सुण सुण रै सतसंग री बातां भजन मीनिंग Sun Sun Re Satsangat Ree Bata
भजन कीर्तन, हरी सुमिरण ही इस मानव जीवन का आधार है। हमें नित्य हरी के नाम का सुमिरण करना चाहिए। राजस्थानी भाषा के इस चेतावनी भजन का हिंदी अर्थ निचे दिया गया है।
एक घड़ी, आधी घड़ी,
और आधी में पूनी आध,
तुलसी सत्संगत संत की,
मिटे करोड़ अपराध,
तपस्या बरस हजार की,
सतसंग की घड़ी एक,
तो भी बराबर ना तुले,
मुनि सुखदेव की विवेक।
सुण सुण रै, सुण सुण रै,
सुण सुण रै, सतसंग री बातां,
जनम सफल हो जावेला,
राम सुमिर सुख पावेला।
सत री संगत में नित रो आणों,
सत शब्दा को ध्यान लगाणों,
सुणियाँ पाप कट जावेला,
राम सुमर सुख पावेला,
सुण सुण रै, सुण सुण रै,
सुण सुण रै, सतसंग री बातां,
जनम सफल हो जावेला,
राम सुमिर सुख पावेला।
सत री संगत में सतगुरु आसी,
प्रेम भाव रस प्याला प्यासी,
पिया अमर हो जावेला,
राम सुमर सुख पावेला,
सुण सुण रै, सुण सुण रै,
सुण सुण रै, सतसंग री बातां,
जनम सफल हो जावेला,
राम सुमिर सुख पावेला।
चेत चेत नर चेतो कर ले,
राम नाम की बाळद भर ले,
खर्च बिना काई खावे ला,
राम सुमर सुख पावेला,
सुण सुण रै, सुण सुण रै,
सुण सुण रै, सतसंग री बातां,
जनम सफल हो जावेला,
राम सुमिर सुख पावेला।
दास भगत थाने दे रहा हेला,
अबके बिछड्या फेर ना मिलाला,
फेर पछे पछतावोला,
राम सुमर सुख पावेला,
सुण सुण रै, सुण सुण रै,
सुण सुण रै, सतसंग री बातां,
जनम सफल हो जावेला,
राम सुमिर सुख पावेला।
और आधी में पूनी आध,
तुलसी सत्संगत संत की,
मिटे करोड़ अपराध,
तपस्या बरस हजार की,
सतसंग की घड़ी एक,
तो भी बराबर ना तुले,
मुनि सुखदेव की विवेक।
सुण सुण रै, सुण सुण रै,
सुण सुण रै, सतसंग री बातां,
जनम सफल हो जावेला,
राम सुमिर सुख पावेला।
सत री संगत में नित रो आणों,
सत शब्दा को ध्यान लगाणों,
सुणियाँ पाप कट जावेला,
राम सुमर सुख पावेला,
सुण सुण रै, सुण सुण रै,
सुण सुण रै, सतसंग री बातां,
जनम सफल हो जावेला,
राम सुमिर सुख पावेला।
सत री संगत में सतगुरु आसी,
प्रेम भाव रस प्याला प्यासी,
पिया अमर हो जावेला,
राम सुमर सुख पावेला,
सुण सुण रै, सुण सुण रै,
सुण सुण रै, सतसंग री बातां,
जनम सफल हो जावेला,
राम सुमिर सुख पावेला।
चेत चेत नर चेतो कर ले,
राम नाम की बाळद भर ले,
खर्च बिना काई खावे ला,
राम सुमर सुख पावेला,
सुण सुण रै, सुण सुण रै,
सुण सुण रै, सतसंग री बातां,
जनम सफल हो जावेला,
राम सुमिर सुख पावेला।
दास भगत थाने दे रहा हेला,
अबके बिछड्या फेर ना मिलाला,
फेर पछे पछतावोला,
राम सुमर सुख पावेला,
सुण सुण रै, सुण सुण रै,
सुण सुण रै, सतसंग री बातां,
जनम सफल हो जावेला,
राम सुमिर सुख पावेला।
एक घड़ी, आधी घड़ी, और आधी में पूनी आध : सत्संगति (सत्य की संगत) बहुत ही मूलयवान है। जैसे एक घड़ी, आधी घडी और आधी से भी आधी घड़ी (पल) भी बहुत मायने रखते हैं, महत्वपूर्ण हैं।
तुलसी सत्संगत संत की, मिटे करोड़ अपराध : तुसलीदास जी कहते हैं की सत्य की संगति से करोड़ों अपराध मिट जाते हैं।
तपस्या बरस हजार की, सतसंग की घड़ी एक : कोई व्यक्ति यदि हजारों वर्षों तक तपस्या करे तो उससे भी अधिक महत्त्व सत्संगत होती है।
तो भी बराबर ना तुले, मुनि सुखदेव की विवेक : तब भी दोनों बराबर नहीं, ,दोनों एक जैसे नहीं चलते हैं। दोनों में अंतर् रहता है।
सुण सुण रै, सुण सुण रै, सुण सुण रै, सतसंग री बातां : जीवात्मा से संवाद है की तुम सतसंगत की बातों को ध्यान पूर्वक श्रवण करो/सुनों।
जनम सफल हो जावेला, राम सुमिर सुख पावेला : हरी सुमिरण सम्बन्धी बातों को सुनने से तुम्हारा जनम सफल हो जाएगा।
सत री संगत में नित रो आणों, सत शब्दा को ध्यान लगाणों : रोज सत्य की संगत (शब्दवाणी) में आना चाहिए और नित्य शब्दों पर ध्यान लगाना चाहिए।
सुणियाँ पाप कट जावेला, राम सुमर सुख पावेला : सुनने से पाप कट जाएंगे और राम सुमिरन से सुख प्राप्त होगा।
सत री संगत में सतगुरु आसी, प्रेम भाव रस प्याला प्यासी : सत्य की संगती में आने पर प्रेम रस/भक्ति रस का प्याला पीने को मिलेगा।
पिया अमर हो जावेला : भक्ति रस का प्याला पीने से जनम मरण से मुक्ति प्राप्त हो जायेगी और तुम अमरता को प्राप्त करोगे।
राम सुमर सुख पावेला : राम का नाम सुमर ले, सुख की प्राप्ति होगी।
चेत चेत नर चेतो कर ले, राम नाम की बाळद भर ले : तुम चेतन अवस्था को प्राप्त करो, जागो और विवेचन करो और राम नाम का धन (बालद -विक्रय हेतु सामान ) /बालद को भर लो, जो तुम्हारे आगे काम आने वाली है।
खर्च बिना काई खावे ला, राम सुमर सुख पावेला : राम नाम रूपी पूंजी को यदि नहीं जोड़ा तो आगे क्या खाओगे ,खर्च करने के लिए राम नाम धन को इकठ्ठा करो।
दास भगत थाने दे रहा हेला, अबके बिछड्या फेर ना मिलाला : भगत और दास आपको आवाज दे रहे हैं की यदि अबकी बार भी हरी से बिछड़ गए तो जाने कब मिलेंगे। हेला- पुकार, बिछड्या- बिछड़ जाना, मिलाला -मिलेंगे।
फेर पछे पछतावोला : फिर बाद में पछताओगे।
तपस्या बरस हजार की, सतसंग की घड़ी एक : कोई व्यक्ति यदि हजारों वर्षों तक तपस्या करे तो उससे भी अधिक महत्त्व सत्संगत होती है।
तो भी बराबर ना तुले, मुनि सुखदेव की विवेक : तब भी दोनों बराबर नहीं, ,दोनों एक जैसे नहीं चलते हैं। दोनों में अंतर् रहता है।
सुण सुण रै, सुण सुण रै, सुण सुण रै, सतसंग री बातां : जीवात्मा से संवाद है की तुम सतसंगत की बातों को ध्यान पूर्वक श्रवण करो/सुनों।
जनम सफल हो जावेला, राम सुमिर सुख पावेला : हरी सुमिरण सम्बन्धी बातों को सुनने से तुम्हारा जनम सफल हो जाएगा।
सत री संगत में नित रो आणों, सत शब्दा को ध्यान लगाणों : रोज सत्य की संगत (शब्दवाणी) में आना चाहिए और नित्य शब्दों पर ध्यान लगाना चाहिए।
सुणियाँ पाप कट जावेला, राम सुमर सुख पावेला : सुनने से पाप कट जाएंगे और राम सुमिरन से सुख प्राप्त होगा।
सत री संगत में सतगुरु आसी, प्रेम भाव रस प्याला प्यासी : सत्य की संगती में आने पर प्रेम रस/भक्ति रस का प्याला पीने को मिलेगा।
पिया अमर हो जावेला : भक्ति रस का प्याला पीने से जनम मरण से मुक्ति प्राप्त हो जायेगी और तुम अमरता को प्राप्त करोगे।
राम सुमर सुख पावेला : राम का नाम सुमर ले, सुख की प्राप्ति होगी।
चेत चेत नर चेतो कर ले, राम नाम की बाळद भर ले : तुम चेतन अवस्था को प्राप्त करो, जागो और विवेचन करो और राम नाम का धन (बालद -विक्रय हेतु सामान ) /बालद को भर लो, जो तुम्हारे आगे काम आने वाली है।
खर्च बिना काई खावे ला, राम सुमर सुख पावेला : राम नाम रूपी पूंजी को यदि नहीं जोड़ा तो आगे क्या खाओगे ,खर्च करने के लिए राम नाम धन को इकठ्ठा करो।
दास भगत थाने दे रहा हेला, अबके बिछड्या फेर ना मिलाला : भगत और दास आपको आवाज दे रहे हैं की यदि अबकी बार भी हरी से बिछड़ गए तो जाने कब मिलेंगे। हेला- पुकार, बिछड्या- बिछड़ जाना, मिलाला -मिलेंगे।
फेर पछे पछतावोला : फिर बाद में पछताओगे।
Anil Nagori सुन सुन रे सत्संग री बाता sun sun satsang ri bata अनिल नागौरी
Ek Ghadi, Aadhi Ghadi,
Aur Aadhi Mein Puni Aadh,
Tulasi Satsangat Sant Ki,
Mite Karod Aparaadh,
Tapasya Baras Hajaar Ki,
Satasang Ki Ghadi Ek,
To Bhi Baraabar Na Tule,
Muni Sukhadev Ki Vivek.
Sun Sun Rai, Sun Sun Rai,
Sun Sun Rai, Satasang Ri Baataan,
Janam Saphal Ho Jaavela,
Raam Sumir Sukh Paavela.
Sat Ri Sangat Mein Nit Ro Aanon,
Sat Shabda Ko Dhyaan Lagaanon,
Suniyaan Paap Kat Jaavela,
Raam Sumar Sukh Paavela,
Sun Sun Rai, Sun Sun Rai,
Sun Sun Rai, Satasang Ri Baataan,
Janam Saphal Ho Jaavela,
Raam Sumir Sukh Paavela.
Sat Ri Sangat Mein Sataguru Aasi,
Prem Bhaav Ras Pyaala Pyaasi,
Piya Amar Ho Jaavela,
Raam Sumar Sukh Paavela,
Sun Sun Rai, Sun Sun Rai,
Sun Sun Rai, Satasang Ri Baataan,
Janam Saphal Ho Jaavela,
Raam Sumir Sukh Paavela.
Chet Chet Nar Cheto Kar Le,
Raam Naam Ki Baalad Bhar Le,
Kharch Bina Kai Khaave La,
Raam Sumar Sukh Paavela,
Sun Sun Rai, Sun Sun Rai,
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Raam Sumir Sukh Paavela.
Daas Bhagat Thaane De Raha Hela,
Abake Bichhadya Pher Na Milaala,
Pher Pachhe Pachhataavola,
Raam Sumar Sukh Paavela,
Sun Sun Rai, Sun Sun Rai,
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Aur Aadhi Mein Puni Aadh,
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To Bhi Baraabar Na Tule,
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Raam Sumir Sukh Paavela.
Author - Saroj Jangir
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