ओढ़ के लाल चुनरिया लाल मैं नाचूँ तेरे अंगना

ओढ़ के लाल चुनरिया लाल मैं नाचूँ तेरे अंगना मे

 
ओढ़ के लाल चुनरिया लाल मैं नाचूँ तेरे अंगना

ओढ़ के लाल चुनरिया लाल,
मैं नाचूँ तेरे अंगना में,
ओढ़ के लाल चुनरिया लाल,
मैं नाचूँ तेरे अंगना में,
मैं नाचूँ तेरे अंगना में,
दर पे आऊ हर साल,
मैं नाचूँ तेरे अंगना में,
ओढ़ के लाल चुनरिया लाल,
मैं नाचूँ तेरे अंगना में,
मैं गाऊं तेरे अंगना में,
मैं नाचूँ तेरे अंगना में।

पावों में अपने बांध के घुंघरूं,
आँखों पे तेरे नाम को सुमरू,
और बजाऊ खड़ताल,
मैं नाचू तेरे अंगना में,
मैं नाचूँ तेरे अंगना में,
ओढ़ के लाल चुनरिया लाल,
मैं नाचूँ तेरे अंगना में,

व्याकुल मन मेरा चैन नहीं पाएं,
बिन तेरे कोई सुन नहीं पाएं,
दे दी संगत ताल,
मैं नाचूँ तेरे अंगना में,
ओढ़ के लाल चुनरिया लाल,
मैं नाचूँ तेरे अंगना में,
 

ओढ़ के चुनरिया लाल मैं नाचू तेरे अंगना में | माता भजन | Odh Ke Chunariya Lal Main Nachu Tere Angna
 
Song Info: - 
Title - Odh Ke Chunariya Lal Main Nachu Tere Angna Mein
Artist - Sonam
Singer - Sheela Kalson
Lyrics - Traditional
Music - Pardeep Panchal
Editing - K.V Sain
Label - Geet Mithas 
 
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सच्चे समर्पण में साधक और साध्य के बीच कोई दूरी नहीं रहती। झंकारते घुंघरू और बजती खड़ताल के साथ आत्मा अपनी गुमशुदगी तलाशती है—प्रेम की उस लय में, जहाँ हर धड़कन पूजा बन जाती है। “व्याकुल मन मेरा चैन नहीं पाएं” में वह तड़प है जो मनुष्य को भीतर से खींचती है, बार-बार उसी दर पर ले जाती है जहाँ समाधान मिलता है। यह भक्ति का नृत्य है—नियति के विरोध में नहीं, बल्कि उसे सिरे से अपनाने का, अपनी हर सांस को ईश्वर की ध्वनि बना देने का। यहाँ नाचने वाला केवल भक्त नहीं, स्वयं भक्ति की मूर्ति बन जाता है—आनंद, समर्पण और प्रेम की जीवित प्रतिमा। 
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