मैं हूँ नहीं तेरे प्यार के काबिल, हो तेरे प्यार के क़ाबिल, गुनहग़ार हूँ, ख़तावार हूँ, मैं हूं नहीं तेरे प्यार के काबिल।
अवगुण भरा शरीर मेरा, मैं कैसे तुझे मिल पाऊँ, चुनरिया ये दाग दागीली, में कैसे दाग़ छुड़ाऊँ, ना भक्ति नहीं प्रेम रस,
हाँ कैसे तुझे मिल पाऊँ, आन पड़ा अब द्वार तिहारे, अब किस द्वारे जाऊँ, उजड़ा हुआ गुलशन हूँ मैं, उजड़ा हुआ गुलशन हूँ मैं, ना बहार के काबिल, मैं हूं नहीं तेरे प्यार के काबिल।
वो दृष्टि नहीं है पास मेरे जो, रूप तुम्हारा निहार सकूँ,
Chitra Vichitra Ji Maharaj Bhajan Lyrics in Hindi
वो तड़प नही है दिल अंदर, जिस तड़प से तुझको पुकार सकूँ, वो आग नहीं है आहो में जो, तन मन सारा पजार सकूँ, वो त्याग नहीं है अपने में, जो सर्वस्व तुम पर वार सकूँ, भुला हूँ में, वादाओ को, ना करार के काबिल, मैं हूं नहीं तेरे प्यार के काबिल।
तुम ही करो मुझे प्यार के, काबिल और कौन है मेरा, काम क्रोध मद लोभ मोह ने, आकर डाला डेरा, एक तेरे दीदार बिना, इस दिल में हुआ अँधेरा, मुझे भरोसा नहीं किसी का, एक भरोसा तेरा, हो तेरे प्यार में, पागल हुआ, ना संसार के काबिल, मैं हूं नहीं तेरे प्यार के काबिल।