फूलों में सज रही है माँ अम्बे दुर्गे रानी

फूलों में  सज रही है माँ अम्बे दुर्गे रानी

फूलों में  सज रही है,
माँ अम्बे दुर्गे रानी,
और हाथ मे त्रिशूल है,
करे सिंह कि सवारी,
फूलों में  सज रही है,
माँ अम्बे दुर्गे रानी।

सोने का मुकुट सर पर,
लगता है कितना प्यारा,
मुख पर तेज है इतना,
सूरज में नही जितना,
ओर लम्बे लम्बे केश है,
जैसे घटा हो काली,
फूलों में  सज रही है,
माँ अम्बे दुर्गे रानी,
और हाथ मे त्रिशूल है,
करे सिंह कि सवारी,
फूलों में  सज रही है,
माँ अम्बे दुर्गे रानी।

माथे पे बिंदिया जैसे,
चंदा चमक रहा हो,
आँखों मे ज्योती ऐसी,
प्यार बरस रहा हो,
भगतो के लिए प्यार है,
दुश्मन के लिए काली,
फूलों में  सज रही है,
माँ अम्बे दुर्गे रानी,
और हाथ मे त्रिशूल है,
करे सिंह कि सवारी,
फूलों में  सज रही है,
माँ अम्बे दुर्गे रानी।

पुष्पों की गल मे माला,
लगती है कितनी प्यारी,
लाल चुनरियाँ ओढ़े,
भक्तों के मन को भाती,
तेरे चरणों से लगा ले,
जांगिड़ को माँ भवानी,
फूलों में  सज रही है,
माँ अम्बे दुर्गे रानी,
और हाथ मे त्रिशूल है,
करे सिंह कि सवारी,
फूलों में  सज रही है,
माँ अम्बे दुर्गे रानी।
भजन श्रेणी : माता रानी भजन (Read More : Mata Rani Bhajan)

फूलों में सज रही है माँ अम्बे दुर्गे रानी, pholo me sj rhi he

Phulon Mein  Saj Rahi Hai,
Maan Ambe Durge Raani,
Aur Haath Me Trishul Hai,
Kare Sinh Ki Savaari,
Phulon Mein  Saj Rahi Hai,
Maan Ambe Durge Raani.

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