क्या तन माँझता रे, एक दिन माटी में मिल जाना | पवन चले उड़ जाना रे पगले, समय चूक पछताना | क्या तन माँझता रे, एक दिन माटी में मिल जाना |
चार जाना मिल गढ़ी बनाई, चढ़ा काठ की डोली | चारों तरफ से आग लगा दी, फूँक दिए जेसे होली |
क्या तन माँझता रे, एक दिन माटी में मिल जाना | क्या तन माँझता रे, इक दिन माटी में मिल जाना |
हाड जलें जेसे बन की लकड़ियाँ, केस जले जेसे घाँसा | कंचन जेसी काया जल गई, कोइ न आए पासा | क्या तन माँझता रे, एक दिन माटी में मिल जाना |
Kabir Bhajan Lyrics in Hindi
तीन दिना तेरी तिरिया रोये, तेरह दीना तेरा भाई | जनम जनम तेरी माता रोवे, करकें आशु पराई | क्या तन माँझता रे, इक दिन माटी में मिल जाना |
माटी ओढ़ना माटी बिछोना, माटी का सिरहाना | कहें कबीरा सुनलें रे बन्दे,
ये जग आना जाना |
क्या तन माँझता रे, एक दिन माटी में मिल जाना | पवन चले उड़ जाना रे पगले, समय चूक पछताना | क्या तन माँझता रे, एक दिन माटी में मिल जाना |
Kya Tan Manjata Re | क्या तन माँझता रे | Sadguru Kabir Saheb
Kya Tan Maanjhata Re, Ek Din Maati Mein Mil Jaana | Pavan Chale Ud Jaana Re Pagale, Samay Chuk Pachhataana | Kya Tan Maanjhata Re, Ek Din Maati Mein Mil Jaana |