हे अम्बे माँ भवानी दर पे तुम्हारे आये

हे अम्बे माँ भवानी दर पे तुम्हारे आये भजन

(मुखड़ा)
हे अंबे माँ भवानी,
दर पे तुम्हारे आए,
तेरे सिवा हे मैया,
दुखड़ा किसे सुनाएँ,
जय जय जय जय अंबे माँ,
जय जय जय जय अंबे माँ।।

(अंतरा)
है क्या कसूर मेरा,
तुमने मुझे बिसारा,
अच्छा हूँ या बुरा हूँ,
बालक हूँ माँ तुम्हारा,
दर छोड़कर तुम्हारा,
कहीं और हम न जाएँ।।

है आसरा तुम्हारा,
विश्वास है हमारा,
श्रद्धा और भावना से,
जिसने तुम्हें पुकारा,
सुनकर पुकार तूने,
संकट से है बचाए।।

ना जाने ज़िंदगी की,
कब डोर टूट जाए,
चरणों से तेरे लौ मेरा,
हरगिज़ न छूट पाए,
रग-रग में तेरी भक्ति,
मन में मेरे समाए।।

जीवन की डोर मेरी,
तेरे है अब हवाले,
फिर कौन परशुराम को,
तेरे सिवा संभाले,
किस पे करूँ भरोसा,
दुनिया ने है सताए।।

(अंतिम पुनरावृत्ति)
हे अंबे माँ भवानी,
दर पे तुम्हारे आए,
तेरे सिवा हे मैया,
दुखड़ा किसे सुनाएँ,
जय जय जय जय अंबे माँ,
जय जय जय जय अंबे माँ।।
 


हे अम्बे माँ भवानी दर पे तुम्हारे आये,तेरे सिवा हे मईया दुखड़ा किसे सुनायें-परशुराम उपाध्याय।
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