कान्हा एक झलक दिखा दो राधा

कान्हा एक झलक दिखा दो राधा तुम्हें बुलाएं भजन

कान्हा एक झलक दिखा दो राधा तुम्हें बुलाएं,
अपने को कोई अपना इतना नहीं सताएं।
गोकुल हैं सूना सूना वन भी है सूना सूना,
कितनी रुतें गई पर एक बार तुम ना आएं,
कान्हा एक झलक दिखा दो राधा तुम्हें बुलाएं,
अपने को कोई अपना इतना नहीं सताएं।
यमुना भी राह देखे पनघट भी राह देखे,
कितनें दिनों से अपनी आहट नहीं सुनाएं,
कान्हा एक झलक दिखा दो राधा तुम्हें बुलाएं,
अपने को कोई अपना इतना नहीं सताएं।
तेरी याद के बिना तो एक पल ना मेरा बीते,
कितने युगों से सोचो हमको हो तुम भूलाएं,
कान्हा एक झलक दिखा दो राधा तुम्हें बुलाएं,
अपने को कोई अपना इतना नहीं सताएं।

कृष्ण लला की लीलाएं अद्भुत और प्रेम से भरी होती थीं। उन्होंने बाल रूप में मिट्टी खाकर माता यशोदा को अपना विराट स्वरूप दिखाया था। वे माखन चुराकर ग्वाल बालों संग आनंद मनाते थे। कालिया नाग के फण पर नृत्य कर यमुना को शुद्ध किया। गोकुलवासियों को इंद्र के क्रोध से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को उठा लिया था। उनकी बाल लीलाएं प्रेम, भक्ति और चमत्कार से भरी हुई थीं जो आज भी हमें आनंदित करती हैं। जय कन्हैया लाल की।
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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