इस योग्य हम कहाँ हैं, गुरुवर तुम्हें रिझायें, फिर भी मना रहे हैं, शायद तो मान जाएं।
जब से जन्म लिया है, विषयों ने हमको घेरा, छल और कपट ने डाला, इस भोलेपन पे डेरा, सद्बुद्धि को अहम ने, हरदम रखा दबाये, इस योग्य हम कहाँ है, गुरुवर तुम्हें रिझायें, इस योग्य हम कहाँ हैं, गुरुवर तुम्हें रिझाएं।
जग में जहां भी देखा, बस एक ही चलत है, इक दूसरे के सुख से, खुद को बड़ी जलन है, कर्मो का लेखा जोखा, कोई समझ ना पाये, इस योग्य हम कहाँ है, गुरुवर तुम्हें रिझायें, इस योग्य हम कहाँ हैं, गुरुवर तुम्हें रिझाएं।
निशचय ही हम पतित हैं, लोभी हैं स्वार्थी हैं,
Guru Purnima Bhajan,Satguru Bhajan Lyrics in Hindi
तेरा ध्यान जब लगायें, माया पुकारती है, सुख भोगने की इच्छा, कभी तृप्त हो ना पाये, इस योग्य हम कहाँ है, गुरुवर तुम्हें रिझायें, इस योग्य हम कहाँ हैं, गुरुवर तुम्हें रिझाएं।
जब कुछ ना कर सकें तो, तेरी शरण में आयें, अपराध मानते हैं, झेलेंगे सब सजायें, गोविंद से अब मिलादे, कुछ और हम ना चाहें,
इस योग्य हम कहां हैं, गुरुवर तुम्हें रिझायें, फिर भी मना रहे हैं, शायद तो मान जायें, इस योग्य हम कहाँ है, गुरुवर तुम्हें रिझायें, इस योग्य हम कहाँ हैं, गुरुवर तुम्हें रिझाएं।