पर नारी को राचणौं जिसी ल्हसण की खानी मीनिंग Par Nari Ke Rachane Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Bhavarth/Hindi Arth, Dohe Hindi Me.
पर नारी को राचणौं, जिसी ल्हसण की खानी,खूणैं बैसि षाइए परगट होइ निवानी,
Parnari Ko Rachano, Jisi Lahsan Ki Kani,
Khune Baisi Khaiye, Pragat Hoi Nivani.
पर नारी को राचणौं : पराई नारी के प्रति आसक्ति.
जिसी ल्हसण की खानी : जिसे लहसुन को खाना, लहसुन का सेवन करना.
खूणैं बैसि षाइए परगट होइ निवानी : एकांत में बैठकर खाई जाए तो भी वह प्रकट हो जाती है.
जिसी ल्हसण की खानी : जिसे लहसुन को खाना, लहसुन का सेवन करना.
खूणैं बैसि षाइए परगट होइ निवानी : एकांत में बैठकर खाई जाए तो भी वह प्रकट हो जाती है.
कबीर साहेब की वाणी है की पर नारी से आसक्ति रखने वाला व्यक्ति कभी छुप नहीं सकता है. जैसे एकांत स्थान पर बैठ कर भी यदि लहसुन को खा लिया जाए तो भी वह अपना असर सभी के सामने प्रकट कर देती है. ऐसी ही नारी के प्रति आसक्ति प्रकट हो जाती है. दुसरे अर्थों में जैसे लहसुन को भले ही एकांत में खाया जाए वह अपनी सुगंध से जाहिर हो जाता है, ऐसे ही नारी से भले ही छिप कर आसक्ति की जाए, वह सभी के सामने आ जाती है.
विषय विकार बुराई हैं, यह छुपाने से छुपते नहीं है, भला इसी में हैं की हम माया के प्रभाव को समझें और इससे मुक्त होने का मार्ग तलाशे।
विषय विकार बुराई हैं, यह छुपाने से छुपते नहीं है, भला इसी में हैं की हम माया के प्रभाव को समझें और इससे मुक्त होने का मार्ग तलाशे।
भजन श्रेणी : कबीर के दोहे हिंदी मीनिंग