धरमी वहां मेरा हंस रे वाया । चन्दा नहीं भाण नहीं रजनी, नहीं धूप नहीं छाया, धरमी वहां मेरा हँस रे वाया।
पग बिन पन्थ मग बिना मारग, पर बिन हंस उड़ाया, चालत खोज मंडे नहीं उनका, मेघ में जा समाया, धरमी वहां मेरा हँस रेवाया, चन्दा नहीं भाण नहीं रजनी,
नहीं धूप नहीं छाया, धरमी वहां मेरा हँस रे वाया।
जल बिन पाळ पाल बिन सरवर, बिन रहणी से रेवाया, बिना चोच हँसा चुगणा चुगिया, सीप बिना मोती पाया, धरमी वहां मेरा हँस रेवाया, चन्दा नहीं भाण नहीं रजनी, नहीं धूप नहीं छाया, धरमी वहां मेरा हँस रे वाया।
Kabir Bhajan Lyrics in Hindi
है वो अथाग है, थाग नहीं उनका, चर अचर में छाया, जल थल वेद प्रगट करके कहवू, गुरु मिलिया गम पाया, धरमी वहां मेरा हँस रेवाया, चन्दा नहीं भाण नहीं रजनी, नहीं धूप नहीं छाया, धरमी वहां मेरा हँस रेवाया।
किन रे कहवू कुणी पंत माने,
सतगुरु मोहे लखाया, भूल्योड़ा जीव भटक मर जावे, दास कबीर फरमाया, धरमी वहां मेरा हँस रेवाया, चन्दा नहीं भाण नहीं रजनी, नहीं धूप नहीं छाया, धरमी वहां मेरा हँस रेवाया।
धर्मी वहाँ मेरा हंसा रे वाया【गायक-धनराज जोशी】Dharmi Wha Mera Hans Re Paya【बन्ना नाथ के निर्गुणी भजन】
Dharami Vahaan Mera Hans Re Vaaya . Chanda Nahin Bhaan Nahin Rajani, Nahin Dhup Nahin Chhaaya, Dharami Vahaan Mera Hans Re Vaaya.
Pag Bin Panth Mag Bina Maarag, Par Bin Hans Udaaya, Chaalat Khoj Mande Nahin Unaka, Megh Mein Ja Samaaya, Dharami Vahaan Mera Hans Revaaya, Chanda Nahin Bhaan Nahin Rajani, Nahin Dhup Nahin Chhaaya, Dharami Vahaan Mera Hans Re Vaaya.