विष्णु चालीसा विष्णु सुनिए विनय सेवक की चित्तलाय लिरिक्स Vishnu Chalisa Lyrics Hindi

विष्णु चालीसा विष्णु सुनिए विनय सेवक की चित्तलाय लिरिक्स Vishnu Chalisa Lyrics Hindi



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भगवान श्री विष्णु जी त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु महेश) में से एक देव हैं जो वैदिक काल से ही सर्वोच्च देव माने जाते हैं। जहाँ समस्त जगत के रचियता ब्रह्मा जी हैं वही श्री विष्णु जी को नियामक और पालन हार देव के रूप में पूजा जाता है। सामान्य रूप से विष्णु शब्द का अर्थ व्यापक, सर्वव्याप्त और सर्वोच्च होता है।
भगवान श्री विष्णु के स्वरुप :
भगवान श्री विष्णु का सम्पूर्ण स्वरूप ज्ञानात्मक रूप में है। पुराणों में विष्णु जी के द्वारा धारण किये जाने वाले आभूषणों तथा आयुधों को भी प्रतीकात्मक समझा गया है।
कौस्तुभ मणि = जगत् के निर्लेप, निर्गुण तथा निर्मल क्षेत्रज्ञ स्वरूप का प्रतीक
श्रीवत्स = मूल प्रकृति / मुख्य,
गदा = गदा को बुद्धि का प्रतीक माना गया है।
शंख = भगवान श्री विष्णु जी के शंख को पंचमहाभूतों के उदय का कारण तामस अहंकार का प्रतीक माना गया है।
शार्ंग (धनुष) = भगवान् श्री विष्णु जी का धनुष इन्द्रियों को उत्पन्न करने वाला राजस अहंकार आदि का प्रतीक माना जाता है।
सुदर्शन चक्र = सात्विक अहंकार का प्रतीक।
वैजयन्ती माला = पंचतन्मात्रा तथा पंचमहाभूतों का संघात
बाण = ज्ञानेन्द्रिय तथा कर्मेन्द्रिय का प्रतीक।
खड्ग = विद्यामय ज्ञान का प्रतीक।
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशम्।
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघ वर्णं शुभांगम्।।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्।
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।।

भगवान श्री विष्णु जी की नियमित पूजा से जीवन के समस्त संताप स्वतः ही दूर होते हैं।  इनकी पूजा विशेष रूप से गुरूवार के रोज फलदाई होती है। माता लक्ष्मी जो वैभव और धन की देवी हैं उनकी कृपा भी आप पर स्वतः ही बनी रहती है। श्री विष्णु जी की पूजा से सुख, समृद्धि, वैभव, धन और यश की प्राप्ति होती है। 

भगवान श्री विष्णु जी की पूजा निम्न मन्त्र के साथ करनी लाभकारी होती है।
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् .
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्.
 
 विष्णु चालीसा विष्णु सुनिए विनय सेवक की चित्तलाय लिरिक्स Vishnu Chalisa Lyrics Hindi
विष्णु सुनिए, विनय सेवक की चित्तलाय,
कीरत कुछ वर्णन करूँ दीजै ज्ञान बताय।

चौपाई
नमो विष्णु भगवान खरारी,कष्ट नशावन अखिल बिहारी,
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारीं, त्रिभुवन फैल रही उजियारी।

सुन्दर रूप मनोहर सूरत, सरल स्वभाव मोहनी मूरत,
तन पर पीताम्बर अति सोहत, बैजन्ती माला मन मोहत।

शंख चक्र कर गदा बिराजै , देखत दैत्य असुर दल भाजै,
सत्य धर्म मद लोभ ना गाजे, काम क्रोध मद लोभ न छाजै।

सन्तभक्त सज्जन मनरंजन, दनुज असुर दुष्टन दल गंजन,
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन, दोष मिटाय करत जन सज्जन।

पाप काट भव सिन्धु उतारण, कष्ट नाशकर भक्त उबारण,
करत अनेक रूप प्रभु धारण,केवल आप भक्ति के कारण।

धरणि धेनु बन तुमहि पुकारा, तब तुम रूप राम का धारां,
भार उतार असुर दल मारा, रावण आदिक को संहारा।

आप वाराह रूप बनाया, हरण्याक्ष को मार गिराया,
धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया, चौदह रतनन को निकलाया।

अमिलख असुरन द्वन्द मचाया, रूप मोहनी आप दिखाया,
देवन को अमृत पान कराया, असुरन को छवि से बहलाया।

कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया, मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया,
शंकर का तुम फंद छुड़ाया, भस्मासुर को रूप दिखाया।

वेदन को जब असुर डुबाया, कर प्रबन्ध उन्हें ढुँढवाया,
मोहित बनकर खलहि नचायां, उसही कर से भस्म कराया।

असुर जलन्धर अति बलदाई, शंकर से उन कीन्ह लडाई,
हार पार शिव सकल बनाई, कीन सती से छल खल जाई।

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी, बतलाई सब विपत कहानी।
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी, वृन्दा की सब सुरति भूलानी।

देखत तीन दनुज शैतानी, वृन्दा आय तुम्हें लपटानी,
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी, हना असुर उर शिव शैतानी।

तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे, हिरणाकुश आदिक खल,
गणिका और अजामिल तारे,बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे,

हरहुँ सकल संताप हमारे, कृपा करहु हरि सिरजन हारै,
देखहुँ मैं निज दरश तुम्हारें, दीन बन्धु भक्तन हितकारै।

चहत आपका सेवक दर्शन, करहु दया अपनी मधुसूदन,
जानूँ नहीं योग्य जब पूजन, होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन।

शीलदया सन्तोष सुलक्षण, विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण,
करहुँ आपका किस विधि पूजन, कुमति विलोक होत दुःख भीषण।

करहुँ  प्रणाम कौन विधि सुमिरण, कौन भाँती मैं करहुँ समर्पण,
सुर मुनि करत सदा सेवकाई, हर्षित रहत परम गति पाई।

दीन दुखिन पर सदा सहाई, निज जन जान लेव अपनाई,
पाप दोष संताप नशाओ, भव बन्धन से मुक्त कराओं।

सुत सम्पति दे सुख उपजाओ निज चरनन का दास बनाओं,
निगम सदा ये विनय सुनावे पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै।
विष्णु सुनिए यह विनय
Vishnu Suniye Yeh Vinaya
सेवक की चितलाय
Sevak Ki Chitalaya
कीरत कुछ वर्णन करूं
Keerat Kuch Varnan Karu
दीजै ज्ञान बताय
Deejaye Gyan Bataye

जय जय श्री नारायण
Jai Jai Shree Narayan
जय जय जगदीश
Jai Jai Jagdish
जय जय श्री नारायण
Jai Jai Shree Narayan
जय जय जगदीश
Jai Jai Jagdish

नमो विष्णु भगवान खरारी
Namo Vishnu Bhagawan Kharari
कष्ट नशावन अखिल बिहारी
Kashta Nashavan Akhila Bihari
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी
Prabala Jagata Mein Shakti Tumhari
त्रिभुवन फैल रही उजियारी
Tribhuvana Phail Rahi Ujiyari

सुन्दर रूप मनोहर सूरत
Sundar Roop Manohar Soorat
सरल स्वभाव मोहनी मूरत

Sarala Svabhav Mohini Moorat
तन पर पीतांबर अति सोहत
Tana Para Pitambar Ati Sohat
बैजन्ती माला मन मोहत
Baijanti Maala Mann Mohat
शंख चक्र कर गदा बिराजे
Shankh Chakra Kar Gada Biraje
देखत दैत्य असुर दल भाजे
Dekhat Detaye Asura Dal Bhaje
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे
Satya Dharm Mad Lobh Na Gaaje
काम क्रोध मद लोभ न छाजे
Kaam Krodh Mada Lobha Na Chhaje

संतभक्त सज्जन मनरंजन
Santabhakt Sajjan Manaranjan
दनुज असुर दुष्टन दल गंजन
Danuja Asura Dushtan Dala Ganjan
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन
Sukh Upjaye Kasht Sab Bhanjan
दोष मिटाय करत जन सज्जन
Dhosh Mitaye Karat Jana Sajjan
पाप काट भव सिंधु उतारण
Paap Kaat Bhava Sindhu Utaran
कष्ट नाशकर भक्त उबारण
Kasht Nashkar Bhakat Ubaran
करत अनेक रूप प्रभु धारण
Karat Anek Roop Prabhu Dharan
केवल आप भक्ति के कारण
Keval Aap Bhakti Ke Kaaran

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा
Dharani Dhenu Ban Tumhi Pukara
तब तुम रूप राम का धारा
Tab Tum Roop Ram Ka Dhara
भार उतार असुर दल मारा
Bhar Utar Asura Dal Maara
रावण आदिक को संहारा
Ravan Adika Ko Samhara
आप वराह रूप बनाया
Aap Varaha Roop Banaya
हीरण्याक्ष को मार गिराया
Hiranyaksha Ko Maar Giraya
धर मत्स्य तन सिंधु बनाया
Dhar Matsya Tan Sindhu Banaya
चौदह रतनन को निकलाया
Chaudaha Ratanan Ko Nikalaya

अमिलख असुरन द्वंद मचाया
Amilakha Asurana Dwanda Machaya
रूप मोहनी आप दिखाया
Roop Mohini Aap Dikhaya
देवन को अमृत पान कराया
Devan Ko Amrit Paan Karaya
असुरन को छवि से बहलाया
Asurana Ko Chhabi Se Behalaya
कूर्म रूप धर सिंधु मझाया
Kurma Roop Dhara Sindhu Majhaya
मंद्राचल गिरि तुरत उठाया

Mandrachal Giri Turata Uthaya
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया
Shankar Ka Tuma Phanda Chudaya
भस्मासुर को रूप दिखाया
Bhasmasura Ko Roop Dikhaya
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