इस पारम्परिक राजस्थानी लोक गीत में नायिका अपने प्रिय के घर से बाहर होने
पर अपनी वेदना को व्यक्त करती है। वैसे यह पूर्ण "उमराव" नहीं है। पूर्ण
उमराव के बोल आपको अगली पर उपलब्ध हो जाएंगे। इस लोक गीत का हिंदी अर्थ
निचे दिया गया है। इस लोकगीत में नायिका विरह का वर्णन करती है।
साजन साजण मैं करूँ, साजन जीव जड़ी, चुड़ल्यै ऊपर माण्ड ल्यूं, बाँचू घड़ी घड़ी, उमराव थारी ओळ्यू म्हाने, आवे म्हारा प्राण। म्हारा साहिबा, ओजी म्हारा राज,
Rajasthani Folk Songs Lyrics in Hindi
आप झरोखा बैठता, अलबलिया सिरदार : नायिका कल्पना करती है की आप मेरे पास होते तो आप झरोखे (पुराने मकानों में बालकनी रखी जाती थी जिससे प्राय बाहर का नजारा लिया जाता था ) बैठते। हाजिर रहती गौरड़ी, कर सौलह सिणगार : आपकी चाकरी में मैं (गौरड़-गौरी/नायिका) हाज़िर रहती, सोलह श्रृंगार करके। उमराव थारी बोली प्यारी लागै, : उमराव (प्रिय) आपकी बोली बड़ी प्यारी लगती है। म्हारा राज -यह प्रेमपूर्वक अभिवादन का शब्द है। म्हारा साहिबा, ओजी म्हारा राज : मेरे साहेब (मालिक) मेरे प्रिय। चंदा तेरे चानणे, सूती पलंग बिछाय : चंदा की चाँदनी में पलंग डाल कर मैं रही हूँ। जद जागूँ जद एकली, मरुँ कटारी खाय : जब भी मैं जागती हूँ, अकेली कटार खाकर मरती हूँ। इसका आशय है की अकेली होने के कारण मेरे हृदय में कटार जैसी चलती है। आशाढा बादळी छाई, अब घर आओ म्हारा राज : आषाढ़ का महीना आ गया है और बादल छा गए हैं, अब तो आप घर पर आ जाओ। साजन साजण मैं करूँ, साजन जीव जड़ी : मैं साजन के नाम की रटन लगाती हूँ। साजन ही मेरे जीवन की जड़ी (सलंग्न है) है। चुड़ल्यै ऊपर माण्ड ल्यूं, बाँचू घड़ी घड़ी : मैं आपके नाम को मेरे चूड़े/चूड़ी पर लिख लूँ/मांड लूँ और बार बार उसे ही पढ़ती रहूं। बाँचूँ-पढूं। घड़ी घड़ी -बार बार, थोड़ी थोड़ी देर में। उमराव थारी ओळ्यू म्हाने, आवे म्हारा प्राण : उमराव जी, मुझे आपकी याद (ओळ्यू ) आती है, आप ही मेरे प्राण हैं।
Umrav thari boli | Kapil Jangir Ft. Anupriya Lakhawat | Full Video Song | Rajasthani Song
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