सहज सहज सबको कहै हिंदी मीनिंग Sahaj Sahaj Sabko Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe (Saakhi) Hindi Arth/Hindi Meaning Sahit (कबीर दास जी के दोहे सरल हिंदी मीनिंग/अर्थ में )
सहज सहज सबको कहै, सहज न चीन्हैं कोइ।जिन्ह सहजै हरिजी मिलै, सहज कहीजै सोइ॥
Sahaj Sahaj Sabko Kahe, Sahaj Na Chinhe Koi,
Jinh Sahaje Hariji Mile, Sahaj Kahije Soi.
सहज सहज : सहज सहज
सबको : सब कोई कहता है.
कहै : कहता है.
सहज न : सहज ही नहीं.
चीन्हैं कोइ : कोई चिन्हित नहीं कर पाता है, कोई समझ नहीं पाता है.
जिन्ह : जिसने.
सहजै हरिजी मिलै : सहज ही इश्वर की प्राप्त होती है.
सहज कहीजै सोइ : उसी को सहज कहा जा सकता है.
सबको : सब कोई कहता है.
कहै : कहता है.
सहज न : सहज ही नहीं.
चीन्हैं कोइ : कोई चिन्हित नहीं कर पाता है, कोई समझ नहीं पाता है.
जिन्ह : जिसने.
सहजै हरिजी मिलै : सहज ही इश्वर की प्राप्त होती है.
सहज कहीजै सोइ : उसी को सहज कहा जा सकता है.
कबीर साहेब की वाणी है की सभी लोग सहज सहज कहते हैं लेकिन सहज को किसी ने पहचाना ही नहीं है. सहज क्या है. सहज है बिना किसी बाह्य दबाव और प्रयत्न के इश्वर का सुमिरण करना. सहज को किसी ने चिन्हित नहीं किया है. सहज उसी को कहा जा सकता है जिसने बिना किसी बाह्य प्रयत्न के इश्वर का सुमिरन करे और इश्वर की प्राप्ति उसे सहज ही हो जाती है.