जब तक जिऊँ मैं सुहागन जिऊँ
दे दो अपनी पुजारन को वरदान माँ,
के जब तक जिऊँ मैं सुहागन जिऊँ,
मुझसे हो ना जुदा मेरा भगवान माँ,
के जब तक जियु मैं सुहागन जिऊँ,
दे दो अपनी पुजारन को वरदान माँ।
माँग सिन्दूर से भरी ही रहे,
मैं दिन रात तुमसे यही माँगती,
साया सिर पे रहे मेरे सरताज का,
और इसके सिवा कुछ नहीं माँगती,
इस दिल में है बस यही अरमान माँ,
के जब तक जियु मैं सुहागन जिऊँ,
दे दो अपनी पुजारन को वरदान माँ।
कोई मंदिर सजे ना बिना मूर्ति,
बिन खिवैया के नैया है किस काम की,
इस बगियाँ का माली सलामत रहे,
माला जपति रहूँगी तेरे नाम की,
दया मुझे पे ये करना दयावान माँ,
के जब तक जियु मैं सुहागन जिऊँ,
दे दो अपनी पुजारन को वरदान माँ।
मेरे जीवन का मालिक है जो देवता,
उमर मेरी भी उनको लगा देना माँ,
उनकी सांसो में सांसे घुलती रहे,
मुझको दिल से तू ये ही दुआ देना माँ,
तेरा होगा बड़ा ही ये एहसान माँ,
के जब तक जियु मैं सुहागन जिऊँ,
मुझसे हो ना जुदा मेरा भगवान माँ,
के जब तक जियु मैं सुहागन जिऊँ,
दे दो अपनी पुजारन को वरदान माँ।
दे दो अपनी पुजारन को वरदान माँ,
के जब तक जिऊँ मैं सुहागन जिऊँ,
मुझसे हो ना जुदा मेरा भगवान माँ,
के जब तक जियु मैं सुहागन जिऊँ,
दे दो अपनी पुजारन को वरदान माँ।
Karwa Choth Bhajan KarawaChouthKeBhajan