श्री खाटू श्याम चालीसा Shri Khatu Shyam Chalisa Lyrics खाटू श्याम चालीसा लिरिक्स

श्री खाटू श्याम चालीसा Shri Khatu Shyam Chalisa Lyrics, Khatu Shyam Ji Bhajan by Singer - Ravindra Jain

बाबा खाटू श्याम जी हारे के सहारे हैं। जीवन में कितनी भी बड़ी बाधा आए बाबा का ध्यान करने से भक्तों को अवश्य ही सहारा मिलता है। निचे बाबा श्याम (श्री खाटू श्याम जी ) का चालीसा दिया गया है। आप शुद्ध तन/मन से इसका पाठ करे, बाबा की कृपा अवश्य ही आपको प्राप्त होगी।
बाबा जो हारे के सहारे हैं, अपने भक्तों पर कृपा की दृष्टि रखते हैं।  कलियुग में बाबा श्याम ही श्री कृष्णा के अवतार हैं। बाबा की छँटा अद्भुद है। बाबा के मस्तक पर मोर पंख का मुकुट हैं क्योंकि बाबा श्री कृष्ण के अवतार हैं। श्री खाटू श्याम जी में बाबा के दर्शन अवश्य ही प्राप्त करें।  
 
श्री खाटू श्याम चालीसा Shri Khatu Shyam Chalisa Lyrics खाटू श्याम चालीसा लिरिक्स
 
श्री श्याम चालीसा / Shri Shyam Chalisa
जय हो सुंदर श्याम हमारे, मोर मुकुट मणिमय हो धारे।
कानन के कुंडल मन मोहे, पीत वस्त्र कटि बंधन सोहे।  
गले में सोहत सुंदर माला, सांवरी सूरत भुजा विशाला।
तुम हो तीन लोक के स्वामी, घट-घट के हो अंतरयामी।

पद्मनाभ विष्णु अवतारी, अखिल भुवन के तुम रखवारी।
खाटू में प्रभु आप बिराजे, दर्शन करत सकल दुख भाजे।
 
रजत सिंहासन आय सोहते, ऊपर कलशा स्वर्ण मोहते।
अगम अनूप अच्युत जगदीशा, माधव सुर नर सुरपति ईशा।
 
बाज नौबत शंख नगारे, घंटा झालर अति झनकारे।
माखन-मिश्री भोग लगावे, नित्य पुजारी चंवर ढुलावे।
 
जय-जयकार होत सब भारी, दुख बिसरत सारे नर-नारी।
जो कोई तुमको मन से ध्याता, मनवांछित फल वो नर पाता।
 
जन-मन-गण अधिनायक तुम हो, मधुमय अमृतवाणी तुम हो।
विद्या के भंडार तुम्हीं हो, सब ग्रंथन के सार तुम्हीं हो।
 
आदि और अनादि तुम हो, कविजन की कविता में तुम हो।
नीलगगन की ज्योति तुम हो, सूरज-चांद-सितारे तुम हो।
 
तुम हो एक अरु नाम अपारा, कण-कण में तुमरा विस्तारा।
भक्तों के भगवान तुम्हीं हो, निर्बल के बलवान तुम्हीं हो।
 
तुम हो श्याम दया के सागर, तुम हो अनंत गुणों के सागर।
मन दृढ़ राखि तुम्हें जो ध्यावे, सकल पदारथ वो नर पावे।
 
तुम हो प्रिय भक्तों के प्यारे, दीन-दुखी जन के रखवारे।
पुत्रहीन जो तुम्हें मनावें, निश्चय ही वो नर सुत पावें।
 
जय-जय-जय श्री श्याम बिहारी, मैं जाऊं तुम पर बलिहारी।
जन्म-मरण सों मुक्ति दीजे, चरण-शरण मुझको रख लीजे।
 
प्रात: उठ जो तुम्हें मनावें, चार पदारथ वो नर पावें।
तुमने अधम अनेकों तारे, मेरे तो प्रभु तुम्हीं सहारे।
 
मैं हूं चाकर श्याम तुम्हारा, दे दो मुझको तनिक सहारा।
कोढ़ि जन आवत जो द्वारे, मिटे कोढ़ भागत दुख सारे।
 
नयनहीन तुम्हारे ढिंग आवे, पल में ज्योति मिले सुख पावे।
मैं मूरख अति ही खल कामी, तुम जानत सब अंतरयामी।
 
एक बार प्रभु दरसन दीजे, यही कामना पूरण कीजे।
जब-जब जनम प्रभु मैं पाऊं, तब चरणों की भक्ति पाऊं।
 
मैं सेवक तुम स्वामी मेरे, तुम हो पिता पुत्र हम तेरे।
मुझको पावन भक्ति दीजे, क्षमा भूल सब मेरी कीजे।
 
पढ़े श्याम चालीसा जोई, अंतर में सुख पावे सोई।
सात पाठ जो इसका करता, अन्न-धन से भंडार है भरता।
 
जो चालीसा नित्य सुनावे, भूत-पिशाच निकट नहिं आवे।
सहस्र बार जो इसको गावहि, निश्चय वो नर मुक्ति पावहि।
 
किसी रूप में तुमको ध्यावे, मन चीते फल वो नर पावे।
नंद बसो हिरदय प्रभु मेरे, राखो लाज शरण मैं तेरे।
भजन श्रेणी : खाटू श्याम जी भजन

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