रश्क हिंदी मीनिंग अर्थ मतलब Rashq/Rashk Meaning Hindi Rashq/Rashk Kise Kahate Hain

रश्क हिंदी मीनिंग अर्थ मतलब Rashq/Rashk Meaning Hindi Rashq/Rashk Kise Kahate Hain

रश्क उर्दू भाषा का शब्द है। ईर्ष्या, जलन, कुढ़न, डाह, किसी से स्पर्धा के कारण जलन, दूसरे का यश और वैभव देखकर मन ही मन कुंठित होना, लज्जित करना (किसी को कमतर करना )को उर्दू में रश्क कहते हैं। अतः  दूसरे का लाभ या हित को देखकर होने वाली जलन, मानसिक संताप, डाह, संताप और कुढ़न को "रश्क" कहा जाता है। रश्क मूल रूप से फ़ारसी भाषा का शब्द है।
रश्क-ए-कमर का मतलब क्या होता है ?
जैसे की वर्तमान में रश्क-ए-कमर का गाना लोगों की जुबां पर है। तो आइये इसके अर्थ के माध्यम से "रश्क" को समझते हैं।
रश्क = ईर्ष्या, जलन डाह,
क़मर = चाँद, चंद्रमा, मेहताब
अतः रश्क-ए-क़मर का अर्थ में अर्थ है की चाँद की ईर्ष्या (जलन). भाव है की तुम्हारी सुंदरता इतनी अधिक है की चाँद भी तुमसे ईर्ष्या/जलन करता है। चाँद को सबसे सुन्दर माना गया है लेकिन नायिका चाँद से भी अधिक सुन्दर है इसलिए चाँद उससे "रश्क" करने लगा है। उल्लेखनीय है की "कमर" (वेस्ट/waist) के रूप में यहाँ अर्थ नहीं लिया गया है। 
रश्क से बनने वाले अन्य शब्द।
रश्क-ए-जन्नत : जिसको देखकर जन्नत/स्वर्ग को भी ईर्ष्या होने लगे।
रश्क-ए-इरम (स्वर्ग) : जिसको देखकर जन्नत/स्वर्ग को भी ईर्ष्या होने लगे।
रश्क-ए-यूसुफ़ : युसूफ की सुंदरता से भी अधिक सुन्दर, युसूफ को लज्जित करने वाली सुन्दर स्त्री।
रश्क-ए-हूर : सुंदर स्त्रियों (स्वर्ग की परियां) भी जिसे देखकर लज्जित हो उठें, इतनी सुंदरता।
रश्क-ए-फ़िरदौस : जिसे देखकर स्वर्ग भी कम लगे, स्वर्ग से अधिक सुन्दर।
रश्क-ए-परी : ऐसी सुन्दर स्त्री जो परी (अप्सरा) से भी अधिक सुन्दर हो।

रश्क शब्द के उदाहरण (उर्दू शब्द) Rashq/Rashk Urdu Word Examples in Hindi

रश्क उर्दू भाषा का एक शब्द है जिसके निम्न उदाहरण हैं, आइये इस रश्क शब्द को उदाहरण के माध्यम से समझते हैं। 
रात दिन चैन हम ऐ रश्क-ए-क़मर रखते हैं
शाम अवध की तो बनारस की सहर रखते हैं
भाँप ही लेंगे इशारा सर-ए-महफ़िल जो किया
ताड़ने वाले क़यामत की नज़र रखते हैं  
 
देखना क़िस्मत कि आप अपने पे रश्क आ जाये है
मैं उसे देखूँ, भला कब मुझसे देखा जाये है

मेरे रश्क-ए-क़मर तू ने पहली नज़र जब नज़र से मिलाई मज़ा आ गया
बर्क़ सी गिर गई काम ही कर गई आग ऐसी लगाई मज़ा आ गया
फ़ना बुलंदशहरी
रश्क कहता है कि उस का ग़ैर से इख़्लास हैफ़
अक़्ल कहती है कि वो बे-मेहर किस का आश्ना
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