ॐ श्री गोरक्ष नमः ॐ उं श्री गोरक्षाया नमः र्हीं श्री गोरक्षाया नमः श्री श्री गोरक्ष नाथाय नमः श्री गों श्री गोराक्षनाथाया नमः श्री लीं श्री गोरक्षनाथय नमः श्री हं श्री गोरक्ष नाथायनमः श्री हाँ श्री गोरक्ष नाथाय नमः श्री निरंजनात्मा नेय नमः श्री हूँ श्री गोरक्ष नाथाय नमः श्री सं श्री गोरक्ष नाथाय नमः
श्री हंसा श्री गोरक्ष नाथाय नमः श्री गुरुपद जप सत्याय नमः श्री अद्वैताया नमः श्री प्राण चैतन्याय नमः श्री नित्य निर्गुनाया नमः श्री महत्मनेया नमः श्री निल्ग्रिवाया नमः श्री सोहमसद्याकाया नमः श्री ओमकार रुपेय नमः श्री गुरु भक्तया नमः श्री श्री गुरु भौमाय नमः
Nath Ji Bhajan Lyrics Hindi
श्री श्री गुरुचरण प्रियाय नमः श्री गुरु उपसकाया नमः श्री श्री गुरु भक्तिप्रियाय नमः श्री योगेश्वराय नमः ॐ श्री राजयोगाया नमः ॐ श्री अस्त्र विद्या प्रविनाय नमः ॐ अस्त्र विद्या प्रविनाय नमः श्री वायु नंदा नाय नमः श्री कमंदालू धार्काय नमः श्री त्रिशूल धार काय नमः
ॐ गुरुजी, सत नमः आदेश। गुरुजी को आदेश। ॐकारे शिव-रुपी, मध्याह्ने हंस-रुपी, सन्ध्यायां साधु-रुपी। हंस, परमहंस दो अक्षर। गुरु तो गोरक्ष, काया तो गायत्री। ॐ ब्रह्म, सोऽहं शक्ति, शून्य माता, अवगत पिता, विहंगम जात, अभय पन्थ, सूक्ष्म-वेद, असंख्य शाखा, अनन्त प्रवर, निरञ्जन गोत्र, त्रिकुटी क्षेत्र, जुगति जोग, जल-स्वरुप रुद्र-वर्ण। सर्व-देव ध्यायते। आए श्री शम्भु-जति गुरु गोरखनाथ। ॐ सोऽहं तत्पुरुषाय विद्महे शिव गोरक्षाय धीमहि तन्नो गोरक्षः प्रचोदयात्। ॐ इतना गोरख-गायत्री-जाप सम्पूर्ण भया। गंगा गोदावरी त्र्यम्बक-क्षेत्र कोलाञ्चल अनुपान शिला पर सिद्धासन बैठ। नव-नाथ, चौरासी सिद्ध, अनन्त-कोटि-सिद्ध-मध्ये श्री शम्भु-जति गुरु गोरखनाथजी कथ पढ़, जप के सुनाया। सिद्धो गुरुवरो, आदेश-आदेश।।