मुझको अगर तू फूल बनाता ओ सांवरे
हर ख़ुशी है मगर, इक कमी रह गई,
मेरी पलकों में प्यारे, नमी रह गई,
तेरी महफिल में, खुल के वो कहता हूँ मैं,
बात दिल की, जो दिल में दबी रह गई,
सुन मेरे प्यारे।
मुझको अगर तू फूल, बनाता ओ सांवरे,
मंदिर मैं तेरा रोज, सजाता ओ सांवरे।
मुझको अगर तू फूल, बनाता ओ सांवरे,
मंदिर मैं तेरा रोज़ सजाता ओ सांवरे।
तेरा जिक्र, जिक्र इत्र का,
तेरी बात इत्र की, तेरी बात इत्र की,
मंदिर में तेरे होती है, बरसात इत्र की,
छींटा कोई तो मुझपे भी, आता ओ सांवरे,
मंदिर मैं तेरा रोज़, सजाता ओ सांवरे,
मुझको अगर तू फूल, बनाता ओ सांवरे,
मंदिर मैं तेरा रोज, सजाता ओ सांवरे।
मेरे श्याम काम आता मैं,
तेरे श्रृंगार में, तेरे श्रृंगार में,
तेरे भक्त पिरो देते मुझे, तेरे हार में,
मुझ को गले तू रोज, लगाता ओ साँवरे,
मंदिर मैं तेरा रोज़, सजाता ओ सांवरे,
मुझको अगर तू फूल, बनाता ओ सांवरे,
मंदिर मैं तेरा रोज, सजाता ओ सांवरे।
बन के गुलाब काँटो में,
रहना कबूल है, रहना कबूल है,
किस्मत में मेरी गर तेरे, चरणों की धूल है,
संदीप सर ना दर से, उठाता ओ सांवरे,
चरणों से तेरे सर ना, उठाता ओ सांवरे,
मंदिर मैं तेरा रोज़, सजाता ओ सांवरे,
मुझको अगर तू फूल, बनाता ओ सांवरे,
मंदिर मैं तेरा रोज, सजाता ओ सांवरे।
मुझको अगर तू फूल, बनाता ओ सांवरे,
मंदिर मैं तेरा रोज, सजाता ओ सांवरे।
भजन श्रेणी : कृष्ण भजन मेरी पलकों में प्यारे, नमी रह गई,
तेरी महफिल में, खुल के वो कहता हूँ मैं,
बात दिल की, जो दिल में दबी रह गई,
सुन मेरे प्यारे।
मुझको अगर तू फूल, बनाता ओ सांवरे,
मंदिर मैं तेरा रोज, सजाता ओ सांवरे।
मुझको अगर तू फूल, बनाता ओ सांवरे,
मंदिर मैं तेरा रोज़ सजाता ओ सांवरे।
तेरा जिक्र, जिक्र इत्र का,
तेरी बात इत्र की, तेरी बात इत्र की,
मंदिर में तेरे होती है, बरसात इत्र की,
छींटा कोई तो मुझपे भी, आता ओ सांवरे,
मंदिर मैं तेरा रोज़, सजाता ओ सांवरे,
मुझको अगर तू फूल, बनाता ओ सांवरे,
मंदिर मैं तेरा रोज, सजाता ओ सांवरे।
मेरे श्याम काम आता मैं,
तेरे श्रृंगार में, तेरे श्रृंगार में,
तेरे भक्त पिरो देते मुझे, तेरे हार में,
मुझ को गले तू रोज, लगाता ओ साँवरे,
मंदिर मैं तेरा रोज़, सजाता ओ सांवरे,
मुझको अगर तू फूल, बनाता ओ सांवरे,
मंदिर मैं तेरा रोज, सजाता ओ सांवरे।
बन के गुलाब काँटो में,
रहना कबूल है, रहना कबूल है,
किस्मत में मेरी गर तेरे, चरणों की धूल है,
संदीप सर ना दर से, उठाता ओ सांवरे,
चरणों से तेरे सर ना, उठाता ओ सांवरे,
मंदिर मैं तेरा रोज़, सजाता ओ सांवरे,
मुझको अगर तू फूल, बनाता ओ सांवरे,
मंदिर मैं तेरा रोज, सजाता ओ सांवरे।
मुझको अगर तू फूल, बनाता ओ सांवरे,
मंदिर मैं तेरा रोज, सजाता ओ सांवरे।
Mujhko Agar Tu Phool Banata | मुझको अगर तू फूल बनाता | Best Khatu Shyam Bhajan | Sandeep Bansal
Singer : Sandeep Bansal
Music & Lyrics : Ravi Chopra
Music & Lyrics : Ravi Chopra
श्री श्याम बाबा के श्रृंगार में बसे प्रेम, भक्ति और सौंदर्य का अद्भुत संगम है, जो हर दिल को छू जाता है। हर सुबह मंदिर में उनकी पूजा-आराधना का श्रृंगार ऐसा सजीव होता है कि जैसे वे स्वयं प्रकृति की सबसे सुंदर साज-सज्जा से विभूषित हैं। गुलाब की खुशबू, मोर पंख और रंग-बिरंगे गजरे से सजाए गए बाबा का रूप भक्तों के मन में श्रद्धा और आनंद की लहरें दौड़ा देता है। यह श्रृंगार केवल बाहरी शोभा नहीं, बल्कि भक्त के हृदय से निकलती गहरी प्रेम भरी अनुभूति और आस्था का प्रतिबिंब है, जो मंदिर की दीवारों तक गूंजती है।
मंदिर की शोभा में भक्तों की निष्ठा और समर्पण झलकता है, जो दुलार और सेवा के साथ बाबा की सजावट का हिस्सा बनते हैं। श्रृंगार का यह प्रारूप जीवन के आध्यात्मिक पक्ष को जीवंत करता है, जहां भगवान की छवि में सौंदर्य और प्रेम एकाकार हो जाते हैं। यह सजावट भक्ति की गहराई और सांस्कृतिक परंपराओं की मिठास को दर्शाती है, जो साधकों की आत्मा को आनंदित और प्रसन्न करती है। श्रृंगार के रंग, खुशबू और संगीत भक्तों के मन को स्पर्श करते हैं, उन्हें अंदर से जोशीला और प्रेरित करते हैं, जिससे भक्ति के भाव और भी अधिक प्रबल हो जाते हैं।
मंदिर की शोभा में भक्तों की निष्ठा और समर्पण झलकता है, जो दुलार और सेवा के साथ बाबा की सजावट का हिस्सा बनते हैं। श्रृंगार का यह प्रारूप जीवन के आध्यात्मिक पक्ष को जीवंत करता है, जहां भगवान की छवि में सौंदर्य और प्रेम एकाकार हो जाते हैं। यह सजावट भक्ति की गहराई और सांस्कृतिक परंपराओं की मिठास को दर्शाती है, जो साधकों की आत्मा को आनंदित और प्रसन्न करती है। श्रृंगार के रंग, खुशबू और संगीत भक्तों के मन को स्पर्श करते हैं, उन्हें अंदर से जोशीला और प्रेरित करते हैं, जिससे भक्ति के भाव और भी अधिक प्रबल हो जाते हैं।
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