मेरे सिराहने खड़ा कन्हैया सर पर

मेरे सिराहने खड़ा कन्हैया सर पर हात फिराता है

जब भी कोई तकलीफ सताए,
जब जब मन घबराता है,
मेरे सिराहने खड़ा कन्हैया,
सर पर हात फिराता है।

लोग ये समझे में हूँ अकेला,
मेरे साथ कन्हैया है,
लोग ये समझें में हूँ अकेला
चल रही मेरी नैया है,
जब जब लहरें आती हैं,
ये खुद पतवार चलाता है,
मेरे सिराहने खड़ा कन्हैया,
सर पर हात फिराता है।

जिनके आंसू कोई न पोंछे,
कोई न जिनसे प्यार करे,
जिनके साथ यह दुनिया वाले,
मतलब का व्यवहार करें,
दुनिया जिसको ठुकराए,
उसे ये पलकों पे बिठाता है,
मेरे सिराहने खड़ा कन्हैया,
सर पर हात फिराता है।

प्रेम की डोर बंधी प्रीतम से,
जैसे दीपक बाती है,
कदम कदम पर रक्षा करता,
ये सुख दुःख का साथी है,
भक्त को जब रास्ता नहीं सूझे,
प्रेम का दीप जलाता है,
मेरे सिराहने खड़ा कन्हैया,
सर पर हात फिराता है।

जब भी कोई तकलीफ सताए,
जब जब मन घबराता है,
मेरे सिराहने खड़ा कन्हैया,
सर पर हात फिराता है।


भजन श्रेणी : कृष्ण भजन (Krishna Bhajan)


Jab Bhi Koi Takaliph Satae,
Jab Jab Man Ghabaraata Hai,
Mere Siraahane Khada Kanhaiya,
Sar Par Haat Phiraata Hai.

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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