आरती कीजै हनुमान लला की पीडीऍफ़

आरती कीजै हनुमान लला की पीडीऍफ़ Aarti Kije Hanuman Lala Ki Lyrics PDF

श्री हनुमान जी कलियुग में जागृत देव हैं जो अपने भक्तों की समस्त दैहिक और आध्यात्मिक संकट को दूर करते हैं। श्री हनुमान जी की आरती के लिरिक्स इस पोस्ट में दिए गए हैं। इस आरती को स्वर दिया है अनूप जलोटा जी ने। श्री हनुमान जी अष्ट सिद्धि और नव निधि के दायक हैं। आप इस आरती को पीडीऍफ़ के रूप में निचे दिए गए लिंक से डाउनलोड कर सकते हैं।
आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरिवर कांपे।
रोग दोष जाके निकट न झांके॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई।
सन्तन के प्रभु सदा सहाई॥
आरती कीजै हनुमान लला की।

दे बीरा रघुनाथ पठाए।
लंका जारि सिया सुधि लाए॥
लंका सो कोट समुद्र-सी खाई।
जात पवनसुत बार न लाई॥
आरती कीजै हनुमान लला की।


लंका जारि असुर संहारे।
सियारामजी के काज सवारे॥
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।
आनि संजीवन प्राण उबारे॥
आरती कीजै हनुमान लला की।

पैठि पाताल तोरि जम-कारे।
अहिरावण की भुजा उखारे॥
बाएं भुजा असुरदल मारे।
दाहिने भुजा संतजन तारे॥
आरती कीजै हनुमान लला की।

सुर नर मुनि आरती उतारें।
जय जय जय हनुमान उचारें॥
कंचन थार कपूर लौ छाई।
आरती करत अंजना माई॥
आरती कीजै हनुमान लला की।

जो हनुमानजी की आरती गावे।
बसि बैकुण्ठ परम पद पावे॥
आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥

चैत्र की शुक्ल पूर्णिमा को कलयुग के जाग्रत देव श्री हनुमान जी की जयंती मनाई जाती है, जो अपने भक्तों के सभी संकटों को पल में हर लेते हैं।
हनुमान जयंती पर संकटमोचक की पूजा-अराधना करने से सभी कष्टों का नाश होता है और साधक को हनुमान जी वरदान देते हैं। मंगलवार का दिन भगवान हनुमान को समर्पित होता है, साथ ही आप शनिवार को भी इस पावन आरती का पाठ अवश्य करें।  श्री राम के द्वार पर ले जाने वाले श्री हनुमान जी हैं। अतः जो भी नित्य इस आरती का पाठ करता है उसके समस्त दैहिक और आत्मिक संकटों का नाश होता है। प्रमुख है की श्री हनुमान को कलिकाल में प्रसन्न करना आसान हैं। श्री हनुमान जी की महिमा है की इन्हे रामायण में भी उच्च स्थान दिया गया है। 

भजन श्रेणी : हनुमान भजन (Hanuman Bhajan)

आरती कीजै हनुमान लला की - Full Audio | Aarti Kije Hanuman Lala Ki | Anup Jalota | श्री हनुमान आरती


आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।।
अंजनि पुत्र महाबलदायी। सन्तन के प्रभु सदा सहाई।।
दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारि सिया सुध लाए।।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई ।।
लंका जारि असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे ।।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे ।।
पैठी पताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखारे ।।
बाएं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे ।।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे ।।
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई ।।
जो हनुमानजी की आरती गावै। बसि बैकुंठ परमपद पावै ।।
लंकविध्वंस किए रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई ।।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ।।
 
Lyrics English
Aarti Ki Jai Hanuman Lala Ki, Dushat Dalan Ragunath Kala Ki.
Ja Ke Bal Se Giriver Kaanpe, Rog Dosh Ja Ke Nikat Na Jaanke.
Anjani Putra Mahabaldaye, Santan Ke Prabhu Sada Sahaye.
De Beeraha Raghunath Pathai, Lanka Jaari Siya Sudhi Laiye.
Lanka So Kot Samundra Se Khaiy, Jaat Pavan Sut Baar NaLaiye.
Lanka Jaari Asur Sab Maare, Siya Ramji Ke Kaaj Sanvare.
Lakshman Moorchit Parhe Sakare, Aan Sajeevan Pran Ubhaare.
Paith Pataal Tori Yamkare, Ahiravan Ke Bhuja Ukhaare.
Baayen Bhuja Asur Dal Mare, Daayen Bhuja Sab Santa JanaTare.
Surnar Munijan Aarti Utare, Jai Jai Jai Hanuman Uchaare.
Kanchan Thaar Kapoor Lo Chhai, Aarti Karat Aajani Mai.
Jo Hanumanji Ki Aarti Gaave, Basi Baikuntha Amar Padh Pave.
Lanka Vidvance Kiye Ragurai, Tulsidas Swami Aarti Gaaie.
Aarti Ki Jai Hanuman Lala Ki, Dushat Dalan Ragunath Kala Ki.
Pawan Tanay Sankat Haran Managal Moorti Roop,
Ram Lakhan Sita Sahit Hridaya Bhasu Sur Bhoop


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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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