(मुखड़ा) फूलों में सज रही है, मेरी मैया शेरों वाली, कटरा में रह रही जो, मेरी मैया वैष्णो रानी, फूलों में सज रही है, मेरी मैया शेरों वाली।।
(अंतरा) कटरा की वादियों में, दरबार है सजाया, त्रिकूट पर्वत पे माँ, अपना भवन बनाया, इन वादियों के सदके, इन वादियों पे वारी, फूलों में सज रही है, मेरी मैया शेरों वाली।।
चुन-चुन के कलियाँ सबने, बंगला तेरा बनाया, जूही, गुलाब, गेंदे की, खुशबू से महकाया, इन खुशबुओं पे सदके, हर फूल पे मैं वारी, फूलों में सज रही है, मेरी मैया शेरों वाली।।
पिंडी रूप बना के, अद्भुत रूप बनाया, माँ लक्ष्मी, काली, सरस्वती को, अपने संग बुलाया, सुध-बुध ही खो गई है, जब से छवि निहारी, फूलों में सज रही है, मेरी मैया शेरों वाली।।
सोने का मुकुट सिर पर, रखा है इस अदा से, ममता बरस रही है, ममता भरी निगाह से, बिन मोल बिक रही हूँ, जब से छवि निहारी, फूलों में सज रही है, मेरी मैया शेरों वाली।।
श्रृंगार तेरा मैया, शोभा कहूँ क्या उसकी, है लाल-लाल चोला, और प्यारी सी चुनरी, वर्णन करूँ क्या उसका, निशब्द में समाई, फूलों में सज रही है, मेरी मैया शेरों वाली।।
विशाल तेरी मैया, अनुपम छवि निहारे, नैनों में बस गई, मेरे दर्शन की ये बातें, दिल में रहो सदा मेरे, तेरे चरणों पे मैं वारी, फूलों में सज रही है, मेरी मैया शेरों वाली।।
(पुनरावृति) फूलों में सज रही है, मेरी मैया शेरों वाली, कटरा में रह रही जो, मेरी मैया वैष्णो रानी, फूलों में सज रही है, मेरी मैया शेरों वाली।।
Navratri 2022#,फूलों में सज रही है मेरी मैया शेरो वाली- माँ वैष्णोदेवी का New Bhajan By Vishal Joshi