हे मना खुद को डुबो दे, दाता के एहसास में, तू ही तू, सुमिरण ही हो, हर आते जाते स्वाँस में, हे मना खुद को डुबो दे, दाता के एहसास में।
मैं हूँ ऊँचा, मैं हूँ सच्चा, ना करो अहंकार रे, साहिब के दरबार में तो, चलता भक्ति प्यार रे, काहे दौड़े रात दिन तू, माया की तलाश में, तू ही तू, सुमिरण ही हो, हर आते जाते स्वाँस में, हे मना खुद को डुबो दे, दाता के एहसास में।
आए दुःख तो, तू घबराए, फिर प्रभु को याद करे, याद ना करता, इस मालिक को, पल पल जो इमदाद करे, प्रभु नहीं है दूर तुझसे, है करनी विश्वास में, तू ही तू, सुमिरण ही हो, हर आते जाते स्वाँस में, हे मना खुद को डुबो दे, दाता के एहसास में।
निंदा चुगली, बैर नफरत, ये नहीं शुभ कर्म हैं, मेरी दौलत, मेरी शौहरत, ये तो मन के भरम हैं, सागर वो धनवान है, नाम धन है पास में, तू ही तू, सुमिरण ही हो, हर आते जाते स्वाँस में, हे मना खुद को डुबो दे, दाता के एहसास में।
हे मना खुद को डुबो दे, दाता के एहसास में, तू ही तू, सुमिरण ही हो, हर आते जाते स्वाँस में, हे मना खुद को डुबो दे, दाता के एहसास में।