Udaasi,
Jaaven Narak Davaara,
Sataguru Aaya Binajaara,
Aiso Daav Pher Nahin Aave,
Aiso Daav Thaaro Paachho Koni,aave,
Mile Na Duji Baara, Rai Man Re,
Sataguru Aaya Binajaara.
Jin Ghar Sat Sangat Nit Hove,
Bathe Sant Kare Pukaaraan,
Aathon Pohar Hari Ra Gun Gaave,
Ve Jaave Saahib Ke Dvaara, Rai Man Re,
Sataguru Aaya Binajaara,
Aiso Daav Pher Nahin Aave,
Aiso Daav Thaaro Paachho Koni,aave,
Mile Na Duji Baara, Rai Man Re,
Sataguru Aaya Binajaara.
Saaheb Kabir Milya Guru Pura,
Binaj Kiya Ati Bhaara,
Dharmidaas Daasa Ke Daasa,
Hraday Sirajan Haara,
Sataguru Aaya Binajaara,
Aiso Daav Pher Nahin Aave,
Aiso Daav Thaaro Paachho Koni,aave,
Mile Na Duji Baara, Rai Man Re,
Sataguru Aaya Binajaara.
Author - Saroj Jangir
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